नई दिल्ली- जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के परिसर में गुरुवार को दशहरा के उत्सव के दौरान एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) द्वारा आयोजित रावण दहन कार्यक्रम में पूर्व जेएनयू छात्रों और सीएए विरोधी कार्यकर्ताओं उमर खालिद तथा शरजील इमाम की तस्वीरें रावण के पुतले पर चस्पा करके जलाई गईं।
इस घटना ने परिसर में तनाव पैदा कर दिया, जिसके बाद जेएनयू स्टूडेंट्स यूनियन (JNUSU) ने इसका कड़ा विरोध किया और मानव श्रृंखला बनाकर शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया। प्रदर्शन के दौरान दोनों पक्षों के बीच झड़पें हुईं, जिसमें पत्थरबाजी, जूतों का लहराना और नारेबाजी के आरोप लगे। JNUSU ने इसे धर्म का राजनीतिकरण और इस्लामोफोबिया फैलाने की साजिश बताया, जबकि ABVP ने वामपंथी छात्र संगठनों पर दुर्गा पूजा विसर्जन यात्रा पर हमले का आरोप लगाया।
गुरुवार सुबह JNUSU के ग्रुप्स में एक पोस्टर वायरल होने लगा, जिसमें ABVP ने दशहरा के रावण दहन को उमर खालिद और शरजील इमाम की 'फांसी' से जोड़ दिया था। पोस्टर में इन दोनों पूर्व छात्रों को रावण के रूप में चित्रित किया गया था। JNUSU ने तुरंत इसका विरोध किया और कहा कि यह संविधान और मानवाधिकार रक्षकों पर हमला है। दोपहर में ABVP ने रावण दहन कार्यक्रम आयोजित किया, जिसमें उमर खालिद, शरजील इमाम के अलावा अफजल गुरु, माओ त्से-तुंग जैसे चेहरों की तस्वीरें रावण के पुतले पर लगाई गईं। कार्यक्रम के दौरान ABVP समर्थकों ने "गोदसे की जय", "शरजील इमाम को फांसी दो", "उमर खालिद को फांसी दो" जैसे नारे लगाए।
शाम करीब 7 बजे साबरमती टी पॉइंट के पास दुर्गा पूजा विसर्जन शोभायात्रा के दौरान तनाव चरम पर पहुंच गया। ABVP के अनुसार, AISA, SFI और DSF जैसे वामपंथी संगठनों ने यात्रा पर पत्थर फेंके, जिससे कई छात्र-छात्राएं घायल हो गए। ABVP जेएनयू अध्यक्ष मयंक पंचाल ने इसे "सांस्कृतिक आक्रमण" बताया और कहा, "ABVP ऐसी आक्रामकता को बर्दाश्त नहीं करेगा।" वहीं, ABVP मंत्री प्रवीण पियुष ने महिलाओं पर हमले को "निंदनीय और शर्मनाक" करार दिया।
दूसरी ओर, JNUSU ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि ABVP ही हिंसा भड़काने का प्रयास कर रहा था। JNUSU अध्यक्ष नितीश कुमार ने बताया, "हमारा विरोध साबरमती टी पॉइंट पर चल रहा था, जब ABVP की दुर्गा विसर्जन यात्रा आई। उन्होंने अपना डीजे आधा घंटा रोका और 'जय श्री राम', योगी जी की बुलडोजर जस्टिस जैसे नारे लगाए। फिर जूते लहराने शुरू किए। हमने मानव श्रृंखला बनाकर हिंसा रोकी, लेकिन वे आधे घंटे तक उकसाते रहे। बाद में भाग गए।" नितीश ने ABVP पर दुर्गा पूजा के खिलाफ विरोध का झूठा प्रचार करने का भी आरोप लगाया।
JNUSU ने ABVP के इस कृत्य को "धर्म का जानबूझकर शोषण" बताते हुए इस्लामोफोबिया फैलाने की साजिश कहा। बयान में कहा गया, "उमर और शरजील पांच साल से जेल में हैं। उनके केस अभी ट्रायल में हैं और जमानत फ्लिम्सी ग्राउंड्स पर खारिज हो रही है। फिर भी ABVP ने सड़क पर पब्लिक ट्रायल कर दिया।"
उन्होंने सवाल उठाया कि अगर न्याय की बात है तो नाथूराम गोडसे, बलात्कारी बाबा राम रहीम या 2020 दिल्ली दंगों को भड़काने वाले अनुराग ठाकुर और प्रवेश वर्मा के पुतले क्यों नहीं जलाए गए? JNUSU ने RSS-ABVP की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि का जिक्र करते हुए 1945 के RSS पत्रिका 'अग्रणी' का कार्टून उदाहरण दिया, जिसमें गांधी, नेहरू और मौलाना आजाद को रावण दिखाया गया था।
ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (AISA) ने भी ABVP पर "इस्लामोफोबिया का घिनौना प्रदर्शन" करने का आरोप लगाया। AISA ने कहा, "ABVP ने धर्म को राजनीतिक प्रचार के लिए इस्तेमाल किया। गोडसे या राम रहीम के बजाय उमर-शरजील को क्यों चुना? छात्रों को RSS-ABVP की विभाजनकारी राजनीति के खिलाफ खड़े होने का आह्वान।"
ABVP ने रावण दहन को "नक्सलवाद, वामपंथ और राष्ट्र-विरोधी विचारधाराओं का अंत" का प्रतीक बताया। जेएनयू संयुक्त सचिव शर्वरी पाटिल ने कहा, "ब्रह्मपुरी हॉस्टल से विरोधी पोस्टर आया। हमारी दुर्गा पूजा समिति 26 साल से इसी रूट पर जुलूस निकाल रही है। त्रिही नामक छात्रा घायल हुई, हमारा वीडियो सबूत है। यह वामपंथी एजेंडा है।" ABVP ने पत्थरबाजी का वीडियो जारी किया, लेकिन JNUSU ने इसे चुनौती दी कि कोई ठोस सबूत पेश करें।
गौरतलब है कि उमर खालिद और शरजील इमाम 2020 के सीएए विरोध प्रदर्शनों के लिए जिम्मेदार ठहराए गए हैं। उन्हें UAPA के तहत दिल्ली दंगों की साजिश के मामले में गिरफ्तार किया गया। दोनों ही मानवाधिकार रक्षक माने जाते हैं, जो भेदभावपूर्ण नागरिकता कानूनों का विरोध कर रहे थे।
2 सितंबर 2025 को दिल्ली हाईकोर्ट ने नौ सीएए कार्यकर्ताओं की जमानत याचिकाएं खारिज कर दीं, जिनमें से कुछ 2020 से 2,000 से अधिक दिनों से जेल में हैं। 12 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने उमर खालिद, शरजील इमाम, गुलफिशा फातिमा और मीरान हैदर की जमानत पर सुनवाई टाल दी, जो 19 सितंबर को फिर स्थगित हो गई।
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