MP: सीहोर में शिक्षिका की बर्बरता! कोठरी स्कूल में 8 बच्चियों की पिटाई, एक बेहोश, शिकायत के बाद निलंबित

भारत में स्कूली बच्चों को शारीरिक दंड देना पूरी तरह प्रतिबंधित है। शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE) 2009 की धारा 17 के तहत किसी भी शिक्षक या स्कूल कर्मचारी द्वारा बच्चों को मारने, डराने या मानसिक उत्पीड़न करने पर विभागीय कार्रवाई से लेकर निलंबन और सेवा समाप्ति तक की सजा हो सकती है।
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भोपाल। मध्य प्रदेश में सिहोर जिले के शासकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय कोठरी में कक्षा 6वीं की छात्राओं के साथ हुई मारपीट की घटना ने पूरे क्षेत्र में गंभीर चिंता और रोष का माहौल बना दिया है। शुक्रवार को शिक्षिका कीर्ति शाक्य द्वारा आठ बच्चियों को छड़ी से पीटने का मामला सामने आया, जिसमें एक छात्रा की हालत बिगड़ गई और वह बेहोश होकर गिर पड़ी। इस घटना के बाद अभिभावकों, स्थानीय संगठनों और अधिकारियों में हलचल मच गई।

घटना की जानकारी मिलते ही अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के कार्यकर्ताओं ने मामले को गंभीरता से लेते हुए इसे अधिकारियों के संज्ञान में लाया। परिषद ने तत्काल आष्टा विकासखंड के बीआरसी और बीईओ को सूचना दी। इसके बाद परिषद के प्रतिनिधि स्कूल पहुंचे और छात्राओं की स्थिति, घटना का विवरण तथा शिक्षिका के व्यवहार को लेकर अधिकारियों को विस्तृत जानकारी दी। परिषद ने आरोपी शिक्षिका पर कठोर कार्रवाई की मांग की।

सबसे गंभीर बात यह रही कि जिस छात्रा की तबीयत बिगड़ी उसका का पहले लीवर का ऑपरेशन हो चुका था। ऐसे में उस पर छड़ी से प्रहार बेहद जोखिमभरा और स्वास्थ्य के लिए घातक साबित हो सकता था। अभिभावकों का कहना है कि शिक्षिका को छात्रा की स्वास्थ्य स्थिति की जानकारी थी, फिर भी उन्होंने अत्यधिक कठोरता बरती।

प्राचार्य ने जारी किया कारण बताओ नोटिस

घटना के बाद स्कूल प्राचार्य द्वारा शिक्षिका कीर्ति शाक्य को कारण बताओ सूचना पत्र जारी किया गया। लेकिन शिक्षिका का जवाब संतोषजनक नहीं पाया गया। यह रिपोर्ट जिला शिक्षा अधिकारी को भेजी गई।

जांच के बाद शिक्षिका निलंबित

जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) सिहोर द्वारा की गई प्रारंभिक जांच और प्रतिवेदन के आधार पर शिक्षिका कीर्ति शाक्य को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। आदेश में कहा गया है कि- शिक्षिका का व्यवहार स्वेच्छाचारिता, लापरवाही और अनुशासनहीनता की श्रेणी में आता है। उन्होंने मध्यप्रदेश सिविल सेवा आचरण नियम 1965 के नियम 03 (1), (2), (3) का उल्लंघन किया है। इसी आधार पर उन्हें मप्र सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियम 1966 के नियम 9 के तहत निलंबित किया गया है।

निलंबन अवधि में शिक्षिका कीर्ति शाक्य का मुख्यालय विकासखंड शिक्षा अधिकारी, सीहोर कार्यालय निर्धारित किया गया है। उन्हें नियमानुसार जीवन निर्वाह भत्ता प्रदान किया जाएगा।

अभिभावकों में रोष

घटना के बाद स्कूल परिसर और कोठरी क्षेत्र में अभिभावकों का गहरा आक्रोश देखने को मिला। कई अभिभावकों का कहना है कि बच्चियों को अनुशासन के नाम पर शारीरिक दंड देना किसी भी परिस्थिति में स्वीकार्य नहीं है। वे इस बात से खास नाराज हैं कि जिन बच्चियों पर हाथ उठाया गया, उनमें से कुछ पहले से स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रही थीं।

क्या है कानून?

भारत में स्कूली बच्चों को शारीरिक दंड देना पूरी तरह प्रतिबंधित है। शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE) 2009 की धारा 17 के तहत किसी भी शिक्षक या स्कूल कर्मचारी द्वारा बच्चों को मारने, डराने या मानसिक उत्पीड़न करने पर विभागीय कार्रवाई से लेकर निलंबन और सेवा समाप्ति तक की सजा हो सकती है। यह कानून स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा और सम्मानजनक वातावरण सुनिश्चित करता है।

वहीं, मामला गंभीर होने पर भारतीय दंड संहिता और जेजे एक्ट की धारा 75 भी लागू होती है। इसमें 1 वर्ष तक की कैद या जुर्माना, जबकि जेजे एक्ट में बच्चे के प्रति क्रूर व्यवहार पर 3 वर्ष तक की कैद और ₹1 लाख तक का जुर्माना हो सकता है। अगर किसी प्रकार की यौन छेड़छाड़ सामने आती है, तो POCSO Act के तहत कड़ा प्रावधान लागू होता है। यह सभी कानून स्पष्ट करते हैं कि बच्चों पर हिंसा एक गंभीर अपराध है।

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