भोपाल। ग्वालियर के अधिवक्ता अनिल मिश्रा के विवादित बयान को लेकर ग्वालियर-चंबल संभाग में तनाव गहराता जा रहा है। मिश्रा के बयान पर एक ओर भीम आर्मी, आज़ाद समाज पार्टी, और अन्य एससी, एसटी, ओबीसी संगठनों ने कड़ा विरोध जताया है, वहीं दूसरी ओर भिंड जिले की परशुराम सेना उनके समर्थन में खुलकर सामने आ गई है। सेना ने 15 अक्टूबर को ग्वालियर में शक्ति प्रदर्शन करने का ऐलान किया है, जिसके बाद से पूरे क्षेत्र में प्रशासन की चौकसी बढ़ा दी गई है। इस विवाद ने अब राजनीतिक रंग भी ले लिया है और सोशल मीडिया पर दोनों पक्षों के समर्थक एक-दूसरे के खिलाफ मोर्चा खोल चुके हैं।
अनिल मिश्रा द्वारा दिया गया कथित बयान से संविधान निर्माता डॉ. अंबेडकर के अनुयायी और उनके विचारों को मानने वाले लोगों की भावनाएं आहात होने का आरोप है। भीम आर्मी और आज़ाद समाज पार्टी ने कहा है कि मिश्रा का बयान संविधान और बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर की विचारधारा के खिलाफ है। संगठनों का कहना है कि यह केवल एक व्यक्ति की टिप्पणी नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय और समानता की भावना पर सीधा प्रहार है।
भीम आर्मी के नेता सुनील बैरसिया ने द मूकनायक से बातचीत में कहा, “जो लोग बाबा साहब अंबेडकर के खिलाफ अमर्यादित भाषा बोलते हैं, वे देश के संविधान को चुनौती दे रहे हैं। ऐसे लोगों पर तत्काल कार्रवाई होनी चाहिए।”
बहुजन संगठनों ने चेतावनी दी है कि यदि प्रशासन ने ऐसे लोगों पर सख्त कार्रवाई नहीं की, तो आने वाले दिनों में राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन किए जाएंगे। विरोधी संगठनों ने यह भी कहा है कि समाज में नफरत फैलाने वाले बयानों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
वहीं दूसरी ओर, भिंड जिले की परशुराम सेना ने वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल मिश्रा के समर्थन में खुलकर मोर्चा खोल दिया है। सेना ने स्पष्ट कहा है कि मिश्रा के खिलाफ की जा रही टिप्पणियों और धमकियों का जवाब सड़कों पर दिया जाएगा। सेना के जिला अध्यक्ष देवेश शर्मा ने कहा - “जो लोग जूते की माला पहनाने की बात कर रहे हैं, उनमें दम है तो 15 अक्टूबर को ग्वालियर आकर दिखाएं। परशुराम सेना वहां मौजूद रहेगी और सबक सिखाएगी।”
शर्मा ने आगे कहा कि “सवर्ण समाज अब तक शांत है, लेकिन यदि मर्यादा की सीमा लांघी गई तो जवाब देना भी जानता है।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि अनिल मिश्रा एक वरिष्ठ अधिवक्ता हैं और उनके साथ किसी प्रकार की बदसलूकी या अपमानजनक व्यवहार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
सेना के इस बयान ने ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में तनाव को और बढ़ा दिया है। कई जगहों पर समर्थक सोशल मीडिया पर एकजुटता दिखा रहे हैं और 15 अक्टूबर को ग्वालियर पहुंचने की अपील कर रहे हैं।
इस पूरे विवाद को देखते हुए ग्वालियर जिला प्रशासन और पुलिस विभाग ने विशेष सतर्कता बरतनी शुरू कर दी है। प्रशासन ने संवेदनशील इलाकों में पुलिस बल बढ़ा दिया है और सोशल मीडिया पर भी कड़ी निगरानी रखी जा रही है। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि कुछ अकाउंट्स की पहचान की जा चुकी है जो उकसाने वाले संदेश प्रसारित कर रहे हैं, उन पर नजर रखी जा रही है।
ग्वालियर के पुलिस अधीक्षक धर्मवीर सिंह ने कहा कि “प्रशासन शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है। किसी को भी कानून हाथ में लेने की अनुमति नहीं दी जाएगी। जो भी व्यक्ति सोशल मीडिया पर भड़काऊ पोस्ट करेगा या माहौल बिगाड़ने की कोशिश करेगा, उसके खिलाफ आईटी एक्ट और अन्य धाराओं के तहत कड़ी कार्रवाई की जाएगी।”
पुलिस ने दोनों पक्षों से अपील की है कि वे संयम बरतें और अफवाहों से दूर रहें। इसके अलावा, 15 अक्टूबर को ग्वालियर में बड़ी भीड़ जुटने की आशंका को देखते हुए धारा 144 लागू करने की तैयारी भी की जा रही है।
अब पूरे ग्वालियर संभाग की नजरें 15 अक्टूबर पर टिक गई हैं, जिस दिन परशुराम सेना ने शक्ति प्रदर्शन का एलान किया है। प्रशासन के अनुसार, सेना के समर्थक ग्वालियर के विभिन्न इलाकों में एकत्र होने की योजना बना रहे हैं, जिससे शहर में भीड़ बढ़ने और झड़प की आशंका है।
पुलिस ने ग्वालियर शहर के सभी संवेदनशील इलाकों की सूची तैयार कर ली है और अतिरिक्त बल की तैनाती की जा रही है। रेसकोर्स रोड, फूलबाग, हजीरा और महाराज बाड़ा जैसे इलाकों में पुलिस की गश्त बढ़ा दी गई है। साथ ही, प्रशासन ने खुफिया विभाग को अलर्ट मोड पर रखा है, ताकि किसी भी संभावित विवाद को पहले ही रोका जा सके।
शहर में फिलहाल शांति है, लेकिन माहौल में तनाव की हल्की लहर महसूस की जा रही है। कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कहा है कि यह स्थिति सामाजिक सद्भाव को कमजोर कर सकती है, इसलिए दोनों पक्षों को संवाद और संयम का रास्ता अपनाना चाहिए।
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