सोशल मीडिया पर RJD की तीन महिला प्रवक्ताओं की ट्रोलिंग, जातिगत व अमर्यादित टिप्पणियां कर रहे यूजर्स!

सोशल मीडिया पर महिला राजनेताओं को निशाना बनाना कोई नई बात नहीं, लेकिन बहुजन पृष्ठभूमि से आने वाली महिलाओं पर जातीय आधार पर अपमानजनक हमले गंभीर चिंता पैदा करते हैं।
सोशल मीडिया पर RJD की तीन महिला प्रवक्ताओं की ट्रोलिंग, जातिगत व अमर्यादित टिप्पणियां कर रहे यूजर्स!
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नई दिल्ली। राष्ट्रीय जनता दल (RJD) की तीन महिला प्रवक्ता, प्रियंका भारती, कंचना यादव और सारिका पासवान को पिछले दो दिनों से सोशल मीडिया पर संगठित तरीके से ट्रोलिंग और चरित्र हनन का सामना करना पड़ रहा हैं। RJD की राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रियंका भारती ने आरोप लगाया है कि बीजेपी से जुड़े ट्रोलर्स और कुछ नेताओं द्वारा इन तीनों को जातिगत, लैंगिक और अमर्यादित शब्दों से लगातार निशाना बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह हमला सिर्फ व्यक्तिगत नहीं, बल्कि महिलाओं और बहुजन राजनीति की बढ़ती ताकत से उपजे डर का परिणाम है।

RJD की राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रियंका भारती ने एक्स पर एक लंबी पोस्ट लिखते हुए कहा कि जातिसूचक अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल उन्हें कमजोर नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि जो लोग महिलाओं के खिलाफ भद्दी भाषा बोलकर उन्हें डराना चाहते हैं, वे दरअसल बहुजन राजनीति के उभार से असहज हैं।

प्रियंका लिखती हैं, “जब कोई “भीमटी” कहता है तो “भीम” का नाम गूंजता है , जब कोई “नीलचट्टी” कहता है तो नीला रंग याद आता है जो समता और सामाजिक न्याय का प्रतीक है।

ये शब्द हमें मज़बूत करते हैं। हम महिलाओं से ना कोई हमारी आवाज़ छीन सकता है, ना समाज और ना ही समाज का समर्थन।

चाहे मैं हूँ, “कंचना यादव” हों या “सारिका पासवान” तीनों बहुजन महिलाएं हैं, जिन्होंने बेड़ियों में बंधने से इनकार किया है।

बाबा साहब ने हमारी बेड़ियों से हमें मुक्त किया, उन बेड़ियों में हम दुबारा क़ैद नहीं हो सकते।

नफ़रत, हिंसा, पितृसत्ता और जातिवाद के ख़िलाफ़ “उलगुलान” था, है और जारी रहेगा।”

कंचना यादव का पलटवार- फिल्म अभी शुरू हुई है

RJD की प्रवक्ता कंचना यादव ने भी एक्स पर एक तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने लिखा "प्रिय प्रियंका और सारिका दीदी, कल से सोशल मीडिया पर बीजेपी के ट्रोलर्स और नेताओं द्वारा आप दोनों का, और हम सभी का जो चरित्र हनन, गालियाँ और ट्रोलिंग की जा रही है, उसे पूरा देश, विशेषकर देश की महिलाएँ देख रही हैं। महिलाएँ राजनीति में आएँ, चल रहे नैरेटिव को चुनौती दें और अपने नेता व पार्टी के लिए मज़बूती से खड़ी हों, यह बात संघियों को कितनी चुभ रही है, यह उनकी भाषा से साफ़ दिख रहा है।

शायद इन लोगों को यह नहीं मालूम कि फिल्म तो अभी शुरू हुई है। अब तो उन्हें हमें और हम जैसी तमाम महिलाओं को सुनना ही पड़ेगा, चाहे कान से ख़ून ही क्यों न निकल आए।

क्योंकि अभी इन्हें यह भी समझना बाकी है कि महिलाओं की राजनीति 10,000 रुपये तक सीमित नहीं है। 10,000 रुपये से भले कोई महिला एक बकरी खरीद ले, पर उसके बच्चों का क्या? उनके बच्चों को अच्छी स्कूलिंग चाहिए, सरकारी नौकरी के अवसर चाहिए, कारखानों और रोजगार की ज़रूरत होगी।"

मनुवादी मानसिकता वालों से नहीं डरते- सारिका पासवान

द मूकनायक से बातचीत में RJD प्रवक्ता सारिका पासवान ने कहा कि सोशल मीडिया पर हो रहे हमले नए नहीं हैं, लेकिन इस बार यह बेहद संगठित और जातिगत है। उन्होंने कहा-

“जो लोग हमारे खिलाफ लिख रहे हैं, वे मनुवादी सोच से ग्रसित हैं। महिलाओं को हमेशा कमजोर समझा गया, इसलिए जब इनके तर्क खत्म हो जाते हैं, ये चरित्र हनन पर उतर आते हैं। मगर हम डरने वालों में से नहीं हैं। जो कर रहे हैं, वही करते रहेंगे।”

सारिका ने कहा कि यह लड़ाई सिर्फ RJD की तीन महिलाओं की नहीं, बल्कि उन सभी महिलाओं की है जो राजनीति, समाज और सार्वजनिक जीवन में आगे बढ़ने की कोशिश कर रही हैं।

राजनीतिक विमर्श में बढ़ती स्त्री-द्वेष और जातिवाद की चिंताएं

सोशल मीडिया पर महिला राजनेताओं को निशाना बनाना कोई नई बात नहीं, लेकिन बहुजन पृष्ठभूमि से आने वाली महिलाओं पर जातीय आधार पर अपमानजनक हमले गंभीर चिंता पैदा करते हैं। RJD की तीनों प्रवक्ताओं को जिस भाषा में ट्रोल किया गया है, उससे यह साफ़ है कि जाति और पितृसत्ता का गठजोड़ अभी भी राजनीतिक विमर्श में गहरी जड़ें जमाए हुए है।

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि महिलाओं के बढ़ते राजनीतिक हस्तक्षेप और बहुजन नेतृत्व के उभार से पारंपरिक सत्ता संरचनाएँ असहज हो जाती हैं, जिसके परिणामस्वरूप ऐसे संगठित डिजिटल हमले अक्सर किए जाते हैं।

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