SC-ST के लिए नौकरियों में नया अड़ंगा! BHEL के बाद अब RITES पर उठे सवाल— कैसे हो रही बहुजन अधिकारों की अनदेखी?

विज्ञापन में चार श्रेणियों – इंजीनियर, असिस्टेंट मैनेजर, मैनेजर और सीनियर मैनेजर के पदों की भर्ती होनी है, लेकिन इसमें यह स्पष्ट नहीं किया गया कि SC, ST और OBC उम्मीदवारों के लिए कितने पद आरक्षित हैं।
अम्बेडकरवादी चिंतक मानते हैं कि यह विवाद सिर्फ BHEL या RITES तक सीमित नहीं है। अगर PSU कंपनियां SC/ST उम्मीदवारों से भर्ती शुल्क वसूलने की नीति अपनाती हैं, तो यह व्यापक स्तर पर बहुजन समुदाय के सरकारी नौकरियों में प्रतिनिधित्व को प्रभावित कर सकता है।
अम्बेडकरवादी चिंतक मानते हैं कि यह विवाद सिर्फ BHEL या RITES तक सीमित नहीं है। अगर PSU कंपनियां SC/ST उम्मीदवारों से भर्ती शुल्क वसूलने की नीति अपनाती हैं, तो यह व्यापक स्तर पर बहुजन समुदाय के सरकारी नौकरियों में प्रतिनिधित्व को प्रभावित कर सकता है।ग्राफिक- आसिफ निसार
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नई दिल्ली – सार्वजनिक क्षेत्र की इंजीनियरिंग और कंसल्टेंसी कंपनी RITES LIMITED (रेल इंडिया टेक्निकल एंड इकोनॉमिक सर्विस) की नई भर्ती विज्ञप्ति को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर नेशनल एसोसिएशन ऑफ इंजीनियर्स (BANAE) ने भर्ती प्रक्रिया में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC), अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) उम्मीदवारों के साथ कथित भेदभाव को लेकर RITES को कानूनी नोटिस भेजा है।

संगठन ने RITES के CMD (चेयरमैन और प्रबंध निदेशक) को भेजे गए इस कानूनी नोटिस में आरोप लगाया है कि भर्ती विज्ञापन संख्या M/1/25 - M/60/25 में SC/ST उम्मीदवारों से ₹300 शुल्क लिया जा रहा है, जो कि सरकार की नीतियों के खिलाफ है।

BANAE के वकील एस. एल. विशाल ने बताया RITES का यह कदम कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (DoPT) के 1 जुलाई 1985 के आदेश का सीधा उल्लंघन है। DoPT के आदेश संख्या 36011/3/84-Estt. (SCT) दिनांक 1 जुलाई 1985 में स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि SC/ST उम्मीदवारों को किसी भी भर्ती परीक्षा में आवेदन शुल्क से छूट दी जाएगी।

नोटिस में कहा गया है कि सरकार के इस निर्देश का उद्देश्य सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े समुदायों को समान अवसर देना है, लेकिन RITES ने ₹300 शुल्क लगाकर संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) और अनुच्छेद 16 (समान अवसर का अधिकार) का उल्लंघन किया है।

 DoPT के आदेश संख्या 36011/3/84-Estt. (SCT) दिनांक 1 जुलाई 1985 में स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि SC/ST उम्मीदवारों को किसी भी भर्ती परीक्षा में आवेदन शुल्क से छूट दी जाएगी।
DoPT के आदेश संख्या 36011/3/84-Estt. (SCT) दिनांक 1 जुलाई 1985 में स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि SC/ST उम्मीदवारों को किसी भी भर्ती परीक्षा में आवेदन शुल्क से छूट दी जाएगी।

20 दिन की आवेदन अवधि भी नियमों के खिलाफ, संविधान के आरक्षण नियमों की अनदेखी

कानूनी नोटिस में इस बात पर भी सवाल उठाया गया है कि RITES ने केवल 20 दिन की आवेदन अवधि तय की है, जो कि गृह मंत्रालय (MHA) के 1953 और 1956 के आदेशों का उल्लंघन है।

MHA के OM संख्या 71/12/53-DGS दिनांक 12 मार्च 1953 और OM संख्या 71/146/54-CS(C) दिनांक 2 मार्च 1956 के अनुसार, किसी भी सरकारी या PSU भर्ती के लिए कम से कम 60 दिनों की अधिसूचना अवधि अनिवार्य है।

नोटिस में कहा गया है कि विज्ञापन में चार श्रेणियों – इंजीनियर, असिस्टेंट मैनेजर, मैनेजर और सीनियर मैनेजर के पदों की भर्ती होनी है, लेकिन इसमें यह स्पष्ट नहीं किया गया कि SC, ST और OBC उम्मीदवारों के लिए कितने पद आरक्षित हैं।

संविधान के अनुच्छेद 15(4) और 16(4) के तहत सरकारी नौकरियों में आरक्षण सुनिश्चित करना अनिवार्य है, लेकिन RITES के इस विज्ञापन में आरक्षित वर्ग की स्थिति स्पष्ट नहीं की गई है, जिससे संदेह पैदा होता है कि यह सरकारी आरक्षण नीति का उल्लंघन कर सकता है।

अम्बेडकरवादी चिंतक मानते हैं कि यह विवाद सिर्फ BHEL या RITES तक सीमित नहीं है। अगर PSU कंपनियां SC/ST उम्मीदवारों से भर्ती शुल्क वसूलने की नीति अपनाती हैं, तो यह व्यापक स्तर पर बहुजन समुदाय के सरकारी नौकरियों में प्रतिनिधित्व को प्रभावित कर सकता है।
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नोटिस में भर्ती विज्ञापन जारी करने वाले प्राधिकरण (Authority) की पहचान पर भी सवाल उठाया गया है। यह स्पष्ट नहीं है कि विज्ञापन किस अधिकारी ने जारी किया है।

चूंकि अधिसूचना जारी करने वाले प्राधिकरण का उल्लेख नहीं किया गया है, इसलिए BANAE ने यह कानूनी नोटिस सीधे RITES के CMD को भेजा है।

बहुजन संगठनों ने सवाल उठाया है कि RITES ने सूचना और प्रसारण मंत्रालय (Ministry of Information and Broadcasting) के उन नियमों का पालन किया या नहीं, जो सरकारी भर्तियों के लिए अनिवार्य रूप से ‘एम्प्लॉयमेंट न्यूज़’ और अन्य माध्यमों में व्यापक प्रचार सुनिश्चित करने के लिए बनाए गए हैं।

यदि इन नियमों का पालन नहीं किया गया, तो इसका सीधा असर ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों में रहने वाले SC/ST उम्मीदवारों पर पड़ेगा, जो समय पर विज्ञापन के बारे में जानकारी नहीं मिलने के कारण आवेदन नहीं कर पाएंगे।

अम्बेडकरवादी चिंतक मानते हैं कि यह विवाद सिर्फ BHEL या RITES तक सीमित नहीं है। अगर PSU कंपनियां SC/ST उम्मीदवारों से भर्ती शुल्क वसूलने की नीति अपनाती हैं, तो यह व्यापक स्तर पर बहुजन समुदाय के सरकारी नौकरियों में प्रतिनिधित्व को प्रभावित कर सकता है।
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‘बहुजन समुदाय के हक पर चोट’, संगठनों ने कहा- सरासर हकमारी

बहुजन संगठनों ने इस भर्ती विज्ञापन को "हकमारी" करार देते हुए कहा कि SC/ST उम्मीदवारों से ₹300 शुल्क वसूलना संविधान और सामाजिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन है।

अंबेडकरवादी संगठनों और बहुजन इंजीनियरों के संगठन BANAE ने मांग की है कि RITES इस विज्ञापन को तुरंत वापस ले और एक नया विज्ञापन जारी करे, जिसमें SC/ST उम्मीदवारों को पूरी छूट दी जाए और न्यूनतम 60 दिनों का आवेदन समय दिया जाए।

हाल ही में BHEL (भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड) की भर्ती विज्ञप्ति में भी SC/ST उम्मीदवारों से प्रोसेसिंग फीस वसूलने को लेकर विवाद हुआ था। अब RITES की नई भर्ती नीति भी बहुजन समुदाय के विरोध का केंद्र बन गई है।

BANAE ने चेतावनी दी है कि यदि RITES ने 7 दिनों के भीतर विज्ञापन को वापस नहीं लिया, तो वह उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर कानूनी कार्रवाई करेगी।

अब तक RITES की ओर से इस मामले पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। The Mooknayak ने इस मामले पर RITES से प्रतिक्रिया लेने के लिए संपर्क किया है। जवाब मिलने पर खबर अपडेट की जाएगी.

BANAE के राष्ट्रीय अध्यक्ष नागसेन सोनारे कहते हैं," हमने बीएचईएल (BHEL) के सीएमडी को इंजीनियर ट्रेनी और सुपरवाइजर ट्रेनी की भर्ती के हालिया विज्ञापन में एससी-एसटी से अवैध रूप से प्रोसेसिंग फीस लेने के खिलाफ चेतावनी जारी की है।

सभी सदस्यों को सतर्क रहने की आवश्यकता है क्योंकि विभिन्न सरकारी विभागों, संस्थानों, विश्वविद्यालयों और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (PSU) में ब्राह्मण वर्चस्ववादियों द्वारा एससी-एसटी, ओबीसी और अल्पसंख्यकों के खिलाफ षड्यंत्र किए जा रहे हैं।

यदि विज्ञापन वापस नहीं लिया गया तो हम अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989,  के तहत एफआईआर दर्ज कराने की प्रक्रिया शुरू करेंगे।"

अम्बेडकरवादी चिंतक मानते हैं कि यह विवाद सिर्फ BHEL या RITES तक सीमित नहीं है। अगर PSU कंपनियां SC/ST उम्मीदवारों से भर्ती शुल्क वसूलने की नीति अपनाती हैं, तो यह व्यापक स्तर पर बहुजन समुदाय के सरकारी नौकरियों में प्रतिनिधित्व को प्रभावित कर सकता है। अब देखना यह होगा कि RITES अपने भर्ती विज्ञापन को संशोधित करता है या नहीं। यदि ऐसा नहीं हुआ, तो यह मामला न्यायिक हस्तक्षेप की ओर बढ़ सकता है।

अम्बेडकरवादी चिंतक मानते हैं कि यह विवाद सिर्फ BHEL या RITES तक सीमित नहीं है। अगर PSU कंपनियां SC/ST उम्मीदवारों से भर्ती शुल्क वसूलने की नीति अपनाती हैं, तो यह व्यापक स्तर पर बहुजन समुदाय के सरकारी नौकरियों में प्रतिनिधित्व को प्रभावित कर सकता है।
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अम्बेडकरवादी चिंतक मानते हैं कि यह विवाद सिर्फ BHEL या RITES तक सीमित नहीं है। अगर PSU कंपनियां SC/ST उम्मीदवारों से भर्ती शुल्क वसूलने की नीति अपनाती हैं, तो यह व्यापक स्तर पर बहुजन समुदाय के सरकारी नौकरियों में प्रतिनिधित्व को प्रभावित कर सकता है।
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