अब तक की खबरें: छेड़छाड़ से परेशान दो आदिवासी छात्राओं ने एक साथ की खुदकुशी

सांकेतिक तस्वीर
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नई दिल्ली। देश भर से बीते 24 घंटों में महिला उत्पीड़न, बलात्कार की कई खबरें सामने आई हैं। खबरें आमजन के कल्याण से भी जुड़ी हुई है। द मूकनायक ऐसी ही खबरें न्यूज ब्रीफ में लेकर आया तो आपके लिए जरूरी है।

नासिर-जुनैद हत्याकांड का एक और आरोपी गिरफ्तार

राजस्थान पुलिस ने नासिर-जुनैद हत्या कांड के एक आरोपी को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार आरोपी अनिल मूलथान गुरुग्राम के नूंह जिले मूलथान गांव का रहने वाला है। डीग जिले के गोपालगढ़ थाना पुलिस ने गुरुग्राम के राजीव चौक से गिरफ्तार किया है। राजस्थान पुलिस इस मामले में पुलिस पूर्व में रिंकु सैनी, गौगी उर्फ मोनू, मोनू राणा, मोहित यादव उर्फ मोनू मानेसर को गिरफ्तार कर चुकी है।

आपको को बता दें कि, घाटमिका निवासी नासिर और जुनैद के जल हुए शव १६ फरवरी को एक वाहन में हरियाणा में मिले थे। तथा कथित गौ रक्षकों ने गौ तस्करी के आरोप में नासिर-जुनैद का अपहरण कर दोनों के हरियाणा में हत्या कर उन्हीं के वाहन में डाल कर जला दिया था।

छेड़छाड़ से परेशान दो आदिवासी छात्राओं ने एक साथ त्याग दिए प्राण

राजस्थान के प्रतापगढ़ जिले में छेड़छाड़ से परेशान होकर दो आदिवासी चचेरी बहनों ने आत्महत्या करली। रिश्ते में चचेरी बहन दोनो मृतक छात्राएं कक्षा12वीं कक्षा में पढ़ती थी। दोनो छात्राएं पढ़ाई के लिए गांव से दूर पीपलखूंट कस्बे में किराए का कमरा लेकर पढ़ाई कर रही थी। पुलिस ने इस मामले में एक नाबालिग सहपाठी को निरुद्ध कर दो अन्य युवकों को हिरासत में लिया है। मृतक छात्राओं के साथ दुष्कर्म की आशंका को लेकर भी पुलिस जाचं में जुटी है। पुलिस व परिजनों के अनुसार विद्यालय के ही कुछ छात्र इनके साथ छेडख़ानी करते थे। आरोप है कि सहपाठी छात्र अवैध संबंध बनाने के लिए दबाव बना रहे थे। इस सम्बंध में पूर्व में भी छात्राओं ने पीपलखूंट थाने में 6 अक्टूबर को शिकायत की थी। पुलिस में शिकायत के बावजूद गांव लौटते समय आरोपियो ने छात्राओं से छेड़छाड़ की। मारपीट की बात भी कही जा रही है। परिजनों ने बताया कि छात्राएं रात को अपने घर पहुंची थी। सुबह एक नाले के पास बुसुध अवस्था में मिली। परिजनों ने घंटाली अस्पताल पहुंचाया। हालत गंभीर होने पर दोनों को 108 एंबुलेंस से प्रतापगढ़ के जिला अस्पताल पहुंचाया गया। जहां चिकित्सकों ने दोनो को मृत घोशित कर दिया। सूचना पर घंटाली, पीपलखूंट, कोतवाली थाना अधिकारी सहित पुलिस के आला अधिकारी मौके पर पहुंचे। घंटाली थाना अधिकारी सोहनलाल ने बताया कि इस मामले में कुछ युवकों को डिटेल किया गया है।

अब सिलिकोसिस पीड़ितों की पहचान एआई आधारित एप्लीकेशन से

राजस्थान में पत्थर की खानों व पत्थर घिसाई मजदूरों के लिए राहत की खबर है। इन मजदूरों में सिलिकोसिस बीमारी की पहचान व प्रमाणीकरण के लिए एआई आधारित ऐप आ गया है। राज-सिलिकोसिस पोर्टल के माध्यम से एआई आधारित चेस्ट एक्स-रे हो सकेगा। नई तकनीक के आधार पर रेडियोलोजिस्ट को सिलिकोसिस पीड़ित की पहचानकर प्रमाण पत्र जारी करने में सहयोग मिलेगा तथा फर्जी प्रमाण पत्र के गड़बड़झाले को भी रोका जा सकेगा।

इसके लिए सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के शासन सचिव डॉ. समित शर्मा ने बताया कि राज सिलिकोसिस पोर्टल पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) आधारित एप्लीकेशन विकसित की गई है, जिसे नवीन सिलिकोसिस पोर्टल पर सिलिकोसिस प्रमाणीकरण प्रक्रिया में रेडियोलॉजिस्ट, मेडिकल ऑफिसर, तथा जिला न्यूमोकोनियोसिस बोर्ड के स्तर पर उपयोग करने हेतु क्रियाशील (लाइव) कर दिया गया है। इसका उद्घाटन हाल ही सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री टीकाराम जूली ने किया है।

एआई आधारित ऐप्लीकेशन के फायदे

उन्होंने एआई आधारित एप्लीकेशन के फायदे बताते हुए कहा कि एआई-सक्षम सिलिकोसिस स्क्रीनिंग सिस्टम समाज के सबसे कमजोर वर्गों को चिकित्सकीय सेवा और आर्थिक सहयोग प्रदान करेगा। यह ऐप्लीकेशन से चेस्ट एक्स-रे को डीप लर्निंग के आधार पर तय किए गए मानकों पर जांच करेगा। इससे फील्ड में कार्यरत रेडियोलोजिस्ट को चेस्ट एक्स-रे के माध्यम से सिलिकोसिस पीड़ित को पहचानने में सहायता मिलेगी तथा यह मानवीय त्रुटियों को कम करने में सहायक होगा।

इस तकनीक के माध्यम से रेडियोलोजिस्ट के कार्य भार में कमी होगी तथा प्राप्त आवेदनों में से जो लोग सिलिकोसिस से पीड़ित नहीं हैं, उनकी छटनी करने में आसानी होगी। त्वरित स्क्रीनिंग से शीघ्र चिकित्सा सहायता मिल सकेगी और स्वास्थ्य देखभाल संसाधनों पर बोझ कम होगा। बीमारी का शीघ्र पता लगने से समय पर हस्तक्षेप और उपचार की अनुमति मिल सकेगी, जिससे संभावित रूप से रोग की प्रगति को रोका जा सकेगा।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस क्या है?

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का अर्थ है बनावटी (कृत्रिम) तरीके से विकसित की गई बौद्धिक क्षमता है। इसके जरिये कंप्यूटर सिस्टम या रोबोटिक सिस्टम तैयार किया जाता है, जिसे उन्हीं तर्कों के आधार पर चलाने का प्रयास किया जाता है। जिसके आधार पर मानव मस्तिष्क काम करता है।

एआई आधारित ऐप्लीकेशन किस प्रकार कार्य करेगा?

एआई एप्सलीकेशन एक स्क्रीनिंग टूल है, जो तकनीक का उपयोग कर चेस्ट एक्स-रे की फाईडिंग का विश्लेषण कर सुझाव देगा कि जिस व्यक्ति का चेस्ट एक्स-रे है, उसे सिलिकोसिस की संभावना है या नहीं। सिलिकोसिस अनलाइकली तथा इस प्रकार यह एआई आधारित एप्लीकेशन रेडियोलॉजिस्ट के लिए सिलिकोसिस प्रमाणीकरण में निर्णय लेने में सहायता करेगा।

इस पहल का मूल एक उन्नत डीप लर्निंग मॉडल है, जिसमें व्यापक डेटासेट का उपयोग करके हर चरण में सावधानीपूर्वक विकसित और कठोरता से परीक्षण किया गया है इस हेतु राज्य भर से प्राप्त 40 हजार चेस्ट एक्स-रे छवियों का उपयोग किया गया है। इस प्रयास को वाधवानी इंस्टीट्यूट फॉर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की तकनीकी विशेषज्ञता द्वारा समर्थित किया गया है।

रेडियोलॉजिस्ट एवं सिलिकोसिस प्रमाण पत्र जारीकर्ता अधिकारी अपने चिकित्सकीय विवेक अनुसार प्रमाणीकरण हेतु पूर्व के समान निर्णय कर सकेंगे।

राजस्थान न्यूमोकोनोसिस लाइब्रेरी

जानकारी के अनुसार राज्य सरकार द्वारा न्यूमोकोनोसिस पॉलिसी राजस्थान-2019 लागू की गई थी। बीओसीडब्ल्यू सहित खनन श्रमिकों के कल्याण के लिए सिलिकोसिस नीति लागू करने वाला राजस्थान देश का पहला राज्य हैं। इस नीति में सिलिकोसिस ग्रस्त रोगियों को 3 लाख की सहायता राशि के अलावा 1.5 हजार रुपए प्रतिमाह की पेंशन सहित अन्य परिलाभों का प्रावधान है। निदेशालय द्वारा विशेष योग्यजन द्वारा राज सिलिकोसिस पोर्टल के माध्यम से सिलिकोसिस प्रमाणीकरण एवं भुगतान का कार्य किया जाता है। इस प्रक्रिया में लाभार्थी द्वारा आवेदन पश्चात रेडियोलोजिस्ट द्वारा चेस्ट एक्स-रे के विश्लेषण व जांच कर सिलिकोसिस से पीड़ित होने के बारे में प्रमाणीकरण किया जाता है।

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