नई दिल्ली: जाने माने पूर्व टीवी चैनल पत्रकार अजीत अंजुम, जो अब अपने यूट्यूब चैनल के माध्यम से ग्राउंड रिपोर्ट्स के लिए मशहूर हैं, के खिलाफ बिहार के बेगूसराय जिले में एक FIR दर्ज होने का मामला सामने आया है. पत्रकार ने सोशल मीडिया पर इस FIR का संबंध उनकी हालिया बिहार में चल रही विशेष मतदाता पुनरीक्षण अभियान यानिए (SIR) प्रक्रिया पर उनकी ग्राउंड रिपोर्टिंग को बताया है।
अजीत अंजुम, एक वरिष्ठ पत्रकार हैं, जो अपनी निष्पक्ष और जमीनी पत्रकारिता के लिए जाने जाते हैं. उन्होंने दावा किया है कि बिहार के बेगूसराय जिले में उनके खिलाफ एक FIR दर्ज की गई है। यह FIR उनकी उस रिपोर्टिंग से जुड़ी है, जिसमें उन्होंने चुनाव आयोग द्वारा बिहार में चलाए जा रहे विशेष मतदाता पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया में कथित अनियमितताओं को उजागर करने का दावा किया है।
अजीत अंजुम ने 13 और 14 जुलाई 2025 को अपने सोशल मीडिया हैंडल (@ajitanjum) पर पोस्ट किया कि उनकी SIR से संबंधित फैक्ट-चेकिंग और ग्राउंड रिपोर्टिंग के कारण कुछ लोग बौखला गए हैं। इससे साफ जाहिर था कि, उन्होंने बेगूसराय के बलिया प्रखंड में SIR के तहत भरे जा रहे फॉर्म्स में अनियमितताओं की ओर इशारा किया था।
उनके अनुसार, स्थानीय ब्लॉक डेवलपमेंट ऑफिसर (BDO) और सब-डिविजनल ऑफिसर (SDO) ने उनसे उनकी वीडियो रिपोर्ट को हटाने के लिए संपर्क किया था। अंजुम ने दावा किया कि एक बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) पर दबाव डालकर उनके खिलाफ FIR दर्ज की गई है, जिसमें उन पर सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने का आरोप लगाया गया है। हालांकि, अंजुम ने अपने एक वीडियो में स्पष्ट किया है कि उनकी रिपोर्टिंग में ऐसा कुछ नहीं था जो सांप्रदायिक सद्भाव को नुकसान पहुंचाए। उन्होंने लोगों से उनकी वीडियो देखकर खुद तय करने को कहा।
अंजुम ने यह भी कहा कि वह इस मामले का सामना करने के लिए तैयार हैं और पत्रकारिता के अपने कर्तव्य को निभाते रहेंगे।
आपको बता दें कि, अजीत अंजुम ने अपने यूट्यूब चैनल और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर बिहार में SIR प्रक्रिया की जमीनी हकीकत को उजागर करने के लिए कई जिलों का दौरा किया है। उनकी रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि चुनाव आयोग के दावों और SIR प्रक्रिया के कार्यान्वयन में कई गड़बड़ियां हैं।
पत्रकार पर FIR की बात सामने आने के बाद, सोशल मीडिया प्लेटफोर्म एक्स पर कुछ पोस्ट्स में दावा किया गया कि अंजुम की निष्पक्ष और निडर पत्रकारिता ने प्रशासन को असहज कर दिया, जिसके चलते यह कार्रवाई की गई।
अजीत अंजुम ने आज 14 जुलाई को घटना पर पहला पोस्ट करते हुए लोगों को सूचित किया कि, "बिहार के बेगूसराय में मेरे खिलाफ FIR किए जाने की जानकारी आ रही है. FIR की कॉपी मुझे नहीं मिली है. मैं इंतज़ार कर रहा हूं. दो दिन पहले मैंने बलिया प्रखंड में 'SIR' के लिए भरे जा रहे FORM में अनियमितता की रिपोर्टिंग की थी. मुझे स्थानीय BDO और SDO की तरफ से कॉल करके वीडियो डिलीट करने को कहा गया था. मैंने उनकी बात नहीं सुनी. नतीजा सामने है. बिहार में चुनाव आयोग के तौर- तरीकों पर सौ सवाल हैं. उन सवालों का जवाब देने की बजाय अब पत्रकारों को डराने की कवायद शुरू हुई है. इस वीडियो में मैंने अपना पक्ष रख दिया है. डरूंगा नहीं. जो सच है, वही दिखाऊंगा. जो खामियां हैं, उन पर रिपोर्ट करूंगा. FIR की अधिकृत सूचना का इंतजार कर रहा हूं. मैं कल रात किशनगंज से बेगूसराय आ गया हूं, ताकि मेरी तलाश में प्रशासन को ज्यादा परेशानी न हो."
इस घटना पर NDTV चैनल के प्रसिद्द पूर्व टीवी चैनल पत्रकार रवीश कुमार ने लिखा कि, "चुनाव आयोग का नाम FIR आयोग कर देना चाहिए। विपक्ष को गांव गांव जाना चाहिए और वोटर से पूछना चाहिए कि क्यों उन्हें पावती रसीद मिली है? या फिर आयोग को अपने बोर्ड से हटवा देना चाहिए कि BLO दो फॉर्म लेकर जा रहे हैं? यह निर्देश जिसने दिया है और जिसने लिखवाया है, FIR उसके ख़िलाफ़ होनी चाहिए। कायदे से आयोग को @ajitanjum का शुक्रिया अदा करना चाहिए और FIR वापस लेनी चाहिए। जिन BLO को दंडित किया गया है, उनके ख़िलाफ़ भी मामलों को वापस लेना चाहिए।"
एक अन्य ट्वीट में उन्होंने लिखा कि, "बेगूसराय में दर्ज ये FIR एक पत्रकार के तौर पर मेरे लिए सर्टिफिकेट की तरह है . चुनाव आयोग के 'SIR' पर खुलासे का ये अंजाम तो होना ही था. इसी पोस्ट के कॉमेंट बॉक्स में मेरा वीडियो है. उस वीडियो में चुनाव आयोग की को खामियां दिख रही हैं, उनका जवाब देने की बजाय मुझ पर FIR कर दी गई है. एक दर्शक के तौर पर आप भी फैसला कीजिए."
मामले पर वरिष्ठ पत्रकार दीपक शर्मा ने एक्स पर लिखा कि, "अजीत अंजुम उन पत्रकारों में से हैं जिन्होने पत्रकारिता कमजोर लोगों के लिये ही की है। ऐसे पत्रकार को गिरफ्तार करके जेल भेजने की धमकी देना सरासर गलत है। बेहतर हो बिहार पुलिस ऐसा जुल्म करने से बचे।उनके कलम को चलने दे। वैसे भी सरकार से सवाल करने वाले पत्रकार देश में 5-10 ही बचे हैं।"
पूर्वी टीवी चैनल पत्रकार अभिसार शर्मा ने भी एक्स पर पोस्ट करते हुए सवाल किया कि, "शर्म कीजिए @ECISVEEP. आपके काम में साफ़ तौर पर पारदर्शिता की कमी है और जो पत्रकार तथ्यों के आधार पर काम कर रहा है..उसे ऐसे परेशान किया जाएगा? गलत."
अजीत अंजुम की इन रिपोर्ट्स को विपक्षी दलों, जैसे राष्ट्रीय जनता दल (RJD), कांग्रेस और अन्य ने समर्थन दिया, जो SIR को लेकर पहले से ही सवाल उठा रहे हैं। वहीं दूसरी ओर, कुछ लोग और संगठन, खासकर सत्तारूढ़ दल से जुड़े और उनका समर्थन करने वाले लोग, उनकी पत्रकारिता को पक्षपातपूर्ण मानते हैं और इसे भाजपा-विरोधी प्रचार के रूप में देखते हैं।
अंजुम ने अपनी यूट्यूब वीडियो और सोशल मीडिया पोस्ट में SIR प्रक्रिया में कथित खामियों को उजागर किया। उन्होंने दावा किया कि कई जिलों में BLO द्वारा फॉर्म भरने में नियमों का पालन नहीं हो रहा है और कुछ स्थानों पर प्रक्रिया में गड़बड़ियां हैं। लेकिन जहां, उनकी इन रिपोर्ट्स को विपक्षी नेताओं और कार्यकर्ताओं ने समर्थन दिया, वहीं सत्ता दल और कुछ अधिकारियों ने इसे भ्रामक और सांप्रदायिक तनाव बढ़ाने वाला बता दिया।
SIR (Special Intensive Revision) एक विशेष मतदाता पुनरीक्षण प्रक्रिया है, जिसे भारत निर्वाचन आयोग (ECI) ने बिहार में मतदाता सूची को अपडेट करने के लिए शुरू किया है। यह प्रक्रिया बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले शुरू की गई है, जो अक्टूबर-नवंबर 2025 में होने की संभावना है। SIR का मुख्य लक्ष्य मतदाता सूची से अयोग्य नामों (जैसे मृतक, गैर-नागरिक, डुप्लिकेट प्रविष्टियां) को हटाना और केवल पात्र नागरिकों को शामिल करना है।
SIR की प्रक्रिया में घर-घर जाकर सत्यापन करना शामिल है. जिसमें बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) घर-घर जाकर मतदाताओं की जानकारी एकत्र करते हैं, जिसमें नाम, पता, जन्मतिथि, आधार नंबर, वोटर आईडी नंबर आदि शामिल हैं। मतदाताओं को अपनी पात्रता साबित करने के लिए 11 बताये गए दस्तावेजों में से कम से कम एक जमा करना होगा। हालांकि, ECI ने बाद में नियमों में ढील दी और कहा कि दस्तावेज बाद में (1 अगस्त से 1 सितंबर तक दावे और आपत्ति की अवधि में) भी जमा किए जा सकते हैं।
SIR अभियान जब से शुरू हुआ तभी से विपक्षी दल, जैसे RJD, कांग्रेस, AIMIM, और सामाजिक कार्यकर्ता, SIR की समयसीमा और प्रक्रिया पर सवाल उठा रहे हैं। उनका कहना है कि यह प्रक्रिया गरीब, प्रवासी, अल्पसंख्यक, और हाशिए पर रहने वाले समुदायों के मतदान अधिकारों को छीन सकती है, क्योंकि बिहार में जन्म पंजीकरण और दस्तावेजीकरण की स्थिति खराब है। इसका उदाहरण देते हुए, कांग्रेस के सरल पटेल ने कहा कि बिहार में 2007 में केवल 7.13 लाख जन्म पंजीकृत हुए, जबकि अनुमानित जन्म 28 लाख थे। जबकि, AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने पूछा कि अगर अवैध प्रवासी पहले लोकसभा चुनाव 2024 में वोट डाल सकते थे, तो अब अचानक उनकी पात्रता पर सवाल क्यों?
हालांकि, बिहार BJP के प्रवक्ता नीरज कुमार ने SIR के खिलाफ बोलने वालों पर निशाना साधा और कहा कि यह प्रक्रिया संवैधानिक है। उन्होंने विपक्ष पर संवैधानिक संस्थानों का अपमान करने का आरोप लगाया है।
विपक्षी राजनीतिक पार्टियों का अनुमान है कि लगभग 2.93 करोड़ मतदाताओं को अपनी पात्रता साबित करने के लिए दस्तावेज जमा करने होंगे, जिससे बड़े पैमाने पर मतदाता बहिष्करण का खतरा है। RJD सांसद मनोज झा, TMC सांसद महुआ मोइत्रा, और अन्य कार्यकर्ताओं ने SIR को असंवैधानिक और मनमाना बताते हुए सुप्रीम कोर्ट में चुनौती भी दी है। लेकिन, ECI ने कहा कि SIR संवैधानिक प्रक्रिया है और यह पारदर्शी तरीके से हो रही है। आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि कुछ लोगों द्वारा गलत और भ्रामक बयान दिए जा रहे हैं।
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