भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश बनेंगे जस्टिस सूर्यकांत: उनके प्रमुख निर्णय

जस्टिस सूर्यकांत का कार्यकाल 15 माह का होगा, जो 9 फरवरी 2027 तक चलेगा।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को शराब नीति मामले में जमानत देते हुए जस्टिस सूर्यकांत ने टिप्पणी कीथी कि जांच एजेंसियां "पिंजड़े में बंद तोते" नहीं बननी चाहिए।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को शराब नीति मामले में जमानत देते हुए जस्टिस सूर्यकांत ने टिप्पणी कीथी कि जांच एजेंसियां "पिंजड़े में बंद तोते" नहीं बननी चाहिए। सोशल मीडिया
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नई दिल्ली- भारत के सर्वोच्च न्यायालय में एक नया दौर शुरू होने वाला है। जस्टिस सूर्यकांत 24 नवंबर को भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) के रूप में शपथ लेंगे। नियुक्ति की स्थापित प्रक्रिया (मेमोरेंडम ऑफ प्रोसीजर) की पालना करते हुए रिटायर हो रहे मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई ने पिछले सप्ताह केंद्र सरकार को 63 वर्षीय जस्टिस सूर्यकांत के नाम की औपचारिक सिफारिश की थी। जस्टिस सूर्यकांत का कार्यकाल 15 माह का होगा, जो 9 फरवरी 2027 तक चलेगा।

हरियाणा के हिसार में जन्मे जस्टिस सूर्यकांत मौजूदा समय में सुप्रीम कोर्ट के दूसरे सबसे सीनियर जज हैं।  उन्होंने साल 1981 में गवर्नमेंट पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज, हिसार से स्नातक करने के बाद साल 1984 में रोहतक की महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी से कानून की पढाई पूरी की। इसी साल उन्होंने हिसार के जिला अदालत में प्रैक्टिस शुरू कर दी थी। एक साल यहां रहने के बाद वे पंजाब-हरियाणा कोर्ट में प्रैक्टिस करने चले गये। साल 2004 में वे पंजाब-हरियाणा कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश नियुक्त हुए। जस्टिस सूर्यकांत साल 2018 में हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में मुख्य न्यायाधीश के तौर पर नियुक्त हुए। इसके बाद 24 मई 2019 को उन्हें सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश बनाया गया। 

संवैधानिक स्पष्टता, सामाजिक न्याय के प्रति सहानुभूति और संस्थागत जवाबदेही पर जोर देने के लिए जाना जाने वाले जस्टिस सूर्यकांत एक ऐसे न्यायधीश है , जो सिद्धांत और व्यावहारिकता के मजबूत आधार पर खड़े हैं। दो दशकों के न्यायिक सफर में उन्होंने कई ऐतिहासिक फैसलों के माध्यम से भारत के संवैधानिक और सामाजिक परिदृश्य को आकार दिया है। आइए, उनके प्रमुख निर्णयों पर नजर डालें:

1. अनुच्छेद 370 और संघीय संतुलन

जस्टिस सूर्यकांत संविधान पीठ का हिस्सा थे, जिसने जम्मू-कश्मीर के संवैधानिक दर्जे पर अनुच्छेद 370 के निरस्तीकरण को बरकरार रखा। यह फैसला क्षेत्र के भविष्य के लिए ऐतिहासिक साबित हुआ।

2. राजद्रोह कानून को स्थगित

2022 में उनकी बेंच ने भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए (राजद्रोह) के संचालन को निलंबित कर दिया। उन्होंने निर्देश दिया कि केंद्र अपनी समीक्षा पूरी करने तक कोई नया मामला दर्ज न किया जाए। नागरिक स्वतंत्रताओं की रक्षा में यह कदम मील का पत्थर साबित हुआ।

3. पेगासस जासूसी मामला

जस्टिस सूर्यकांत ने फैसला सुनाया कि राज्य "राष्ट्रीय सुरक्षा" को न्यायिक जांच से बचाने का ढाल नहीं बना सकता। इससे निगरानी मामलों में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित हुई।

4. कानूनी संस्थाओं में लैंगिक समानता

एक ऐतिहासिक फैसले में उनकी बेंच ने निर्देश दिया कि सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन सहित सभी बार एसोसिएशनों में एक-तिहाई सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हों। यह कानूनी पेशे में लैंगिक समानता की दिशा में बड़ा कदम था।

5. अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और डिजिटल जिम्मेदारी

मुक्त अभिव्यक्ति को संतुलित तरीके से संरक्षित करते हुए जस्टिस सूर्यकांत ने जिम्मेदारी पर जोर दिया। उन्होंने सार्वजनिक हस्तियों और प्रभावशाली लोगों को अपमानजनक सामग्री से सावधान किया और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के लिए दिशानिर्देश तैयार करने का केंद्र को आदेश दिया।

6. भ्रष्टाचार और जवाबदेही

भ्रष्टाचार को "समाज के लिए गंभीर खतरा" बताते हुए उन्होंने बिल्डर-बैंक धोखाधड़ी में सीबीआई जांच का आदेश दिया। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को शराब नीति मामले में जमानत देते हुए उन्होंने टिप्पणी की कि जांच एजेंसियां "पिंजड़े में बंद तोते" नहीं बननी चाहिए।

जस्टिस सूर्यकांत की करुणा अक्सर हाशिए पर पड़े और कम मान्यता प्राप्त समुदायों तक फैली है। उनकी बेंच ने घरेलू कामगारों के शोषण और कानूनी सुरक्षा की कमी पर चिंता जताते हुए सरकार को सुरक्षा ढांचा तैयार करने का आदेश दिया।

जीतेन्द्र सिंह बनाम पर्यावरण मंत्रालय मामले में उन्होंने नागरिकों के स्वच्छ हवा और पानी के अधिकार को बरकरार रखा, यह फैसला देते हुए कि तालाबों और हरे क्षेत्रों का विनाश संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन का अधिकार) का उल्लंघन है। उन्होंने लिंग पूर्वाग्रह के कारण गैरकानूनी रूप से हटाई गई एक महिला सरपंच को बहाल किया, जिससे महिलाओं के राजनीतिक सशक्तिकरण को बढ़ावा मिला।

हालिया हाई-प्रोफाइल मामले

  • बिहार मतदाता सूची (2025): चुनाव आयोग को 65 लाख हटाए गए मतदाताओं का विवरण सार्वजनिक करने का निर्देश दिया, जिससे चुनावी पारदर्शिता बढ़ी।

  • डिजिटल गिरफ्तारी घोटाला: साइबर घोटालों के बढ़ते मामलों पर स्वत: संज्ञान लिया और पूरे देश में नकली गिरफ्तारी केसों का डेटा मांगा।

  • यूट्यूबर्स मामला: रणवीर अल्लाहाबादिया जैसे प्रभावशाली लोगों को अश्लील टिप्पणियों पर फटकार लगाई, उनकी आचरण को "विकृत" और "समाज के लिए लज्जास्पद" बताया।

  • यूएनएचसीआर शरणार्थी कार्ड मामला: यूएनएचसीआर की अनियमित कार्ड जारी करने की आलोचना की, यह कहते हुए कि "उन्होंने यहां शोरूम खोल लिया है।"

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को शराब नीति मामले में जमानत देते हुए जस्टिस सूर्यकांत ने टिप्पणी कीथी कि जांच एजेंसियां "पिंजड़े में बंद तोते" नहीं बननी चाहिए।
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