BHEL के विज्ञापन से SC/ST उम्मीदवार नाराज़: 40 वर्ष पुराने नियम का कैसे हो रहा उल्लंघन?

DoPT के वर्ष 1985 के दिशा-निर्देशों के अनुसार, एससी/एसटी उम्मीदवारों को किसी भी भर्ती परीक्षा या चयन प्रक्रिया के लिए पूर्ण फीस छूट दी गई है। BANAE ने प्रोसेसिंग फीस को तुरंत वापस लेने और विज्ञापन में सुधार करने की मांग की है ताकि यह DoPT दिशानिर्देशों के अनुरूप हो।
BHEL के विज्ञापन में "परीक्षा शुल्क: ₹0" लिखा गया है, लेकिन इसके साथ ही ₹472 प्रोसेसिंग फीस वसूलने का उल्लेख किया गया है।
BHEL के विज्ञापन में "परीक्षा शुल्क: ₹0" लिखा गया है, लेकिन इसके साथ ही ₹472 प्रोसेसिंग फीस वसूलने का उल्लेख किया गया है।
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नई दिल्ली- भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (BHEL) को हाल ही में जारी भर्ती विज्ञापन (विज्ञापन संख्या 03/2025) में अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के उम्मीदवारों से ₹472 (जीएसटी सहित) प्रोसेसिंग फीस वसूलने को लेकर कड़े विरोध का सामना करना पड़ रहा है। यह विज्ञापन 150 इंजीनियर ट्रेनी और 250 सुपरवाइजर ट्रेनी के पदों की भर्ती के लिए जारी किया गया था।

यह भर्ती अभियान विभिन्न विषयों जैसे मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल, सिविल, इलेक्ट्रॉनिक्स, केमिकल और मेटलर्जी में इंजीनियर ट्रेनी और सुपरवाइजर ट्रेनी के लिए है। ये पद त्रिची, रानीपेट, हैदराबाद, बेंगलुरु, भोपाल, विशाखापट्टनम, हरिद्वार और अन्य पावर सेक्टर साइट्स पर भरे जाएंगे। ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया 1 फरवरी 2025 से शुरू होनी है।

डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर नेशनल एसोसिएशन ऑफ इंजीनियर्स (BANAE) ने BHEL के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक को लिखे पत्र में इस फीस वसूली को "गैर-कानूनी" और कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (DoPT) के दिशानिर्देशों का उल्लंघन बताया है। DoPT के दिशा-निर्देशों के अनुसार, एससी/एसटी उम्मीदवारों को किसी भी भर्ती परीक्षा या चयन प्रक्रिया के लिए पूर्ण फीस छूट दी गई है।

BANAE के  पत्र में लिखा गया कि फीस वसूली से समाज के हाशिए पर खड़े समुदायों के उम्मीदवारों पर वित्तीय बोझ पड़ता है और यह सकारात्मक कार्रवाई की नीतियों के उद्देश्य को विफल करता है।
BANAE के पत्र में लिखा गया कि फीस वसूली से समाज के हाशिए पर खड़े समुदायों के उम्मीदवारों पर वित्तीय बोझ पड़ता है और यह सकारात्मक कार्रवाई की नीतियों के उद्देश्य को विफल करता है।

BANAE के राष्ट्रीय अध्यक्ष नागसेन सोनारे ने पत्र में DoPT के ऑफिस मेमोरेंडम (ओ.एम.) संख्या 36011/3/84-Estt. (SCT) दिनांक 1 जुलाई 1985 का उल्लेख किया है। इसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि एससी/एसटी उम्मीदवारों को किसी भी भर्ती परीक्षा या चयन प्रक्रिया में शामिल होने के लिए पूरी फीस से छूट दी जाएगी।

पत्र में इस बात पर जोर दिया गया कि BHEL के विज्ञापन में "परीक्षा शुल्क: ₹0" लिखा गया है, लेकिन इसके साथ ही ₹472 प्रोसेसिंग फीस वसूलने का उल्लेख किया गया है। BANAE ने इसे दिशानिर्देशों से बचने का एक सोचा-समझा प्रयास करार दिया है।

यह आदेश अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आयोग की 1979-80 की वार्षिक रिपोर्ट में दी गई सिफारिशों के आधार पर जारी किया गया था।
यह आदेश अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आयोग की 1979-80 की वार्षिक रिपोर्ट में दी गई सिफारिशों के आधार पर जारी किया गया था।

क्या कहता है 1 जुलाई 1985 का परिपत्र ?

कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (DoPT) का ओ.एम. संख्या 36011/3/84-Estt. (SCT), दिनांक 1 जुलाई 1985, एससी/एसटी उम्मीदवारों को भर्ती परीक्षा या चयन प्रक्रिया से संबंधित सभी प्रकार की फीस से छूट प्रदान करने का निर्देश देता है। यह आदेश अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आयोग की 1979-80 की वार्षिक रिपोर्ट में दी गई सिफारिशों के आधार पर लागू किया गया था।

इस मेमोरेंडम के अनुसार, सभी मंत्रालयों और विभागों को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया था कि इन दिशानिर्देशों का सख्ती से पालन हो।

BANAE ने एससी/एसटी उम्मीदवारों के लिए प्रोसेसिंग फीस को तुरंत वापस लेने और विज्ञापन में सुधार करने की मांग की है ताकि यह DoPT दिशानिर्देशों के अनुरूप हो। पत्र में इस मामले को अत्यंत महत्वपूर्ण बताते हुए इसे जल्द से जल्द हल करने की अपील की गई है।

नागसेन सोनारे ने जोर देकर कहा कि फीस वसूली से समाज के हाशिए पर खड़े समुदायों के उम्मीदवारों पर वित्तीय बोझ पड़ता है और यह सकारात्मक कार्रवाई की नीतियों के उद्देश्य को विफल करता है।

यह विवाद सार्वजनिक उपक्रमों (PSUs) में आरक्षण नीतियों और फीस छूट की प्रभावी कार्यान्वयन में खामियों को उजागर करता है। BHEL जैसे सार्वजनिक उपक्रमों से समाज के लिए उदाहरण प्रस्तुत करने की अपेक्षा की जाती है, लेकिन इस प्रकार की घटनाएं लंबे समय से लागू सरकारी आदेशों के अनुपालन की कमी को दर्शाती हैं।

यदि BHEL इस मुद्दे को तुरंत हल करने में विफल रहता है, तो उसे कानूनी चुनौतियों और बहुजन संगठनों की कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ सकता है।

जैसे-जैसे 1 फरवरी को आवेदन की तारीख नजदीक आ रही है, सभी की नजरें BHEL पर टिकी हैं कि क्या वह इस मुद्दे को सुलझाकर सामाजिक समानता और न्याय के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को साबित करेगा।

BHEL के विज्ञापन में "परीक्षा शुल्क: ₹0" लिखा गया है, लेकिन इसके साथ ही ₹472 प्रोसेसिंग फीस वसूलने का उल्लेख किया गया है।
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