कौन हैं ये अमरीकी पॉलिटिशियन जिन्हें बीमार मां से मिलने नहीं दे रही भारत सरकार—वीज़ा आवेदन बार-बार क्यों हो रहे निरस्त?

अमेरिका के सिएटल शहर में जाति-विरोधी कानून की पैरवीकार क्षमा सावंत की मानवीय अपील नहीं सुन रही केंद्र सरकार: फरवरी 2020 में CAA-NRC नागरिकता कानूनों की निंदा करने के प्रस्ताव के बाद अमरीकी हिंदू संगठन हुए थे बेहद नाराज, भारतीय वाणिज्य दूतावास-सैन फ्रांसिस्को ने प्रस्ताव के विरोध में सिटी काउंसिल को भेजा था पत्र
क्षमा 2014 से 2024 तक सिएटल सिटी काउंसिल की सदस्य रहीं जो अपने समाजवादी विचार और मोदी सरकार की आलोचना के लिए पहचानी जाती हैं.
क्षमा 2014 से 2024 तक सिएटल सिटी काउंसिल की सदस्य रहीं जो अपने समाजवादी विचार और मोदी सरकार की आलोचना के लिए पहचानी जाती हैं.
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नई दिल्ली- अमरीका में पहली बार सिएटल शहर में ऐतिहासिक जाति-आधारित भेदभाव प्रतिबंध क़ानून पास करवाने के लिए जानी जाने वाली भारतीय-अमेरिकी राजनेता और अर्थशास्त्री क्षमा सावंत को भारत सरकार वीज़ा नहीं दे रही है. अपनी बीमार मां से मिलने बंगलुरु आने के लिए क्षमा पिछले सात महीनों में 3 बार वीज़ा अप्लाई कर चुकी है लेकिन वे लगातार प्रयास करने के बावजूद हर बार अस्वीकृति का सामना कर रही हैं।

सावंत ने मई 2024 से अब तक तीन बार भारतीय वीजा के लिए आवेदन किया है, क्षमा का आरोप है कि मोदी सरकार "राजनीतिक प्रतिशोध" के तहत जानबूझकर उनके प्रवेश को रोक रही है।

उनकी 82 वर्षीय मां, सेवानिवृत्त प्रिंसिपल वसुंधरा रामानुजम के स्वास्थ्य में लगातार गिरावट के कारण, सावंत और उनके पति कैल्विन प्रीस्ट ने 9 जनवरी को सिएटल में भारत के महावाणिज्य दूतावास में आपातकालीन प्रवेश वीजा के लिए आवेदन किया, यहां तक कि तत्कालता (urgency) को प्रमाणित करने के लिए डॉक्टर का पत्र भी जमा किया। लेकिन कुछ दिनों के भीतर जवाब का आश्वासन दिए जाने के बावजूद, उन्हें कोई जवाब, स्पष्टीकरण, या कोई स्वीकृति नहीं प्राप्त हुई है। कॉन्सुल ऑफिसर इनचार्ज को बार-बार कॉल करने पर वे भी कोई जवाब नहीं दे रहे हैं।

अपने वीजा अस्वीकरण के संबंध में भारतीय अधिकारियों से कोई आधिकारिक जवाब नहीं मिलने से परेशान क्षमा ने द मूकनायक को बताया, "मेरे ई-वीजा के लिए आवेदन 29 मई, 2024 को अस्वीकार कर दिया गया था। मैंने फिर से ई-वीजा के लिए आवेदन किया, और वह भी 7 जून, 2024 को अस्वीकार कर दिया गया। मेरे ई-वीजा अनुरोध को दो बार क्यों अस्वीकार किया गया, इसके लिए कभी कोई कारण नहीं बताया गया। हर बार, जवाब में बस यही स्टेट्स दिखाया जाता है - 'आवेदन स्थिति: अस्वीकृत'। फिर 9 जनवरी को, मेरे पति कैल्विन प्रीस्ट और मैंने मेरी मां के बिगड़ते स्वास्थ्य के कारण सिएटल में भारत के महावाणिज्य दूतावास में आपातकालीन प्रवेश वीजा के लिए आवेदन किया। हमने आवेदन के साथ मेरी मां के डॉक्टर का पत्र भी संलग्न किया। उस समय हमें बताया गया था कि हम एक या दो दिनों के भीतर जवाब की उम्मीद कर सकते हैं। "

"हमारे आपातकालीन प्रवेश वीजा आवेदन का कोई जवाब न मिलने के एक सप्ताह बाद, कैल्विन और मैं Consulate General of India के ऑफिस गए और कार्यालय प्रभारी, सुरेश कुमार शर्मा से मिले और उनसे पूछा कि हमें अपने आवेदन का कोई जवाब क्यों नहीं मिला है। आज तक हमारे आपातकालीन प्रवेश वीजा आवेदन का कोई जवाब नहीं आया है। हमने शर्मा को फोन पर कई बार कॉल किया लेकिन उन्होंने कॉल का जवाब नहीं दिया।"

क्षमा की मां  वसुंधरा रामानुजम एट्रियल फिब्रिलेशन, सीओपीडी, क्रोनिक किडनी डिजीज, डायबिटीज मेलिटस, हाइपरटेंशन और इस्केमिक हार्ट डिजीज के लिए 2 साल से  उपचाररत हैं और वतर्मान में इनकी स्थिति नाजुक है।
क्षमा की मां वसुंधरा रामानुजम एट्रियल फिब्रिलेशन, सीओपीडी, क्रोनिक किडनी डिजीज, डायबिटीज मेलिटस, हाइपरटेंशन और इस्केमिक हार्ट डिजीज के लिए 2 साल से उपचाररत हैं और वतर्मान में इनकी स्थिति नाजुक है।

इधर बीते दो वर्षों से कई गंभीर रोगों से पीड़ित क्षमा की वृद्ध माँ ने एक भावपूर्ण विडियो मैसेज में कहा - मैं 82 साल की हूँ, अक्सर बीमार रहती हूँ, मैं अपनी बेटी से मिलना चाहती हूँ, उसे भारत आने की इजाज़त डी जाए ताकि मैं अपनी बेटी को एक बार देख सकूं".

क्षमा ने 13 जून, 2024 को विदेश मंत्री एस. जयशंकर को एक पत्र भी भेजा था, जिसमें उनसे 26 जून से 15 जुलाई तक बेंगलुरु की यात्रा की अनुमति देने का अनुरोध किया गया था। लेकिन उन्हें उनसे कोई स्वीकृति या जवाब नहीं मिला। "मैंने उन्हें अपनी मां की स्वास्थ्य स्थिति के बारे में बताया जो एट्रियल फिब्रिलेशन, सीओपीडी, क्रोनिक किडनी डिजीज, डायबिटीज मेलिटस, हाइपरटेंशन और इस्केमिक हार्ट डिजीज के लिए 2 साल से अस्पताल में इलाज करा रही हैं। मैंने डॉक्टर का पत्र भी संलग्न किया जिसमें उनके बिगड़ते स्वास्थ्य को देखते हुए उनके पास होने की आवश्यकता बताई गई थी।" क्षमा ने कहा कि वह और उनके पति केवल मां और अन्य परिवार के सदस्यों से मिलने के लिए भारत आना चाहते हैं, किसी अन्य कारण से नहीं।

आपातकालीन प्रवेश वीजा के लिए आवेदन  के साथ लगाया गया डॉक्टर का पत्र
आपातकालीन प्रवेश वीजा के लिए आवेदन के साथ लगाया गया डॉक्टर का पत्र

क्षमा ने ये भी बताया कि आपातकालीन वीजा आवेदन के हिस्से के रूप में दूतावास ने दोनों का अमेरिकी पासपोर्ट ले लिया। "जब तक वे हमारे आवेदन की स्थिति के बारे में हमें जवाब देने से इनकार करते हैं, तब तक यह भी कोई संकेत नहीं है कि वे हमारे अमेरिकी पासपोर्ट कब और कैसे लौटाएंगे, जिन्हें हमसे लेने का उन्हें कोई अधिकार नहीं है। यह भी हमारे लिए एक बेहद चिंता का विषय है। उनके पास अब हमारे पासपोर्ट तीन हफ्ते से भी ज्यादा समय से हैं।"

क्या सिएटल में जाति-विरोधी कानून की पैरवी है वीजा अस्वीकरण का कारण?

क्षमा से जब पूछा गया कि क्या सिएटल में जाति-विरोधी कानून में उनकी अग्रणी भूमिका, जिसका हिंदू संगठनों ने जोरदार विरोध किया था, वीजा अस्वीकरण का कारण है? क्षमा ने इसपर हामी भरी। उन्होने कहा, "इस समय बीजेपी सरकार द्वारा एक political rejection (राजनीतिक अस्वीकरण) के अलावा कोई अन्य संभावित कारण नहीं है। मैं 2014 से 2023 के अंत तक दस साल तक सिएटल सिटी काउंसिल में एक समाजवादी और कामकाजी वर्ग की प्रतिनिधि थी। उस दौरान, मैंने अपने कार्यालय का उपयोग सिएटल में $15/घंटा न्यूनतम वेतन जीतने के लिए कामकाजी लोगों और समुदाय के सदस्यों के जन आंदोलनों को बनाने के लिए किया, अब वहां वेतन $20.76/घंटा है, जो संयुक्त राज्य अमेरिका में सबसे अधिक न्यूनतम वेतन है। कामकाजी लोगों को संगठित करते हुए, मेरे कार्यालय ने किफायती आवास के प्रमुख विस्तार को वित्तपोषित करने के लिए अमेज़ॉन टैक्स में भी विजय पाई। फरवरी 2020 में, हमने मोदी और बीजेपी सरकार के मुस्लिम-विरोधी, गरीब-विरोधी सीएए एनआरसी नागरिकता कानूनों की निंदा करने वाला एक प्रस्ताव पास करवाया। भारतीय वाणिज्य दूतावास सैन फ्रांसिस्को ने मेरे प्रस्ताव का विरोध करते हुए सिटी काउंसिल को एक पत्र भेजा। हमें अमेरिका स्थित कई दक्षिणपंथी हिंदुत्व और मोदी समर्थकों का भी विरोध का सामना करना पड़ा।"

उन्होंने आगे कहा, "फरवरी 2023 में, मेरे कार्यालय ने, हजारों दक्षिण एशियाई और अमेरिकी कामकाजी लोगों के साथ, जाति-आधारित भेदभाव पर ऐतिहासिक प्रतिबंध जीता। हमारा सबसे प्रमुख विरोधी विश्व हिंदू परिषद था, जो बीजेपी से जुड़े संगठनों में से एक है। इसके अलावा हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन और कोएलिशन ऑफ हिंदूज ऑफ नॉर्थ अमेरिका ने भी हमारे खिलाफ मोर्चा संभाला। इसमें कोई संदेह नहीं है कि मोदी सरकार ने, अमेरिका में अपने समर्थकों की मदद से, मेरे सिटी काउंसिल कार्यालय द्वारा जीते गए इस सीएए-एनआरसी विरोधी और जाति-विरोधी कानून का विरोध किया और वे मेरे राजनीतिक विचारों से अवगत हैं"।

वर्तमान में क्षमा वीजा के इनकार को कानूनी रूप से चुनौती देने पर विचार कर रही हैं। एक ऑनलाइन पेटीशन भी शुरू किया गया है जिसमे बताया गया है कि भारत सरकार केवल क्षमा ही नहीं बल्कि अन्य अम्बेडकरवादी एक्टिविस्ट और शिक्षाविदों को वीज़ा नहीं देकर उनकी देश में एंट्री ब्लॉक कर रही है जो अमानवीय और गैर कानूनी है.

क्षमा ने बताया, "आगे की योजना में हम कांग्रेस (अमरीकी संसद) सदस्यों प्रमिला जयपाल और रो खन्ना और अन्य निर्वाचित अधिकारियों का सहयोग लेकर मोदी शासन को सार्वजनिक रूप से मेरे पति और मुझे बीमार मां से मिलने के लिए भारत यात्रा की अनुमति देने का आग्रह करेंगे "।

क्षमा 2014 से 2024 तक सिएटल सिटी काउंसिल की सदस्य रहीं जो अपने समाजवादी विचार और मोदी सरकार की आलोचना के लिए पहचानी जाती हैं.
भारत की बेटी क्षमा बनी अमरीकी शहर में जातिगत भेदभाव पर अंकुश लगाने वाला चेहरा

इन आलोचकों पर भारत में प्रवेश पर लगाई गई रोक

बहुजन विद्वानों ने क्षमा सावंत को वीजा देने से इनकार करने की भारत सरकार की कार्रवाई की कड़ी निंदा की है, इसे अन्यायपूर्ण और अमानवीय बताया है। जाति-विरोधी कार्यकर्ता अनिल एच. वाघडे ने कहा, "क्षमा की मां मृत्युशय्या पर हैं और आखिरी बार उन्हें देखना चाहती हैं। वीजा जारी करने के लिए जिम्मेदार लोगों को करुणा के साथ काम करना चाहिए।"

देश में प्रवेश पर प्रतिबन्ध लगाने की यह पहली घटना नहीं है, इससे पहले भी कई जनों पर भारत सरकार ने रोक लगाई है, फरवरी 2024 में ब्रिटेन की वेस्टमिंस्टर यूनिवर्सिटी में भारतीय मूल की प्रोफेसर नीताशा कौल को कर्नाटक सरकार के आमंत्रण पर एक कार्यक्रम में भाग लेने बेंगलुरु एयरपोर्ट पहुंचने पर प्रवेश से रोक दिया गया और उन्हें वापस भेज दिया गया।

वहीं स्वीडन के उप्साला विश्वविद्यालय में  Department of Peace and Conflict Research के प्रमुख प्रोफेसर अशोक स्वैन का ओवरसीज सिटिजन ऑफ इंडिया (OCI) कार्ड केंद्र सरकार ने 2023 में रद्द कर दिया था। स्वैन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार की आलोचना करने के लिए जाने जाते हैं। स्वैन ने इस मुद्दे पर दिल्ली न्यायालय में याचिका भी लगाई है.

इसी क्रम में ब्रिटिश नागरिक और पत्रकार तवलीन सिंह तथा दिवंगत पाकिस्तानी राजनेता और व्यवसायी सलमान तसीर के बेटे लेखक आतिश तसीर का OCI कार्ड भी 2019 में रद्द कर दिया गया था। तसीर के पास 2015 तक पर्सन ऑफ इंडियन ऑरिजिन कार्ड था, जिसे बाद में OCI कार्ड योजना में विलय कर दिया गया। सरकार का दावा था कि तसीर ने "बुनियादी आवश्यकताओं" का पालन नहीं किया और जानकारी छिपाई।

मोदी सरकार द्वारा आतिश तसीर का OCI कार्ड रद्द करने के पीछे कथित तौर पर उनका टाइम मैगजीन का वह विवादित लेख था, जो उस साल के राष्ट्रीय चुनाव के बाद प्रकाशित हुआ था। इस कवर स्टोरी में तसीर ने प्रधानमंत्री मोदी को "भारत का विभाजनकारी मुखिया" ( India's Divider In Chief) करार दिया था और सवाल उठाया था कि क्या भारत उनकी सरकार के पांच और साल झेल सकता है?

क्षमा 2014 से 2024 तक सिएटल सिटी काउंसिल की सदस्य रहीं जो अपने समाजवादी विचार और मोदी सरकार की आलोचना के लिए पहचानी जाती हैं.
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क्षमा 2014 से 2024 तक सिएटल सिटी काउंसिल की सदस्य रहीं जो अपने समाजवादी विचार और मोदी सरकार की आलोचना के लिए पहचानी जाती हैं.
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