
भोपाल। जय आदिवासी युवा शक्ति (जयस) ने रविवार को राजधानी भोपाल में एक साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस कर IAS संतोष वर्मा के समर्थन में बड़ा बयान जारी किया। जयस सहित एससी, एसटी और ओबीसी संगठनों ने वर्मा पर लगाए गए आरोपों को पूरी तरह खारिज करते हुए कहा कि उनके बयान का गलत अर्थ निकालकर अनावश्यक विवाद खड़ा किया जा रहा है, जो सामाजिक सौहार्द के लिए हानिकारक है।
18 जनवरी को होगा जनाक्रोश महाआंदोलन
प्रेस कॉन्फ्रेंस में जयस के राष्ट्रीय अध्यक्ष एडवोकेट लोकेश मुजाल्दा ने घोषणा की कि 18 जनवरी को भोपाल में ‘संविधान बचाओ-आरक्षण बचाओ जनाक्रोश महाआंदोलन’ आयोजित किया जाएगा। इसमें प्रदेशभर के एससी-एसटी-ओबीसी संगठनों के लगभग पाँच लाख लोगों के एकत्रित होने का दावा किया गया है। मुजाल्दा ने कहा कि यह आंदोलन संविधानिक अधिकारों, सामाजिक न्याय और आरक्षण की सुरक्षा को लेकर देश के पिछड़े व आदिवासी समुदायों की एकजुटता को प्रदर्शित करेगा।
वर्मा ने केवल सामाजिक भाईचारे की बात कही, विवाद पैदा करना अनुचित
लोकेश मुजाल्दा ने स्पष्ट कहा कि IAS संतोष वर्मा ने ऐसा कोई बयान नहीं दिया जो आपत्तिजनक हो। उन्होंने कहा- “हमारी सामाजिक परंपराओं ने सदैव भाईचारा सिखाया है। ‘रोटी–बेटी व्यवहार’ भारतीय समाज की सामूहिक पहचान है। स्वयं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत भी सामाजिक एकता के लिए यही बात कहते रहे हैं। ऐसे में वर्मा के बयान पर प्रदेश में कोहराम मचाना बिल्कुल अनुचित है।”
मुजाल्दा ने बताया कि वर्मा ने यदि किसी वाक्य पर खेद व्यक्त भी किया है, तो उसके बाद भी इस मुद्दे को भड़काना समाज की एकता को नुकसान पहुँचाने की कोशिश है। उन्होंने कहा कि यदि कोई व्यक्ति या समूह समाज को बांटने का प्रयास करता है, तो उसके खिलाफ राज्य सरकार को स्वत: संज्ञान लेकर कार्रवाई करनी चाहिए।
जनप्रतिनिधियों का विरोध करना दुर्भाग्यपूर्ण
मुजाल्दा ने यह भी कहा कि कुछ जनप्रतिनिधियों द्वारा इस मामले में विरोध दर्ज कराना सवाल खड़े करता है।
उन्होंने पूछा- “क्या वे नेता केवल एक ही वर्ग के वोट से चुनाव जीतते हैं? क्या हमारी समाजिक आबादी का उनके चुनाव में योगदान नहीं?” उन्होंने कहा कि यह राजनीति समाज को नुकसान पहुँचा रही है और ऐसी प्रवृत्तियों पर विराम लगना चाहिए।
द मूकनायक से बातचीत में जयस के अध्यक्ष लोकेश मुजाल्दा ने कहा कि IAS संतोष वर्मा पर लगाए गए आरोप बेबुनियाद हैं और उनके बयान का गलत अर्थ निकालकर विवाद खड़ा किया गया है। उन्होंने बताया कि वर्मा ने सिर्फ सामाजिक भाईचारे और भारतीय परंपराओं में शामिल ‘रोटी–बेटी व्यवहार’ की बात कही थी, जिसे कई बड़े सामाजिक और वैचारिक नेता भी स्वीकार करते हैं। उनका कहना था कि वर्मा ने किसी प्रकार की आपत्तिजनक टिप्पणी नहीं की, फिर भी अनावश्यक रूप से इसे मुद्दा बनाया जा रहा है, जो समाज की एकता के लिए ठीक नहीं है।
मुजाल्दा ने यह भी कहा कि यदि सरकार समाज में तनाव फैलाने वालों पर कार्रवाई नहीं करती है, तो जयस सहित एससी-एसटी और ओबीसी संगठन बड़े आंदोलन के लिए तैयार हैं। उन्होंने बताया कि 18 जनवरी को भोपाल में ‘संविधान बचाओ-आरक्षण बचाओ’ जनाक्रोश महाआंदोलन आयोजित किया जाएगा, जिसमें लाखों लोग शामिल होंगे। उनका कहना था कि सामाजिक सौहार्द और संविधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए अब समुदायों को एकजुट होकर आवाज उठानी होगी।
जयस की एकजुटता दिखी
प्रेस कॉन्फ्रेंस में विभिन्न सामाजिक संगठनों की भागीदारी रही। कार्यक्रम में मौजूद प्रमुख प्रतिनिधियों में शामिल थे, जयस के राष्ट्रीय अध्यक्ष एडवोकेट लोकेश मुजाल्दा, ओबीसी महासभा के राष्ट्रीय कोर कमेटी सदस्य कमलेंद्र सिंह, महेंद्र लोधी, आदिवासी समाज के आनंद रायकवार, भीम आर्मी, अहिरवार समाज, कुशवाहा समाज, लोधी समाज संगठनों के प्रतिनिधि इसके साथ जयस छात्र संगठन, अजाक्स छात्र संगठन और नाजी संगठन के पदाधिकारी
सभी संगठनों ने एक स्वर में कहा कि यदि सरकार समाज में फूट डालने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई नहीं करती, तो वे सड़क पर उतरकर बड़ा आंदोलन करेंगे।
जरूरत पड़ी तो सड़कों पर उतरेंगे- मुजाल्दा
अपने वक्तव्य के अंत में मुजाल्दा ने सरकार को स्पष्ट चेतावनी देते हुए कहा- “यदि सामाजिक सौहार्द को नुकसान पहुँचाने वालों पर कार्रवाई नहीं हुई तो हम मजबूरन सड़क पर उतरेंगे। इसकी पूरी जिम्मेदारी सरकार की होगी।” जयस और अन्य संगठनों ने मीडिया से अपील की कि वे इस मुद्दे को प्रमुखता से रखें, ताकि समाज को जोड़ने वाला संदेश व्यापक स्तर तक पहुँचे।
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