TM Exclusive: डॉ. अम्बेडकर पर अभद्र टिप्पणी करने वाला अधिवक्ता अनिल मिश्रा निकला कांग्रेसी! पार्टी की विधिक सलाहकार समिति में था सदस्य

आज़ाद समाज पार्टी के नेताओं ने कहा कि मिश्रा का बयान संविधान, समानता और दलित स्वाभिमान के खिलाफ है।
डॉ. अम्बेडकर पर अभद्र टिप्पणी करने वाला अधिवक्ता अनिल मिश्रा निकला कांग्रेसी!
डॉ. अम्बेडकर पर अभद्र टिप्पणी करने वाला अधिवक्ता अनिल मिश्रा निकला कांग्रेसी!Internet
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भोपाल। ग्वालियर-चंबल संभाग में अधिवक्ता अनिल मिश्रा के विवादित बयान को लेकर तनाव गहराता जा रहा है। मिश्रा के कथित बयान में संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर को लेकर की गई अभद्र टिप्पणी के बाद क्षेत्र में दलित संगठनों, भीम आर्मी, आज़ाद समाज पार्टी और अन्य एससी-एसटी-ओबीसी संगठनों में गहरा आक्रोश देखा जा रहा है।

जहाँ एक ओर मिश्रा के खिलाफ विभिन्न संगठनों ने सख्त कार्रवाई की मांग की है, वहीं दूसरी ओर भिंड जिले की परशुराम सेना उसके समर्थन में खुलकर सामने आ गई है। सेना ने 15 अक्टूबर को ग्वालियर में शक्ति प्रदर्शन का ऐलान किया है, जिसके बाद से प्रशासन ने पूरे क्षेत्र में सतर्कता बढ़ा दी है। इधर, प्रशासन ने आरोपी के खिलाफ SC/ST एक्ट सहित BNS की गंभीर धाराओं में मामला दर्ज कर लिया है.

कांग्रेस से जुड़ाव को लेकर नया विवाद

मामले ने तब नया मोड़ ले लिया जब आज़ाद समाज पार्टी के नेता सुनील अस्तेय ने सोशल मीडिया पर एक पत्र साझा किया, जिसमें अधिवक्ता अनिल मिश्रा को कांग्रेस की विधिक सलाहकार समिति का सदस्य बताया गया था।

अस्तेय ने लिखा- “अभी जानकारी मिली है कि ग्वालियर का जातिवादी वकील अनिल मिश्रा कांग्रेस से जुड़ा हुआ है। अब सवाल यह उठता है कि क्या बाबा साहेब अंबेडकर और SC-ST-OBC समाज का अपमान कांग्रेस के इशारे पर किया जा रहा है? इस शर्मनाक कृत्य पर कांग्रेस के शीर्ष नेता जीतू पटवारी और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को देश के सामने जवाब देना चाहिए।”

इस पोस्ट के वायरल होने के बाद कांग्रेस की स्थिति असहज हो गई है।

ग्वालियर शहर कांग्रेस कमेटी का मनोनय पत्र
ग्वालियर शहर कांग्रेस कमेटी का मनोनय पत्र Internet

कांग्रेस ने दी सफाई, पर सवाल बरकरार

द मूकनायक द्वारा की गई पड़ताल में, कांग्रेस के प्रदेश संगठन महासचिव संजय कामले ने बताया कि “कांग्रेस की विधिक सलाहकार समिति पूर्व में भंग की जा चुकी है।”

हालांकि उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि, “भले ही समिति भंग की गई हो, लेकिन पार्टी ने अनिल मिश्रा को अब तक निष्कासित नहीं किया है।"

यह बयान साफ करता है कि ऐसे में उन्हें सदस्य माना जा सकता है।

संजय कामले ने आगे कहा, "पार्टी को अभी तक इस संबंध में ग्वालियर जिला कांग्रेस कमेटी से कोई शिकायत नहीं मिली है। यदि कोई शिकायत आती है तो अनुशासन समिति उस पर कार्रवाई करेगी।”

इस बयान से यह स्पष्ट होता है कि मिश्रा का कांग्रेस से औपचारिक नाता भले कमज़ोर हो, लेकिन सदस्यता संबंध अब तक समाप्त नहीं हुआ है।

खुद अनिल मिश्रा ने माना कांग्रेस से जुड़ाव

द मूकनायक से बातचीत में अधिवक्ता अनिल मिश्रा ने खुद माना कि वे कांग्रेस की विधिक सलाहकार समिति के सदस्य रह चुके हैं। उन्होंने कहा, - “मैं कांग्रेस की विधिक सलाहकार समिति में काम कर चुका हूं। पार्टी ने मुझे निष्कासित नहीं किया है।”

हालांकि अपने विवादित बयान पर उन्होंने कोई खेद या सफाई नहीं दी.

भीम आर्मी और आज़ाद समाज पार्टी का विरोध

भीम आर्मी नेता सुनील बैरसिया ने कहा, “जो लोग बाबा साहेब अंबेडकर के खिलाफ अमर्यादित भाषा बोलते हैं, वे देश के संविधान को चुनौती दे रहे हैं। ऐसे लोगों पर तत्काल कार्रवाई होनी चाहिए। यह न केवल अंबेडकर का अपमान है, बल्कि सामाजिक न्याय की भावना पर सीधा हमला है।”

आज़ाद समाज पार्टी के नेताओं ने कहा कि मिश्रा का बयान संविधान, समानता और दलित स्वाभिमान के खिलाफ है। उनका कहना है कि, “यह केवल एक व्यक्ति की टिप्पणी नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय की नींव पर हमला है। ऐसे लोगों को राजनीतिक संरक्षण मिलना लोकतंत्र के लिए खतरा है।”

दूसरी ओर समर्थन में उतरी परशुराम सेना

मामले के तूल पकड़ते ही भिंड जिले की परशुराम सेना मिश्रा के समर्थन में उतर आई है। संगठन ने 15 अक्टूबर को ग्वालियर में शक्ति प्रदर्शन करने की घोषणा की है। सेना के नेताओं ने कहा कि मिश्रा के बयान को तोड़ा-मरोड़ा जा रहा है और उनके खिलाफ राजनीतिक साजिश रची जा रही है। प्रशासन ने इस प्रदर्शन को देखते हुए चंबल क्षेत्र में पुलिस चौकसी बढ़ा दी है और सोशल मीडिया पर निगरानी तेज की गई है।

अब यह विवाद केवल सामाजिक या वैचारिक नहीं रहा, बल्कि राजनीतिक रंग ले चुका है। कांग्रेस के लिए यह मामला इसलिए संवेदनशील हो गया है क्योंकि पार्टी लगातार डॉ. अंबेडकर, संविधान और सामाजिक न्याय की बात करती रही है। ऐसे में पार्टी से जुड़े अधिवक्ता द्वारा बाबा साहब पर अभद्र टिप्पणी करना कांग्रेस की विचारधारा और नेतृत्व की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिह्न खड़ा करता है।

प्रशासन ने बढ़ाई सतर्कता, सोशल मीडिया पर निगरानी

इस पूरे विवाद को देखते हुए ग्वालियर जिला प्रशासन और पुलिस विभाग ने विशेष सतर्कता बरतनी शुरू कर दी है। प्रशासन ने संवेदनशील इलाकों में पुलिस बल बढ़ा दिया है और सोशल मीडिया पर भी कड़ी निगरानी रखी जा रही है। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि कुछ अकाउंट्स की पहचान की जा चुकी है जो उकसाने वाले संदेश प्रसारित कर रहे हैं, उन पर नजर रखी जा रही है।

ग्वालियर के पुलिस अधीक्षक धर्मवीर सिंह ने कहा कि “प्रशासन शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है। किसी को भी कानून हाथ में लेने की अनुमति नहीं दी जाएगी। जो भी व्यक्ति सोशल मीडिया पर भड़काऊ पोस्ट करेगा या माहौल बिगाड़ने की कोशिश करेगा, उसके खिलाफ आईटी एक्ट और अन्य धाराओं के तहत कड़ी कार्रवाई की जाएगी।”

पुलिस ने दोनों पक्षों से अपील की है कि वे संयम बरतें और अफवाहों से दूर रहें। इसके अलावा, 15 अक्टूबर को ग्वालियर में बड़ी भीड़ जुटने की आशंका को देखते हुए धारा 144 लागू करने की तैयारी भी की जा रही है।

अब पूरे ग्वालियर संभाग की नजरें 15 अक्टूबर पर टिक गई हैं, जिस दिन परशुराम सेना ने शक्ति प्रदर्शन का एलान किया है। प्रशासन के अनुसार, सेना के समर्थक ग्वालियर के विभिन्न इलाकों में एकत्र होने की योजना बना रहे हैं, जिससे शहर में भीड़ बढ़ने और झड़प की आशंका है।

पुलिस ने ग्वालियर शहर के सभी संवेदनशील इलाकों की सूची तैयार कर ली है और अतिरिक्त बल की तैनाती की जा रही है। रेसकोर्स रोड, फूलबाग, हजीरा और महाराज बाड़ा जैसे इलाकों में पुलिस की गश्त बढ़ा दी गई है। साथ ही, प्रशासन ने खुफिया विभाग को अलर्ट मोड पर रखा है, ताकि किसी भी संभावित विवाद को पहले ही रोका जा सके।

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