
मुंगेर- बिहार की राजधानी पटना से 185 किलोमीटर की दूरी पर मुंगेर जिले के एक छोटे से गांव घोरघट में नेशनल हाईवे पर एक ऐसी संरचना खड़ी है जो पारंपरिक मंदिरों से बिल्कुल अलग है। यहां कोई हिंदू देवता नहीं, कोई मस्जिद का गुंबद नहीं, कोई गुरुद्वारा का स्वर्णिम द्वार नहीं, सिर्फ डॉ. बी.आर. अंबेडकर की 12 फीट ऊंची प्रतिमा खड़ी है, जो सूरज की पहली किरण के साथ चमकने लगती है और लोगों को याद दिलाती है," शिक्षित बनो, आंदोलन करो, संगठित हो (Educate, Agitate, Organize)".
यह 'मंदिर' नहीं, बल्कि समानता, सामाजिक न्याय और संविधान का जीवंत प्रतीक है। इसे बनाने वाले 80 वर्षीय रिटायर्ड आर्मी कैप्टन योगल किशोर पासवान कहते हैं, "मेरा धर्म संविधान है। बाबासाहेब हम दलितों के लिए भगवान तुल्य हैं।"
न्यूज द ट्रुथ (एनटीटी) के तमल साहा पटना की ओर 185 किलोमीटर की यात्रा पर थे। मुंगेर के पास नेशनल हाईवे पर उन्हें अचानक दूर से एक विशालकाय आकृति नजर आई। साहा अपनी वीडियो में बताते हैं कि वह प्रतिमा इतनी आकर्षक थी कि गाड़ी रोकनी पड़ी। स्थानीय लोगों ने बताया कि यह बाबा साहेब का मंदिर है जिसे एक रिटायर्ड फौजी कैप्टन युगल किशोर पासवान ने बनाया है।
80 वर्षीय रिटायर्ड आर्मी ऑफिसर कैप्टन पासवान ने बताया कि वे AUC (आर्म्ड यूनिट्स कोर) में कैप्टन रहे, पूरे भारत घूमे, लद्दाख से लेकर हर कोने तक घूम चुके हैं। कैप्टन ने बताया कि उन्होंने ये 'स्टैचू ऑफ इक्वलिटी' बनवाया है जो 12 फीट का है। इतनी ऊँची प्रतिमा इसके अलावा बिहार में शायद पटना में ही हो, कहीं और नहीं। सब 8-10 फीट के होते हैं। कैप्टन पासवान ने बताया इस भवन में नीचे बच्चे पढ़ाई करेंगे, ऊपर ऑफिस जैसा स्पेस होगा। नीचे का हिस्सा शिक्षा केंद्र बनेगा, जहां बच्चे बिना किसी भेदभाव के पढ़ेंगे। ऊपर विजिटर्स या गेस्ट्स के लिए रहेगा। सबसे ऊपर बाबासाहेब की प्रतिमा होगी।
जब उनसे पूछा गया कि लोग मंदिर बना रहे हैं, आपने यह बनाया तो कैप्टन ने जवाब दिया: "मेरा हॉबी है। मैं फौजी हूं, कोई नेता नहीं जो कमाने के ख्याल से उठे। मैंने अपनी ज़मीन सब बाबासाहेब के नाम पर दे दिया। मरना तो है, क्या ले जाएंगे?" कैप्टन पासवान ने बताया कि जिस तरह शहंशाह ने ताजमहल बनवाया ये भी मेरे लिए एक ताजमहल है जो मैंने अपनी पत्नी माया देवी की याद में बनवाया।" बाबा साहब की मूर्ति दिल्ली से बनवाकर लाई गई।
कैप्टन भावुक होकर कहते हैं: "अंबेडकर साहब ने देश को संविधान दिया। मेरी नातिन वकील है और छोटी बेटी पटना हाईकोर्ट में वकील हैं। संविधान लेकर ही तो चल रही हैं। फौजी की कोई इनकम नहीं, लेकिन दिल में आया ये काम करें, बिना बेटे-बेटी से पूछे 15-20 फीट जमीन दे दी।"
वे जोर देकर कहते हैं, "संविधान को क्यों न पूजें? ये देवता है, भगवान तुल्य। पूरे विश्व में बाबा साहब को मानते हैं और उन्होंने ही ये संविधान हमको दिया है जिससे देश चल रहा है, सरकार चाहे दिल्ली की हो या बिहार की, संविधान से ही चलना पड़ेगा नहीं तो जनता उन्हें उतार देगी।"
एक सवाल के जवाब में कि एक समय बिहार में दलितों को मंदिरों में नहीं घुसने दिया जाता था, कैप्टेन कहते हैं कि यहाँ आंबेडकर मंदिर में आने वालों से "जात-पात नहीं पूची जाएगी, एक भिखारी से अमीर तक यहाँ आकर बात सकता है। कोई भी अंदर जा सकता है।"
धर्म पर किये सवाल पर कैप्टन कहते मैं हिन्दू हूं लेकिन बाबा साहब को भगवान मानता हूँ क्योंकि बाकी देवता होंगे लेकिन ये साक्षात व्यक्ति थे। इन्होने देश को जो दिया, कोई नेता नहीं दे सका। संविधान सबका है-हिंदू, मुस्लिम, ईसाई, हर जाति का।" कैप्टन पासवान के परिवार में चार बेटियां और एक बेटा है जो LIC में असिस्टेंट मैनेजर हैं। वे कहते हैं, "जमीन बेच घूम सकते थे, लेकिन दान दे दिया। पिछले जन्म के ऋणी हैं बाबासाहेब के, कंजूसी की होगी, अब हिस्सा दे दिया।" फिलहाल भवन निर्माण का काम जारी है, नीचे प्लास्टर बाकी है जो पूरा होते ही बच्चों की पढाई के लिए दे दिया जाएगा।
(साभार: यह रिपोर्ट न्यूज द ट्रुथ (एनटीटी) द्वारा 9 Nov 2025 को प्रसारित तमल साहा और रोनी सानत्रा की मूल वीडियो रिपोर्ट पर आधारित है )
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