संविधान माह विशेष: 'अम्बेडकर ने संविधान की एक लाइन भी ...'– मप्र नवोदय स्कूल का पुराना विडियो सोशल मीडिया पर फैला रहा भ्रम! जानिये कैसे हुआ हमारे संविधान का जन्म

संविधान की मूल प्रति को हाथ से लिखा गया था और यह काम प्रेम बिहारी नारायण रायजादा ने किया।
नई दिल्ली में डॉ बाबासाहब आंबेडकर की ‘महापरिनिर्वाण भूमि’ है, जहां उनका महापरिनिर्वाण (निधन) हुआ था। यहां पर अब भारत सरकार द्वारा एक भव्य एवं सुंदर “डॉ आंबेडकर राष्ट्रीय स्मारक” का निर्माण किया गया है। इस स्मारक की इमारत का डिजाइन एक खुले भारतीय संविधान की पुस्तक के रूप में है, और यह आकार “ज्ञान का प्रतीक” है।
नई दिल्ली में डॉ बाबासाहब आंबेडकर की ‘महापरिनिर्वाण भूमि’ है, जहां उनका महापरिनिर्वाण (निधन) हुआ था। यहां पर अब भारत सरकार द्वारा एक भव्य एवं सुंदर “डॉ आंबेडकर राष्ट्रीय स्मारक” का निर्माण किया गया है। इस स्मारक की इमारत का डिजाइन एक खुले भारतीय संविधान की पुस्तक के रूप में है, और यह आकार “ज्ञान का प्रतीक” है।
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नई दिल्ली- नवंबर महीना संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है, जब पूरे देश में डॉ. बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर को भारतीय संविधान के प्रमुख निर्माता के रूप में याद किया जाता है। लेकिन संविधान के 75 वर्ष पूरे होने के बावजूद आज भी कुछ लोग संविधान लिखने के सवाल पर बाबासाहेब को अपमानित करने का कोई मौका नहीं छोड़ते।

मध्यप्रदेश के रायसेन जिले के बाड़ी स्थित जवाहर नवोदय विद्यालय में तीन साल पहले (2022) दिए गए एक विवादास्पद बयान का वीडियो सोशल मीडिया पर फिर से वायरल हो रहा है। इसमें स्कूल के तत्कालीन प्राचार्य जितेंद्र कुमार मिश्रा खुले मंच पर कहते नजर आ रहे हैं कि "डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर ने संविधान की एक लाइन भी नहीं लिखी।" यह बयान न केवल ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़-मरोड़ रहा है, बल्कि बहुजन समाज के आत्मसम्मान पर गहरा प्रहार भी कर रहा है।

यह वीडियो 26 नवंबर 2022 को संविधान दिवस के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम का है, जहां विद्यालय के प्राचार्य छात्रों को संबोधित कर रहे थे। वीडियो मेंप्रिंसिपल जितेन्द्र मिश्रा स्पष्ट रूप से कहते हैं, "डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर ने संविधान की एक लाइन भी नहीं लिखी। यह बड़ी भ्रांति है कि उन्होंने लिखा है। संविधान प्रेम बिहारी नारायण रायजादा ने लिखा है, जिन्होंने इटैलियन लेखन कला में महारत हासिल की थी और उनकी हैंडराइटिंग अत्यंत उत्कृष्ट थी।" यह बयान छात्रों के बीच फैलाया गया 'ज्ञान' अब 2025 में फिर से वायरल हो गया है। एक्स (पूर्व ट्विटर) पर अनेक यूजर्स ने इसे शेयर किया है। सोशल मीडिया पर यह वीडियो तेजी से फैल रहा है। 2022 में भी इस बयान पर भारी विरोध हुआ था, जिसके बाद प्राचार्य को स्पष्टीकरण देना पड़ा।

यह बयान भले ही आंशिक रूप से सही लगे, लेकिन यह संविधान निर्माण की पूरी प्रक्रिया को नजरअंदाज करता है। भारतीय संविधान का मूल मसौदा (ड्राफ्ट) डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर की अध्यक्षता वाली ड्राफ्टिंग कमिटी ने तैयार किया था। संविधान सभा ने 26 नवंबर 1949 को इसे अपनाया और 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया। अम्बेडकर को 'संविधान के प्रमुख शिल्पकार' (Chief Architect) कहा जाता है क्योंकि उन्होंने सामाजिक न्याय, समानता और मौलिक अधिकारों जैसे मूल सिद्धांतों को आकार दिया। लेकिन शारीरिक रूप से संविधान की कॉपी लिखने का काम एक कलाकार ने किया था।

संविधान की मूल प्रति को हाथ से लिखा गया था, और यह काम प्रेम बिहारी नारायण रायजादा ने किया। 1901 में जन्मे रायजादा एक प्रसिद्ध कैलीग्राफर थे, जिन्होंने इटैलियन फ्लोइंग स्टाइल में यह कार्य पूरा किया। उन्होंने छह महीने में 251 पृष्ठों वाली यह प्रति तैयार की, जिसकी सजावट नंदलाल बोस जैसे कलाकारों ने की। रायजादा का योगदान अमूल्य है, लेकिन यह ड्राफ्टिंग से अलग है – जैसे कोई इमारत का डिजाइन आर्किटेक्ट करता है, तो पेंटिंग आर्टिस्ट। वायरल बयान इसी भ्रम को बढ़ावा देता है।

नई दिल्ली में डॉ बाबासाहब आंबेडकर की ‘महापरिनिर्वाण भूमि’ है, जहां उनका महापरिनिर्वाण (निधन) हुआ था। यहां पर अब भारत सरकार द्वारा एक भव्य एवं सुंदर “डॉ आंबेडकर राष्ट्रीय स्मारक” का निर्माण किया गया है। इस स्मारक की इमारत का डिजाइन एक खुले भारतीय संविधान की पुस्तक के रूप में है, और यह आकार “ज्ञान का प्रतीक” है।
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13 दिसंबर 1946 को संविधान सभा ने औपचारिक रूप से भारत के संविधान को तैयार करने का अपना कार्य शुरू किया। जवाहरलाल नेहरू ने उद्देश्य प्रस्ताव पेश किया, जिसका उद्देश्य भारत को एक स्वतंत्र संप्रभु गणराज्य घोषित करना और इसके भविष्य को नियंत्रित करने के लिए एक संविधान बनाना था। संकल्प ने संविधान सभा के काम का मार्गदर्शन करने के लिए सामान्य सिद्धांत स्थापित किए। 22 जनवरी, 1947 को संविधान सभा ने प्रस्ताव अपनाया।

संविधान निर्माण के लिए प्रारूप समिति का गठन किया गया था. इस प्रारूप समिति में 7 सदस्य - डॉ. बी.आर. अम्बेडकर- समिति के अध्यक्ष, अल्लादी कृष्णास्वामी अय्यर, एन गोपालस्वामी, के.एम मुंशी, मोहम्मद सादुल्ला, बी.एल. मित्तर, डी.पी. खेतान - शामिल थे। इसकी स्थापना 29 अगस्त, 1947 को की गई थी। यह समिति भारतीय संविधान का मसौदा तैयार करने के लिए जिम्मेदार थी। भारतीय संविधान सभा में कुल 389 सदस्य थे। ये सदस्य भारत के संविधान का मसौदा तैयार करने के लिए जिम्मेदार थे. भारत का संविधान 26 नवंबर, 1949 को अपनाया गया था और संविधान के अंतिम संस्करण पर 24 जनवरी 1950 को विधानसभा के सदस्यों द्वारा हस्ताक्षर किए गए और यह 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ।

कुल मिलाकर, 284 सदस्यों ने वास्तव में संविधान पर हस्ताक्षर किए थे। जिस दिन संविधान पर हस्ताक्षर किये जा रहे थे, उस दिन बाहर बूंदाबांदी हो रही थी और इसे एक अच्छे शगुन के संकेत के रूप में समझा गया। संविधान सभा में विभिन्न पृष्ठभूमि के विभिन्न प्रमुख नेता और सदस्य शामिल थे। 

नई दिल्ली में डॉ बाबासाहब आंबेडकर की ‘महापरिनिर्वाण भूमि’ है, जहां उनका महापरिनिर्वाण (निधन) हुआ था। यहां पर अब भारत सरकार द्वारा एक भव्य एवं सुंदर “डॉ आंबेडकर राष्ट्रीय स्मारक” का निर्माण किया गया है। इस स्मारक की इमारत का डिजाइन एक खुले भारतीय संविधान की पुस्तक के रूप में है, और यह आकार “ज्ञान का प्रतीक” है।
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तीन साल में बना संविधान का मसौदा, खर्चा 64 लाख रु

स्वतंत्र भारत के लिए संविधान का मसौदा तैयार करने के अपने ऐतिहासिक कार्य को पूरा करने में संविधान सभा को लगभग तीन साल (सटीक रूप से दो साल, ग्यारह महीने और सत्रह दिन) लगे। इस अवधि के दौरान, इसमें कुल 165 दिनों के ग्यारह सत्र आयोजित हुए। इनमें से 114 दिन संविधान के मसौदे पर विचार करने में व्यतीत हुए। संविधान निर्माताओं ने लगभग 60 देशों के संविधानों का अध्ययन किया था, संविधान को बनाने में कुल 64 लाख रूपये का खर्च आया।

संविधान सभा की संरचना- कैबिनेट मिशन द्वारा अनुशंसित योजना के अनुसार, सदस्यों को प्रांतीय विधान सभाओं के सदस्यों द्वारा अप्रत्यक्ष चुनाव द्वारा चुना जाता था। व्यवस्था इस प्रकार थी: (i) प्रांतीय विधान सभाओं के माध्यम से 292 सदस्य चुने गए; (ii) 93 सदस्यों ने भारतीय रियासतों का प्रतिनिधित्व किया; और (iii) 4 सदस्यों ने मुख्य आयुक्तों के प्रांतों का प्रतिनिधित्व किया। इस प्रकार सभा की कुल सदस्यता 389 होनी थी। हालांकि 3 जून, 1947 की माउंटबेटन योजना के तहत विभाजन के परिणामस्वरूप, पाकिस्तान के लिए एक अलग संविधान सभा की स्थापना की गई और कुछ प्रांतों के प्रतिनिधि इसके सदस्य नहीं रहे। परिणामस्वरूप संविधान सभाकी सदस्य संख्या घटकर 299 रह गई।

बी.एन. राव: संविधान निर्माण में 'असली निर्माता' की बहस

संविधान निर्माण में एक और नाम अक्सर बहस का विषय बनता है – सर बेनेगल नरसिंग राव (बी.एन. राव)। 1946 में संविधान सभा के संवैधानिक सलाहकार के रूप में नियुक्त राव ने प्रारंभिक मसौदा (रफ ड्राफ्ट) तैयार किया था। उन्होंने विभिन्न देशों के संविधानों का अध्ययन कर एक ब्लूप्रिंट बनाया, जो ड्राफ्टिंग कमिटी के लिए आधार बना। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि राव ही 'असली संविधान निर्माता' थे, क्योंकि अम्बेडकर ने उनके ड्राफ्ट पर ही काम किया। लेकिन आधिकारिक रूप से, संविधान सभा ने अम्बेडकर को ही प्रमुख भूमिका दी। राव का योगदान महत्वपूर्ण था, पर यह सामूहिक प्रयास का हिस्सा था, न कि एकल।

संविधान के 75 वर्ष पूरे होने पर यह वायरल वीडियो एक कड़वी याद दिलाता है कि लोकतंत्र की नींव को मजबूत रखने के लिए सत्य की रक्षा जरूरी है। बाबासाहेब अम्बेडकर की विरासत को सम्मान देने का समय है, न कि उसे कमतर ठहराने का।

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