MP में जहरीले कफ सीरप से 16 बच्चों की मौत: सीएम की सख्ती के बाद चार अधिकारी निलंबित, दो और ब्रांड में मिला घातक रसायन

छिंदवाड़ा के मृतक बच्चों के परिजनों ने सरकार से मांग की है कि दोषी अधिकारियों और कंपनी मालिकों पर गैर-इरादतन हत्या की धारा में मामला दर्ज किया जाए।
MP में जहरीले कफ सीरप से 16 बच्चों की मौत
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भोपाल। मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा और बैतूल जिलों में जहरीला कफ सीरप पीने के बाद 16 मासूम बच्चों की मौत ने पूरे प्रदेश को हिला दिया है। किडनी फेल होने से हुई इन मौतों के बाद मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इस पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए सोमवार को बड़ा एक्शन लिया। मुख्यमंत्री की सख्ती के बाद शासन ने औषधि प्रशासन विभाग के चार अधिकारियों पर कार्रवाई की है। इनमें राज्य के ड्रग कंट्रोलर को हटा दिया गया है, जबकि डिप्टी ड्रग कंट्रोलर और छिंदवाड़ा व जबलपुर के औषधि निरीक्षकों को निलंबित कर दिया गया है।

सरकार का यह कदम तमिलनाडु सरकार और मध्य प्रदेश की अलग-अलग जांच रिपोर्टों के बाद आया है, जिनमें कोल्ड्रिफ ब्रांड के कफ सीरप में घातक रासायनिक तत्व डायथिलीन ग्लायकाल (DEG) मिलने की पुष्टि हुई थी। इस जहरीले तत्व के कारण बच्चों के शरीर की किडनी फेल हो गई, जिससे उनकी जान नहीं बचाई जा सकी।

मुख्यमंत्री ने दिए निर्देश

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सोमवार सुबह अपने आवास पर बुलाई गई उच्चस्तरीय बैठक में अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए। उन्होंने कहा, “मानव जीवन की सुरक्षा से जुड़े मामलों में किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। जिम्मेदार अधिकारी चाहे किसी भी स्तर पर हों, उन पर कड़ी कार्रवाई होगी।”

इसके बाद मुख्यमंत्री दोपहर में छिंदवाड़ा पहुंचे, जहां उन्होंने मृत बच्चों के परिजनों से मुलाकात की। उन्होंने परिजनों को आश्वासन दिया कि दोषियों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा और पीड़ित परिवारों को न्याय दिलाया जाएगा।

गौरतलब है कि यह मामला तब सुर्खियों में आया जब चार साल के शिवम राठौर की चार सितंबर को किडनी फेल होने से मौत हुई थी। इसके बाद लगातार एक-एक कर बच्चों की हालत बिगड़ती गई और अब तक छिंदवाड़ा में 14 एवं बैतूल में दो बच्चों की जान जा चुकी है।

डॉक्टर और कंपनी के खिलाफ FIR

सरकार ने इससे पहले रविवार रात ही कफ सीरप लिखने वाले शासकीय चिकित्सक डॉ. प्रवीण सोनी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया था। आरोप है कि उन्होंने बच्चों को वही सीरप लिखी थी, जिससे मौतें हुईं। इसके साथ ही तमिलनाडु की श्रेसन फार्मास्युटिकल कंपनी के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया है, जिसने कोल्ड्रिफ ब्रांड का कफ सीरप बनाया था। राज्य सरकार ने शनिवार को इस कंपनी के सभी उत्पादों की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने के आदेश जारी किए थे।

किन पर हुई कार्रवाई और क्यों?

इस मामले में शासन ने चार अधिकारियों पर सीधी कार्रवाई की है। जांच में पाया गया कि कफ सीरप के सैंपलिंग और परीक्षण में गंभीर लापरवाही की गई थी। तमिलनाडु सरकार ने जहां 48 घंटे के भीतर रिपोर्ट जारी कर दी, वहीं मध्य प्रदेश की औषधि प्रयोगशाला ने छह दिन बाद रिपोर्ट सौंपी।

1. दिनेश मौर्य (ड्रग कंट्रोलर)

बच्चों की मौत के बाद छिंदवाड़ा से लिए गए सैंपलों की जांच में छह दिन की देरी की गई। यह गंभीर प्रशासनिक लापरवाही मानी गई।

2. शोभित कोष्टा (डिप्टी ड्रग कंट्रोलर)

इन पर सैंपलों की जांच में देरी और घटना से पहले उचित निगरानी न करने का आरोप है।

3. गौरव शर्मा (औषधि निरीक्षक, छिंदवाड़ा)

इन पर आरोप है कि उन्होंने जिले में सैंपलिंग और मेडिकल स्टोर्स की जांच में लापरवाही की। जिस मेडिकल स्टोर से सीरप बेचा गया, वहां स्टॉक रिकॉर्ड भी बेमेल मिला।

4. शरद कुमार जैन (औषधि निरीक्षक, जबलपुर)

कोल्ड्रिफ सीरप का स्टॉकिस्ट जबलपुर में था, जहां से यह छिंदवाड़ा भेजा गया था। घटना के बाद भी सैंपल तुरंत नहीं भेजे गए, जिससे रिपोर्ट में देरी हुई।

जांच में खुलासा: दो और ब्रांड में मिला जहरीला रसायन

मामले की गंभीरता को देखते हुए राज्य औषधि प्रयोगशाला में सोमवार को अन्य कफ सीरप की जांच की गई। जांच में दो और ब्रांड रिलीफ (Relife) और रेस्पीफ्रेश-टीआर (Respifresh-TR) में भी जहरीला रसायन डायथिलीन ग्लायकाल (DEG) पाया गया।

  • रिलीफ सीरप (बैच नंबर: LSL-25160)

निर्माता: शेप फार्मा, शेखपुर, गुजरात

उत्पादन तिथि: जनवरी 2025

एक्सपायरी: दिसंबर 2026

DEG की मात्रा: 0.616 प्रतिशत

  • रेस्पीफ्रेश-टीआर सीरप (बैच नंबर: R-01GL2523)

उत्पादन तिथि: जनवरी 2025

एक्सपायरी: दिसंबर 2026

DEG की मात्रा: 1.342 प्रतिशत

वहीं कोल्ड्रिफ सीरप में DEG की मात्रा 46.20 प्रतिशत पाई गई, जो बेहद खतरनाक स्तर है। विशेषज्ञों के अनुसार, DEG की मात्रा 0.1 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए। इससे अधिक होने पर यह शरीर की किडनी और लिवर को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाता है।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने निर्देश दिए हैं कि इन दोनों ब्रांड का पूरा स्टॉक जब्त किया जाए और संबंधित कंपनियों के खिलाफ वैधानिक कार्रवाई की जाए।

क्या है डायथिलीन ग्लायकाल (DEG)?

डायथिलीन ग्लायकाल एक औद्योगिक रासायनिक तत्व है, जो प्रायः पेंट, प्लास्टिक और ब्रेक फ्लूड जैसे उत्पादों में प्रयोग किया जाता है। इसे कभी भी दवाओं या खाद्य पदार्थों में उपयोग नहीं किया जाना चाहिए। यह शरीर में पहुंचने पर किडनी और लिवर की कार्यक्षमता को नष्ट कर देता है। भारत ही नहीं, 1937 में अमेरिका और हाल के वर्षों में गांबिया तथा उज़्बेकिस्तान में भी DEG युक्त सीरप से बच्चों की मौतें हुई थीं।

जांच जारी, केंद्र को रिपोर्ट भेजी गई

मध्य प्रदेश सरकार ने इस पूरे मामले की रिपोर्ट केंद्र सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय को भेज दी है। स्वास्थ्य विभाग ने सीरप के सभी बैचों को बाजार से वापस बुलाने (Recall) की प्रक्रिया शुरू कर दी है। साथ ही राज्यभर में औषधि निरीक्षकों को निर्देश दिए गए हैं कि वे दुकानों और गोदामों में उपलब्ध सारा स्टॉक जब्त करें।

राज्य औषधि नियंत्रण विभाग ने फिलहाल प्रदेश में सभी कोल्ड्रिफ, रिलीफ और रेस्पीफ्रेश-टीआर ब्रांड के सीरप पर अस्थायी प्रतिबंध लगा दिया है।

पीड़ित परिवारों में गुस्सा, कहा- "बच्चों की मौत व्यापारिक लापरवाही का नतीजा"

छिंदवाड़ा के मृतक बच्चों के परिजनों ने सरकार से मांग की है कि दोषी अधिकारियों और कंपनी मालिकों पर गैर-इरादतन हत्या की धारा में मामला दर्ज किया जाए। ग्राम परासिया की एक पीड़ित मां ने कहा, “सरकार की गलती से हमारे बच्चे मरे हैं। हमें मुआवजा नहीं, इंसाफ चाहिए।”

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