महिला सैनिकों को अब अधिकारियों समान मिलेगी मैटरनिटी लीव

वर्तमान में सेना की महिला अधिकारियों को 180 दिन की मैटरनिटी लीव (Maternity Leave) मिलती है। यह नियम अधिकतम दो बच्चों पर लागू होता है। इसके साथ ही अगर वो एक साल से कम उम्र के बच्चे को गोद लेती हैं तो उसके गोद लेने की तारीख के बाद से उन्हें 180 दिनों की छुट्टी मिलती है। एक महिला अधिकारी को अपनी पूरी नौकरी के दौरान 360 दिन बच्चे की देखभाल के लिए मिलते हैं।
Image Source- Danik Bhaskar
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नई दिल्ली- केंद्र सरकार द्वारा अब महिला सैनिकों को अधिकारियों के समान ही मैटरनिटी लीव (Maternity Leave) दिया जायेगा. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने सभी महिला सैन्यकर्मियों को समान रूप से मातृत्व, शिशु देखभाल और दत्तक ग्रहण अवकाश देने संबंधी प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। रक्षा मंत्रालय ने कहा कि इस फैसले से सशस्त्र बलों में हर रैंक की महिलाओं की ‘समावेशी भागीदारी’ सुनिश्चित होगी।

दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र सियाचिन में परिचालन रूप से तैनात होने से लेकर युद्धपोतों पर तैनात होने के साथ-साथ आसमान पर हावी होने तक, भारतीय महिलाएं अब सशस्त्र बलों में लगभग हर क्षेत्र में बाधाओं को तोड़ रही हैं।

कितने दिन की मिलेगी मैटरनिटी लीव ?

वर्तमान में सेना की महिला अधिकारियों को 180 दिन की मैटरनिटी लीव (Maternity Leave) मिलती है। यह नियम अधिकतम दो बच्चों पर लागू होता है। इसके साथ ही अगर वो एक साल से कम उम्र के बच्चे को गोद लेती हैं तो उसके गोद लेने की तारीख के बाद से उन्हें 180 दिनों की छुट्टी मिलती है। एक महिला अधिकारी को अपनी पूरी नौकरी के दौरान 360 दिन बच्चे की देखभाल के लिए मिलते हैं। इसके लिए बच्चों की उम्र 18 साल से कम होनी चाहिए।

गौरतलब है कि साल 2019 में भारतीय सेना के सैन्य पुलिस कोर में सैनिकों के रूप में महिलाओं की भर्ती के माध्यम से एक महत्वपूर्ण सफलता हासिल की गई। जिसके बाद अग्निवीर योजना के जरिये महिला जवानों की भर्ती नौसेना एवं वायुसेना में भी की है।

महिलाओं के लिए कामकाजी स्थितियों में सुधार होगा

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘अवकाश संबंधी नियमों के विस्तार से सशस्त्र बलों में महिला-विशिष्ट पारिवारिक और सामाजिक समस्याओं से निपटने में काफी सहायता मिलेगी।” उसने कहा, ‘‘इस कदम से सेना में स्त्रियों के लिए कामकाजी स्थितियों में सुधार होगा और उन्हें पेशेवर एवं पारिवारिक जीवन में बेहतर ढंग से संतुलन बनाने में सहायता मिलेगी।

पिता को भी मिलती है छुट्टी

इस समय केंद्रीय कर्मचारियों को 15 दिन का पितृत्व अवकाश (Paternity Leave) दिया जाता है। प्राइवेट सेक्टर की बात करें तो कुछ कंपनियों में 7 दिन का अवकाश है लेकिन कुछ कंपनियों में स्पष्ट नीति नहीं है। इसे यह कहकर टाल दिया जाता है कि पिता का बच्चे के साथ रहना उतना जरूरी नहीं, जितना मां का रहना जरूरी है।

वर्ष 2017 में महाराष्ट्र के सांसद राजीव साटव ने पिता के हितों को संरक्षित करने के लिए पैटर्निटी बेनीफिट बिल पेश किया था। इसमें असंगठित और निजी क्षेत्र में 15 दिन के पितृत्व अवकाश का प्रस्ताव था जो तीन माह तक बढ़ाया जा सकता था, लेकिन उनका प्रयास सिरे नहीं चढ़ सका। देश में पितृत्व अवकाश की मौजूदा स्थिति देखी जाए तो आल इंडिया सर्विस रूल के तहत केंद्र सरकार अपने पुरुष कर्मचारियों को दो बच्चों के जन्म के समय 15 दिन का सवैतनिक अवकाश देती है। अब इसको लेकर मांग तेज होने लगी है।

मां की है मुश्किल लेकिन पापा का भी रोल महत्वपूर्ण

आज के समय में गांव हो या शहर नवजात की देखभाल करना आसान नहीं है। सामूहिक परिवार में थोड़ी आसानी हो जाती है लेकिन आजकल फ्लैट में रहने वाले माता-पिता के पास मां के अलावा बच्चों को संभालने वाला कोई नहीं होता है। पहली बार माता-पिता बनने के बाद कई तरह की चुनौतियां आती हैं। इसमें समय और धैर्य की जरूरत होती है। प्रसव के बाद मां को कुछ महीने तक आराम करने और ज्यादा भागदौड़ न करने की सलाह दी जाती है। ऐसे में अगर पिता नौकरी पर जाए तो मां के लिए अकेले बच्चे को संभालना मुश्किल भरा होता है।

ऐसा कितनी बार देखा गया है कि सभी लोग यही सोचते हैं कि बच्चा सिर्फ मां ही संभाल सकती है। क्योंकि दूध सिर्फ मां ही पिलाती है। तो इसमें पापा का क्या काम हो सकता है।

बच्चे के जन्म पर मां-बाप की दुनिया ही बदल जाती है। कई अप्रत्याशित चीजें होती हैं। मां को शारीरिक और भावनात्मक रूप से एक साथ की जरूरत होती है, जो बच्चे की देखरेख में उसका साथ दे सके। यही वजह है कि अब देश में पैटरनिटी लीव बढ़ाने की मांग तेज हो गई है।

पुरुषों के लिए पैटर्निटी लीव उतना ही जरूरी है। जितना महिलाओं के लिए होता है। आपने देखा होगा कि जन्म के बाद बच्चे मां को जल्दी पहचान जाते हैं। और पिता के साथ ऐसा नहीं होता है। इसका मुख्य कारण मां से जुड़ाव है। नवजात पिता को नहीं पहचानता। कई बच्चे पिता को देखकर रोने भी लगते हैं। वहीं, कई बच्चे कई दिनों के बाद पहचान पाते हैं। वहीं, इस दौरान बच्चे की मां को भी फिजिकल व मेंटल सपोर्ट की जरूरत होती है। ऐसे में अगर पुरुष घर में होंगे तो महिलाओं को भी सपोर्ट मिलेगा, जो उनके लिए अच्छा होगा।

उत्‍तर प्रदेश सह‍ित पूरे भारत में 15 दिनों तक कर्मचारी पैटर्निटी लीव ले सकते हैं। निजी कंपनी के स्टाफ के लिए अभी तक कोई फिक्स नियम नहीं हैं। यहां कई बड़ी कंपनियां इस लीव को देती हैं। वहीं, कई कंपनियां इसे नहीं मानती है और छुट्टी देने से इंकार कर देती है। सभी कंपनियों की एचआर पॉलिसी अलग-अलग होती है। ऐसे में इस छुट्टी को लेने से पूर्व अपने एचआर से पैटर्निटी लीव(Paternity Leave) के नियम जानना बेहद जरूरी है।

जैसे महिला सैनिक या दूसरी कामकाजी महिलाओं के लिए मैटरनिटी लीव होती है। क्या इस तरह पिता के लिए भी 15 दिन से अधिक की छुट्टियां बढ़ानी चाहिए। यह सब देखना होगा। क्योंकि बच्चे की जिम्मेदारी दोनों की होती है।

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