गुजरात की सड़कों पर जनसैलाब, दलितों ने कहा-"अमानवीय व्यवहार बंद करो"

अनुसूचित जाति व जनजाति समुदाय ने इंसाफ की गुहार लगाई और एससी-एसटी एट्रोसिटी एक्ट को सख्ती से लागू करने के लिए जिला कलेक्टर्स को ज्ञापन दिया
बनासकांठा में विरोध करते बहुजन.
बनासकांठा में विरोध करते बहुजन.स्वयं सैनिक दल.

अहमदाबाद: पूरे देश में विगत कुछ माह से अनुसूचित जाति(SC) और अनुसूचित जनजाति(ST) पर हो रहे अमानवीय अत्याचारों के विरोध में बुधवार को गुजरात में बहुजन सड़कों पर उतरे। हाथों में तख्तियां और बहुजनों पर हो रहे अत्याचारों पर लगाम कसने की मांग लिए प्रत्येक जिले में फ्लैग मार्च, रैली और विरोध प्रदर्शन हुए। 

स्वयं सैनिक दल द्वारा आयोजित इन रैलियों के लिए सम्बंधित जिला प्रशासनों द्वारा अनुमति नहीं दी गई तो बिना स्वीकृति के ही सैकड़ों की संख्या में अनुसूचित जाति व जनजाति समुदायों के सदस्यों ने सार्वजनिक प्रदर्शन में इंसाफ की गुहार लगाई और एससी-एसटी एट्रोसिटी एक्ट को सख्ती से लागू करने के लिए जिला कलेक्टरों को ज्ञापन दिया। बनासकांठा से सूरत तक और द्वारका से लेकर वड़ोदरा तक सभी जिलों में सुबह 10 बजे से प्रदर्शन करने वालों की भीड़ जुटनी शुरू हो गयी जो 12 बजते बजते जन सैलाब के रूप में परिवर्तित हुई।

पुरुषों के साथ काफी तादाद में महिलाएं व बच्चे भी नजर आए जो हाथों में तख्तियां, बैनर आदि लिए नारे लगाते हुए शहरों के प्रमुख मार्गों, बाजारों से गुजरें। सभाओं के समापन पर सभी जगह जिला कलेक्टरों को स्वयं सैनिक दल द्वारा राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और गुजरात के मुख्यमंत्री आदि के नाम के ज्ञापन दिए गए। कुछ जगहों पर पुलिस प्रशासन द्वारा बिना अनुमति के रैली निकलने पर प्रदर्शन करने वालों को डीटेन किया, जिन्हें बाद में छोड़ दिया.

मोरबी में रैली का दृश्य.
मोरबी में रैली का दृश्य.स्वयं सैनिक दल.

ज्ञापन में व्यक्त की अपार वेदना

ज्ञापन में बताया गया - भारत में अनुसूचित जाति-जनजाति पर हो रहे अत्याचार दिन ब दिन बढ़ रहे हे। पूरे गुजरात में हर रोज एससी-एसटी के लोगों पर अत्याचार हो रहे है। जैसे ज़मीन पर कब्ज़ा करना, अनुसूचित जाति-जनजाति के लोगों की हत्या करना, महिलाओ पर बलात्कार जैसे अत्याचार काफी आम हो गए हैं। हालांकि देश में एससी-एसटी एक्ट लागू है, लेकिन सिर्फ कागजों पर टिका है. सिस्टम व सरकार इस कानून को सख्ती से लागू करने में लापरवाही बरत रही है, जिसके कारण नीच व जातिवादी मानसिकता वाले लोग राज्य में अनुसूचित जाति-जनजाति को परेशान करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। कई मनुवादी व हिन्दूवादी-जातिवादी संगठन एससी-एसटी एट्रोसिटी एक्ट को खत्म करने के लिए सरकार को याचिकाएं भी दे रहे हैं। और सरकार उनके आवेदनों पर ध्यान दे रहे पर हमारे समाज पर हो रहे अत्याचारों नजर अंदाज करके अत्याचारों पर ध्यान न देकर मनुवादी व जातिवादी मानसिकता वाले लोगो को सपोर्ट करते दिखाई दे रहे है। पूरे देश में कोई दूसरा समुदाय नहीं होगा जिस पर इतने बड़े पैमाने पर अत्याचार हो रहे हो।

अहमदाबाद में हुई सभा
अहमदाबाद में हुई सभा स्वयं सैनिक दल.

गुजरात में बुरे हाल , सत्ता पर उठाए सवाल

स्वयं सैनिकों ने बताया कि गुजरात की बात की जाए तो राज्य में सत्तारूढ़ बीजेपी पार्टी करीब 27 साल से सत्ता में है और खुद को विकास पुरुष कहने वाले प्रधानमंत्री तो गुजरात के मुख्यमंत्री भी रह चुके है, और आज वो 10 साल से प्रधानमंत्री के पद पर है। सवाल ये उठता है कि बीजेपी पार्टी के नेता और प्रशासन में बैठे कलेक्टर-सचिव स्तर के अधिकारी अनुसूचित जाति और जनजाति के इलाके और उनकी हालत देखने गए हैं? अनुसूचित जाति और जनजाति के लोग अन्य समुदायों की तुलना में सामाजिक, शैक्षणिक, आर्थिक विकास में पीछे हैं , और ऊपर से अत्याचार की सीमा पार कर दी है। इसके लिए प्रशासन व सरकार को जिम्मेदार क्यों न ठहराया जाए? अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए रोजगार की चिंता क्यों नहीं की जाती है ? हालाकि एससी-एसटी लोगों को सरकारी क्षेत्रों में संवैधानिक आरक्षण बाबासाहेब व हमारे महानायकों ने अथाह मेहनत, संघर्ष व बलिदानों से प्राप्त हैं, लेकिन जिसके द्वारा हमारे लोग सताए हुए है उनको ही संरक्षण प्रदान करती दिख रही है और हमें जो हक- अधिकार मिले है उनको ख़त्म कर रहे हैं

सूरत में फ्लैग मार्च करते स्वयं सैनिक
सूरत में फ्लैग मार्च करते स्वयं सैनिक स्वयं सैनिक दल.

बहुजन पर अत्याचारों की कुछ ज्वलंत घटनाएं

  • गुजरात में पिछले छह वर्षों में एससी-एसटी पर 9712 से ज्यादा अत्याचार हुए।सुरेंद्रनगर जिले के चुडा तालुका के समढियायाला गांव में अनुसूचित जाति के दो सगे भाइयों की जमीन हड़पने के संबंध में हत्या की गई ।

  • अहमदाबाद के नरोडा इलाके में एक महिला सफाईकर्मी की हत्या कर दी गयी।

  • महेसाणा जिले के वालम गांव की एक लड़की के साथ बलात्कार करके शव विसनगर रोड पर वासना के पास नग्न अवस्था में मिला।

  • चश्मा और अच्छे कपड़े पहनने पर युवक पर सात लोगों ने हमला कर दिया।

  • राजस्थान में मूंछ रखने पर लड़के को मार दिया गया । 

  • दर्शन सोलंकी नामक एक आई.आई.टी. छात्र ने जातिवाद के कारण आत्महत्या की

  • कच्छ जिले के रापर में वकील देवजीभाई महेश्वरी की सरेआम हत्या कर दी गई।

  • मध्य प्रदेश में एक बीजेपी कार्यकर्ता द्वारा एक आदिवासी युवक के कान में पेशाब करने की घटना सामने आयी।

  • मणिपुर में दो आदिवासी महिलाओं को निर्वस्त्र करके सैकड़ों लोगो की भीड़ ने प्रताड़ित किया, बलात्कार किया और कई आदिवासी लोगों को मौत के घाट उतार दिय

ज्ञापन में स्वयं सैनिक दल सदस्यों द्वारा कहा गया कि हम अक्सर अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लोगों पर हो रहे उत्पीड़न की घटनाओं के खिलाफ प्रशासन को आवेदनपत्र देकर बड़े क्रोधित स्वर में विरोध करते हैं लेकिन अब अगर प्रशासन इन घटनाओं पर अंकुश नही लगता है तो आंदोलन तेज किया जाएगा. हम अगर धैर्य से न्याय की गुहार लगा रहे हैं तो इसका एकमात्र कारण भारतीय संविधान है जो बाबासाहेब द्वारा दिया गया समानता और भाईचारे का प्रतीक है और हम संविधान में विश्वास रखने वाले लोग है। जो लोग संविधान विरोधी कार्य करते है वे देशद्रोही से ज्यादा कुछ नहीं है।

यदि शासन प्रशासन ने ऐसे गद्दारों पर तत्काल अंकुश नहीं लगाया तो आनेवाले दिनों में हम इस देश के मूलनिवासी लोग ऐसे गद्दारों को देशद्रोह की सजा देने से पीछे नहीं हटेंगे और हम आपसे उम्मीद करते है कि आप भविष्य में एससी-एसटी लोगों के उत्पीड़न के प्रति संवेदनशील रहेंगे।

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