
भोपाल। एमपी के ग्वालियर शहर में शुक्रवार शाम उस वक्त तनाव का माहौल बन गया, जब संविधान निर्माता डॉ. भीमराव आंबेडकर का पुतला जलाने के प्रयास की सूचना सामने आई। सूचना मिलते ही पुलिस और खुफिया तंत्र अलर्ट हो गया। आकाशवाणी तिराहा पर संभावित पुतला दहन की खबर के बाद पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए मौके पर पहुंचकर एक वकील को हिरासत में लिया और पुतला जब्त कर लिया। पुलिस की कार्रवाई से पहले ही स्थिति को संभाल लिया गया और किसी भी हालत में पुतला जलाने की घटना नहीं हुई। मामले में शनिवार को शांति भंग करने का प्रकरण दर्ज किया गया है।
पुलिस के अनुसार, अधिवक्ता आशुतोष दुबे कुछ साथियों के साथ पुतला लेकर आकाशवाणी तिराहा पहुंचे थे। पुलिस ने मौके पर उन्हें पुतला दहन न करने की समझाइश दी। इसी दौरान कथित तौर पर वह पुतला लेकर भागने लगे और नारेबाजी शुरू हो गई। हालात बिगड़ते देख पुलिस ने तत्काल हस्तक्षेप किया, पुतला जब्त किया और अधिवक्ता को हिरासत में ले लिया। पुलिस का कहना है कि समय रहते कार्रवाई नहीं होती तो दो पक्ष आमने-सामने आ सकते थे।
घटना की जानकारी फैलते ही भीम आर्मी, आजाद समाज पार्टी समेत अन्य बहुजन, ओबीसी संगठनों के पदाधिकारी और कार्यकर्ता मौके पर पहुंच गए। ‘जय भीम’ के नारे लगाते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि संविधान निर्माता का पुतला जलाने का प्रयास किया जा रहा था। दोनों पक्षों के आमने-सामने आने से टकराव की आशंका बढ़ी, जिसके बाद पुलिस बल बढ़ाया गया।
इसके बाद प्रदर्शनकारी संगठनों ने एसपी कार्यालय का घेराव किया और आरोपी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की। कुछ संगठनों ने एनएसए जैसी सख़्त धाराएं लगाने की भी मांग उठाई। प्रदर्शन के दौरान इलाके में कुछ समय के लिए तनावपूर्ण स्थिति बनी रही।
घटना के बाद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर सांसद चंद्रशेखर आजाद ने पोस्ट कर कहा कि संविधान निर्माता के पुतला दहन का प्रयास लोकतंत्र और सामाजिक न्याय को खुली चुनौती है। उन्होंने ग्वालियर पुलिस और प्रशासन को 72 घंटे का अल्टीमेटम देते हुए कहा कि यदि आरोपियों पर सख़्त कार्रवाई नहीं हुई तो 1 जनवरी को ग्वालियर में जन आंदोलन किया जाएगा।
इसी क्रम में आज़ाद समाज पार्टी, मध्यप्रदेश के नेता सुनील अस्तेय ने भी एक्स पर लिखा कि यदि बाबा साहब डॉ. आंबेडकर के पुतला दहन की कोशिश और आंबेडकर के खिलाफ नारे लगाने वालों पर सख़्त कानूनी कार्रवाई नहीं हुई, तो व्यापक लोकतांत्रिक आंदोलन होगा। उन्होंने कानून-व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी प्रशासन पर डालते हुए कहा, “संविधान का अपमान बर्दाश्त नहीं। यह देश संविधान से चलेगा।”
पुतला दहन के प्रयास के आरोपों पर अधिवक्ता आशुतोष दुबे ने अपने बचाव में कहा कि जिस पुतले को वह लेकर गए थे, उस पर किसी का नाम नहीं लिखा था। उनका दावा है कि हाल ही में खनियादाना में मंच से मनुस्मृति जलाए जाने की घटना पर कोई एफआईआर दर्ज नहीं हुई। उसी के विरोध में उन्होंने चंद्रशेखर आज़ाद के पुतले के दहन का कार्यक्रम रखा था।
अधिवक्ता का कहना है कि उन्होंने कार्यक्रम की जानकारी पहले ही पुलिस को दे दी थी, इसके बावजूद उनके खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया।
मामले पर एसएसपी ग्वालियर धर्मवीर सिंह ने कहा कि पुलिस को जानकारी मिली थी कि पुतला दहन की योजना है। संवेदनशीलता को देखते हुए पुलिस ने समय रहते हस्तक्षेप किया और पुतला दहन होने से रोक दिया। शांति भंग करने की आशंका के चलते संबंधित व्यक्ति के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। पुलिस का कहना है कि शहर में कानून-व्यवस्था बनाए रखना सर्वोच्च प्राथमिकता है और किसी भी तरह की उकसावे वाली गतिविधि बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
द मूकनायक से बातचीत में आज़ाद समाज पार्टी, मध्यप्रदेश के नेता सुनील अस्तेय ने कहा, “बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर सिर्फ किसी एक समाज के नेता नहीं हैं, बल्कि पूरे देश के संविधान निर्माता हैं। उनके पुतले को जलाने की कोशिश सीधे तौर पर संविधान और लोकतंत्र का अपमान है। ऐसी घटनाएं समाज में ज़हर घोलने का काम करती हैं और आपसी भाईचारे को नुकसान पहुंचाती हैं। इसे किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।”
उन्होंने आगे कहा, “हमारी मांग है कि इस मामले में सिर्फ औपचारिक कार्रवाई न हो, बल्कि दोषियों पर सख़्त कानूनी कदम उठाए जाएं, ताकि आगे कोई भी इस तरह की हरकत करने की हिम्मत न करे। हमारी पार्टी के संस्थापक,सांसद चंद्रशेखर आजाद ने भी 72 घण्टे का अल्टीमेटम दिया है,अगर प्रशासन समय रहते सख़्त कार्रवाई नहीं करता है, तो आज़ाद समाज पार्टी और भीम आर्मी मजबूर होकर लोकतांत्रिक तरीके से आंदोलन करेगी। इसकी पूरी ज़िम्मेदारी प्रशासन की होगी।”
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