डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन रूल्स पर एडिटर्स गिल्ड ने जताई चिंता, कहा- पत्रकारिता की स्वतंत्रता पर पड़ेगा असर

गिल्ड ने मंत्रालय से पत्रकारीय कार्यों के लिए स्पष्ट छूट की मांग की, कहा- नियमों की अस्पष्टता से 'न्यूज़ रिपोर्टिंग' पर लगेगा अंकुश और आरटीआई कानून होगा कमजोर।
Editors Guild expresses concern over Digital Personal Data Protection Rules, says it will impact journalistic freedom
DPDP Rules 2025: एडिटर्स गिल्ड की चेतावनी, कहा- नियमों से प्रेस की आजादी खतरे में(Ai Image)
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नई दिल्ली: एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया (EGI) ने डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन (DPDP) अधिनियम, 2023 के तहत हाल ही में अधिसूचित 'डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन रूल्स, 2025' पर गहरी चिंता व्यक्त की है। गिल्ड का कहना है कि नए नियमों ने पत्रकारों और मीडिया संगठनों के लिए कई महत्वपूर्ण सवालों को अनसुलझा छोड़ दिया है।

गिल्ड ने इससे पहले भी अधिनियम की कमियों को उजागर किया था, जिसमें सूचना का अधिकार (RTI) व्यवस्था को कमजोर करना और पत्रकारीय कार्यों के लिए किसी स्पष्ट अपवाद (Exception) की अनुपस्थिति शामिल थी। गिल्ड के अनुसार, जारी किए गए नए नियम इन चिंताओं को दूर करने में विफल रहे हैं।

जुलाई में मिले आश्वासन के बाद भी नहीं मिली स्पष्टता

प्रेस रिलीज के अनुसार, जुलाई 2025 में इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) के सचिव ने प्रेस निकायों के साथ एक बैठक की थी। इस बैठक में आश्वासन दिया गया था कि पत्रकारीय कार्य DPDP अधिनियम के दायरे में नहीं आएंगे।

उस समय गिल्ड और अन्य मीडिया संगठनों ने मंत्रालय से आग्रह किया था कि वह पत्रकारीय गतिविधियों को सुरक्षित करने के लिए कानूनी रूप से मान्य स्पष्टीकरण या संशोधन जारी करे। बैठक के बाद, सहमति, छूट, डेटा प्रतिधारण (Data Retention), रिसर्च और जनहित में रिपोर्टिंग जैसे मुद्दों पर स्पष्टता मांगते हुए मंत्रालय को 35 प्रश्नों और केस-आधारित परिदृश्यों का एक विस्तृत सेट सौंपा गया था। गिल्ड ने बताया कि अब तक इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं मिली है।

रिपोर्टिंग पर 'चिलिंग इफेक्ट' का खतरा

एडिटर्स गिल्ड ने कहा है कि अधिसूचित नियम इन चिंताओं को कम नहीं करते। 'सहमति' (Consent) को लेकर अस्पष्ट दायित्व पत्रकारों और न्यूज़ रूम्स को अनुपालन के ऐसे बोझ में डाल सकते हैं, जो उनकी नियमित रिपोर्टिंग में बाधा उत्पन्न करेगा।

गिल्ड ने आशंका जताई है कि स्पष्ट छूट या मार्गदर्शन के अभाव में, पत्रकारीय गतिविधियों को भी "प्रोसेसिंग" के रूप में व्याख्यायित किया जा सकता है जिसके लिए सहमति की आवश्यकता होगी। इससे न्यूज़ जुटाने की प्रक्रिया (Newsgathering) प्रभावित होगी और जवाबदेही तय करने वाली पत्रकारिता बाधित हो सकती है।

गिल्ड की मांग: तत्काल जारी हो स्पष्टीकरण

एडिटर्स गिल्ड ने MeitY से आग्रह किया है कि वह वास्तविक पत्रकारीय गतिविधियों को अधिनियम की सहमति और प्रोसेसिंग आवश्यकताओं से छूट देते हुए तत्काल एक स्पष्ट और श्रेणीबद्ध स्पष्टीकरण जारी करे। गिल्ड ने चेतावनी दी है कि स्पष्टता के अभाव में, भ्रम और अति-अनुपालन (Over-compliance) प्रेस की स्वतंत्रता को कमजोर करेगा और एक लोकतांत्रिक समाज में मीडिया की आवश्यक भूमिका को बाधित करेगा।

गिल्ड ने दोहराया कि डेटा संरक्षण और गोपनीयता महत्वपूर्ण उद्देश्य हैं, लेकिन इन्हें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की संवैधानिक गारंटी और जनता के जानने के अधिकार (Right to Know) के साथ संतुलित किया जाना चाहिए।

यह बयान एडिटर्स गिल्ड के अध्यक्ष अनंत नाथ, महासचिव रूबेन बनर्जी और कोषाध्यक्ष के. वी. प्रसाद द्वारा जारी किया गया है।

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