MP: ग्वालियर में अंबेडकर पुतला विवाद ने पकड़ा तूल बहुजन संगठनों का विरोध, 1 जनवरी को भीम आर्मी आंदोलन के संकेत!
भोपाल। मध्यप्रदेश के ग्वालियर शहर में संविधान निर्माता डॉ. भीमराव आंबेडकर के कथित पुतला दहन के प्रयास को लेकर सियासी और सामाजिक हलचल तेज हो गई है। बीते शुक्रवार शाम आकाशवाणी तिराहा पर पुतला जलाने की सूचना मिलते ही पुलिस और खुफिया तंत्र अलर्ट हो गया। मौके पर पहुंची पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए एक अधिवक्ता को हिरासत में लिया और पुतला जब्त कर लिया। पुलिस की समय रहते कार्रवाई से स्थिति संभल गई और पुतला दहन की घटना नहीं हो सकी। शनिवार को मामले में शांति भंग का प्रकरण दर्ज किया गया है।
पुलिस के मुताबिक अधिवक्ता आशुतोष दुबे कुछ साथियों के साथ पुतला लेकर आकाशवाणी तिराहा पहुंचे थे। पुलिस ने उन्हें पुतला दहन न करने की समझाइश दी, लेकिन इसी दौरान कथित तौर पर वह पुतला लेकर भागने लगे और नारेबाजी शुरू हो गई। हालात बिगड़ते देख पुलिस ने हस्तक्षेप कर पुतला जब्त किया और अधिवक्ता को हिरासत में ले लिया। अधिकारियों का कहना है कि यदि समय रहते कार्रवाई नहीं होती, तो दो पक्ष आमने-सामने आ सकते थे और कानून-व्यवस्था बिगड़ सकती थी।
बहुजन संगठनों आक्रोश बढ़ा
घटना की खबर फैलते ही भीम आर्मी, आज़ाद समाज पार्टी और अन्य बहुजन-ओबीसी संगठनों के पदाधिकारी और कार्यकर्ता मौके पर पहुंच गए। ‘जय भीम’ के नारे लगाते हुए प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि संविधान निर्माता का अपमान करने की कोशिश की गई। दोनों पक्षों के आमने-सामने आने की आशंका के चलते पुलिस बल बढ़ाया गया।
इसके बाद प्रदर्शनकारी संगठनों ने एसपी कार्यालय का घेराव कर आरोपी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की। कुछ संगठनों ने राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) जैसी सख़्त धाराएं लगाने की मांग भी उठाई। विरोध-प्रदर्शन के दौरान इलाके में कुछ समय तक तनावपूर्ण माहौल बना रहा।
72 घंटे का अल्टीमेटम
घटना के बाद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर सांसद चंद्रशेखर आज़ाद ने पोस्ट कर कहा कि संविधान निर्माता के पुतला दहन का प्रयास लोकतंत्र और सामाजिक न्याय को खुली चुनौती है। उन्होंने ग्वालियर प्रशासन को 72 घंटे का अल्टीमेटम देते हुए कहा कि यदि दोषियों पर सख़्त कार्रवाई नहीं हुई तो 1 जनवरी को ग्वालियर में जन आंदोलन किया जाएगा।
इसी क्रम में आज़ाद समाज पार्टी, मध्यप्रदेश के नेता सुनील अस्तेय ने भी एक्स पर लिखा कि बाबा साहब के पुतला दहन की कोशिश और आंबेडकर विरोधी नारेबाजी पर यदि कड़ा एक्शन नहीं हुआ तो व्यापक लोकतांत्रिक आंदोलन होगा। उन्होंने कहा, “संविधान का अपमान बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यह देश संविधान से चलेगा, किसी की उकसावे वाली राजनीति से नहीं।”
अधिवक्ता बोला- 'पुतला आंबेडकर का नहीं था’
मामले में हिरासत में लिए गए अधिवक्ता आशुतोष दुबे ने आरोपों से इनकार करते हुए दावा किया कि जिस पुतले को वह लेकर गए थे, उस पर किसी का नाम नहीं लिखा था। उनका कहना है कि हाल ही में खनियादाना में मंच से मनुस्मृति जलाने की घटना पर कोई एफआईआर दर्ज नहीं हुई। उसी के विरोध में उन्होंने चंद्रशेखर आज़ाद के पुतले के दहन का कार्यक्रम रखा था। अधिवक्ता का यह भी दावा है कि उन्होंने कार्यक्रम की जानकारी पहले ही पुलिस को दे दी थी, इसके बावजूद उनके खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया।
कांग्रेस और बसपा की तीखी प्रतिक्रिया
कांग्रेस अनुसूचित जाति विभाग के अध्यक्ष प्रदीप अहिरवार ने द मूकनायक से बातचीत में ग्वालियर की घटना की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर सिर्फ किसी एक समाज के नेता नहीं, बल्कि पूरे देश के संविधान निर्माता हैं। उनके नाम, विचार या प्रतीक का अपमान सीधे तौर पर संविधान, लोकतंत्र और सामाजिक न्याय पर हमला है। ऐसे कृत्य किसी भी सभ्य और लोकतांत्रिक समाज में स्वीकार नहीं किए जा सकते।
उन्होंने कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ लोग जानबूझकर समाज में नफरत और तनाव फैलाने की कोशिश कर रहे हैं। बाबा साहब ने देश को समानता, भाईचारा और न्याय का रास्ता दिखाया, लेकिन आज उन्हीं मूल्यों को कमजोर करने का प्रयास किया जा रहा है। प्रदीप अहिरवार ने सरकार और प्रशासन से मांग की कि इस मामले को हल्के में न लिया जाए और दोषियों के खिलाफ सख़्त से सख़्त कार्रवाई की जाए, ताकि भविष्य में कोई भी संविधान और उसके निर्माता का अपमान करने की हिम्मत न कर सके।
उन्होंने आगे कहा कि कांग्रेस पार्टी संविधान की रक्षा के लिए हमेशा सड़क से संसद तक संघर्ष करती रही है और आगे भी करेगी। अगर ऐसी घटनाओं पर समय रहते कड़ा कदम नहीं उठाया गया, तो यह समाज में ज़हर घोलने का काम करेगा, जिसकी ज़िम्मेदारी सरकार की होगी।
वहीं बहुजन समाज पार्टी मध्यप्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष रमाकांत पिप्पल ने भी घटना पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर का अपमान पूरे बहुजन समाज का अपमान है। यह सिर्फ एक व्यक्ति या प्रतीक का सवाल नहीं है, बल्कि यह उस संविधान पर हमला है, जिसने करोड़ों वंचित, दलित, आदिवासी और पिछड़े समाज को अधिकार और सम्मान दिया है।
रमाकांत पिप्पल ने कहा कि ऐसी घटनाएं अचानक नहीं होतीं, बल्कि इसके पीछे एक सोच और मानसिकता काम करती है, जिसे समय रहते रोका जाना ज़रूरी है। उन्होंने मांग की कि दोषियों पर केवल औपचारिक कार्रवाई न की जाए, बल्कि सख़्त कानूनी धाराओं के तहत कार्रवाई हो, ताकि एक मजबूत संदेश जाए कि संविधान और बाबा साहब के अपमान को देश बर्दाश्त नहीं करेगा।
उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर प्रशासन और सरकार ने इस मामले में ढिलाई बरती, तो बहुजन समाज पार्टी प्रदेशभर में आंदोलन करने को मजबूर होगी। उन्होंने साफ कहा, “यह देश संविधान से चलेगा, किसी की नफरत और उकसावे से नहीं। बाबा साहब का सम्मान और संविधान की रक्षा के लिए बहुजन समाज पार्टी हर स्तर पर संघर्ष करेगी।”
“संविधान और लोकतंत्र का अपमान”
द मूकनायक से बातचीत में आज़ाद समाज पार्टी, मध्यप्रदेश के नेता सुनील अस्तेय ने कहा, “बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर किसी एक समाज के नहीं, बल्कि पूरे देश के संविधान निर्माता हैं। उनके पुतले को जलाने की कोशिश सीधे-सीधे संविधान और लोकतंत्र का अपमान है। ऐसी घटनाएं समाज में ज़हर घोलती हैं और भाईचारे को नुकसान पहुंचाती हैं।”
उन्होंने आगे कहा, “हमारी मांग है कि इस मामले में सिर्फ औपचारिकता न निभाई जाए, बल्कि दोषियों पर सख़्त कानूनी कार्रवाई हो, ताकि भविष्य में कोई भी इस तरह की हरकत करने की हिम्मत न करे। यदि प्रशासन ने समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए, तो आज़ाद समाज पार्टी और भीम आर्मी लोकतांत्रिक तरीके से आंदोलन के लिए मजबूर होंगी। इसकी पूरी ज़िम्मेदारी प्रशासन की होगी।”
ग्वालियर में पुतला विवाद अब केवल एक स्थानीय घटना नहीं रह गया है, बल्कि यह संविधान, अभिव्यक्ति की सीमाओं और सामाजिक सौहार्द से जुड़े बड़े सवाल खड़े कर रहा है। आने वाले दिनों में प्रशासन की कार्रवाई और 1 जनवरी को प्रस्तावित आंदोलन पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं।
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