
मदुरै- तमिलनाडु के मदुरै स्थित तिरुपरामकुंद्रम पहाड़ी पर स्थित सिकंदर बादूशा दरगाह में चंदनकुडम उत्सव के दौरान 26 दिसंबर को एक विवाद हुआ। केरल के पालक्कड़ से आए मलयाली मुस्लिम भक्तों के एक समूह को पुलिस द्वारा रोक लिया गया क्योंकि वे मीट (गैर-शाकाहारी भोजन) लेकर दरगाह जा रहे थे। पुलिस ने हाईकोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए उन्हें रोका, जिसमें पहाड़ी पर मीट ले जाने या परोसने पर प्रतिबंध है। समूह ने भोजन नष्ट कर दिया और बाद में दरगाह में प्रवेश की अनुमति मिल गई।
इस घटना में पालक्कड़ से 40 से अधिक भक्त चंदनकुडम उत्सव में भाग लेने आए थे, जो दरगाह पर आयोजित होने वाला एक प्रमुख धार्मिक आयोजन है। इसी तरह तमिलनाडु के तेंगाशी जिले से आए एक अन्य समूह को भी पुलिस ने मीट लेकर जाने से रोका। आपको बता दें, मदुरै सल्तनत के अंतिम सुल्तान सिकंदर शाह की 14वीं सदी की कब्र पर 17वीं से 18वीं सदी में स्मारक बनाया गया था। यह क्षेत्र के तमिल मुसलमानों के लिए एक प्रमुख तीर्थ स्थल है।
चंदनकुडम (या संथानकूडु) उत्सव दरगाह पर मनाया जाने वाला पारंपरिक त्योहार है, जिसमें भक्त चंदन से भरी लकड़ी की बाल्टियां (कुडम) लेकर आते हैं। यह उत्सव जनवरी में मकर संक्रांति के आसपास होता है, लेकिन इसकी तैयारियां पहले से शुरू हो जाती हैं। पहाड़ी पर सुभ्रामण्य स्वामी मंदिर भी स्थित है, जिसके कारण हिंदू संगठनों द्वारा लंबे समय से विवाद चल रहा है। वे आरोप लगाते हैं कि उत्सव के दौरान पशु बलि और मीट का उपयोग मंदिर की पवित्रता को भंग करता है।
मद्रास हाईकोर्ट ने हाल ही में इस उत्सव को आयोजित करने की अनुमति दी, लेकिन पशु बलि पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया। अदालत ने कहा कि ऐसी प्रथा के लिए कोई ऐतिहासिक दस्तावेजी प्रमाण नहीं है। इससे पहले जून-जुलाई में एक विभाजित फैसले में एक जज ने धार्मिक स्वतंत्रता के नाम पर बलि की अनुमति दी, जबकि दूसरे ने प्रमाण मांगे। तीसरे जज ने यह कहते हुए कि जब तक सिविल कोर्ट में प्रथा सिद्ध न हो, अक्टूबर में बलि पर रोक लगाई।
पिछले दिनों एक याचिका दायर की गई थी, जिसमें चंदनकुडम के साथ जुड़े कंडूरी उत्सव (जिसमें मीट परोसने की परंपरा है) पर प्रतिबंध की मांग की गई। मद्रास हाईकोर्ट ने 26 दिसंबर को इस याचिका पर राज्य सरकार से जवाब मांगा। याचिकाकर्ता, जो स्वयं को भगवान मुरुगन के भक्त बताते हैं, ने दावा किया कि 6 जनवरी को होने वाले इस आयोजन से पहाड़ी की धार्मिक शांति भंग होगी। अदालत ने उत्सव को रोकने की मांग खारिज नहीं की, लेकिन सुनवाई के लिए समय दिया है।
इस महीने की शुरुआत में घटी एक और घटना ने इस विवाद को और गहरा किया। पहाड़ी की चोटी पर स्थित एक पत्थर के स्तंभ पर कार्तिका दीपम जलाने के अदालती आदेश को तमिलनाडु सरकार ने लागू नहीं किया। हिंदू संगठनों का दावा है कि यह स्तंभ हिंदू परंपरा का हिस्सा है, लेकिन सरकार ने 15-16 दिसंबर को हाईकोर्ट में तर्क दिया कि यह जैन संतों (समानर) द्वारा बनाया गया था और हिंदू धर्म से इसका कोई संबंध नहीं। सरकार ने कहा कि मदुरै जिले में ऐसे कई स्तंभ हैं, जो जैन भिक्षुओं के लिए प्रकाश स्रोत के रूप में इस्तेमाल होते थे, न कि दीपम जलाने के लिए।
इसके खिलाफ अवमानना याचिका और सिंगल बेंच के फैसले के खिलाफ अपील जनवरी 2026 में सुनवाई के लिए निर्धारित है। हिंदू संगठनों ने सरकार पर धार्मिक सद्भाव बिगाड़ने का आरोप लगाया है।
इधर, पुलिस ने बताया कि हाईकोर्ट के आदेश के तहत पहाड़ी पर केवल शाकाहारी भोजन की अनुमति है, ताकि विभिन्न धर्मों के बीच तनाव न फैले। चंदनकुडम उत्सव के दौरान भारी पुलिस बल तैनात है, और बैरिकेडिंग की गई है। जनवरी में होने वाले मुख्य आयोजन के लिए सुरक्षा और सतर्कता बढ़ा दी गई है।
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