
भोपाल। आदिवासी बहुल क्षेत्रों के विकास के लिए बनाए गए आदिवासी उप योजना (Tribal Sub Plan - TSP) के फंड के उपयोग को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। रतलाम जिले की सैलाना सीट से भारत आदिवासी पार्टी के विधायक कमलेश्वर डोडियार ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को एक पत्र भेजकर पिछले तीन वर्षों में टीएसपी फंड के तहत हुए खर्च की उच्च स्तरीय जांच और विभागवार समीक्षा की मांग की है।
तीन वर्षों में 1.25 लाख करोड़ खर्च, पर लाभ कहाँ?
विधायक डोडियार ने अपने पत्र में बताया कि पिछले तीन वित्तीय वर्षों में राज्य सरकार ने करीब 1.25 लाख करोड़ रुपए टीएसपी फंड के तहत खर्च किए हैं। लेकिन चिंताजनक तथ्य यह है, कि यह राशि मुख्य रूप से जनजातीय कार्य विभाग के माध्यम से खर्च न होकर राज्य के अन्य 42 विभागों द्वारा अपने-अपने प्रोजेक्टों में उपयोग कर ली गई।
उनके मुताबिक कुल 148 लाख करोड़ रुपए के प्रावधान में से 125 लाख करोड़ रुपए का वास्तविक उपयोग दर्ज हुआ है। इनमें ऊर्जा, कृषि और ग्रामीण विकास विभागों ने सर्वाधिक राशि खर्च की। इसके विपरीत, रोजगार, उद्योग, पर्यटन और नव ऊर्जा विभागों द्वारा खर्च नगण्य रहा, जो योजना के उद्देश्यों पर सवाल खड़े करता है।
फंड के ट्रांसफर को लेकर गंभीर आरोप
डोडियार ने अपने आवेदन में यह भी उल्लेख किया है कि जल संसाधन विभाग ने टीएसपी मद से 355 करोड़ रुपए को अन्य सामान्य मदों में स्थानांतरित कर दिया, जो आदिवासी उप योजना की मूल भावना के विपरीत है।
उन्होंने कहा कि जब विभाग टीएसपी फंड को अपनी नियमित योजनाओं में उपयोग करते हैं, तो यह आशंका उत्पन्न होती है कि वास्तविक लाभ आदिवासी समाज तक कितना पहुंच पाया है।
योजना की मूल भावना से भटकता कार्यान्वयन
विधायक कमलेश्वर डोडियार ने स्पष्ट कहा कि टीएसपी फंड का मूल उद्देश्य आदिवासी बहुल क्षेत्रों में शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, सिंचाई, बिजली, पेयजल, रोजगार और सामाजिक सुरक्षा जैसी बुनियादी सुविधाओं का विकास करना है। यह फंड विशेष रूप से उन इलाकों के लिए बनाया गया है, जहां अब भी बुनियादी ढांचा कमजोर है और लोगों को मूलभूत अधिकारों तक सहज पहुंच नहीं मिल पाती।
लेकिन उन्होंने चिंता जताई कि जब यह राशि विभिन्न विभागों की सामान्य योजनाओं में खर्च कर दी जाती है, तो आदिवासी क्षेत्रों में अपेक्षित विकास कार्य अधूरे रह जाते हैं। इसके परिणामस्वरूप योजना का मूल उद्देश्य न सिर्फ कमजोर पड़ता है, बल्कि इन समुदायों के सामाजिक-आर्थिक सशक्तिकरण पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
विभागवार समीक्षा और ऑडिट की मांग
विधायक ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि पिछले तीन वर्षों में टीएसपी फंड के व्यय की विभागवार समीक्षा रिपोर्ट तैयार कराई जाए, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि राशि का उपयोग निर्धारित उद्देश्यों के अनुरूप हुआ है या नहीं। उन्होंने यह भी मांग की कि जिन विभागों ने फंड को मनमाने ढंग से अन्य मदों में स्थानांतरित किया है, उनके विरुद्ध वित्तीय ऑडिट कराया जाए और संपूर्ण प्रक्रिया की पारदर्शिता सुनिश्चित की जाए।
साथ ही, विधायक ने यह भी कहा कि जिन विभागों या अधिकारियों की लापरवाही से आदिवासी क्षेत्रों के विकास पर प्रतिकूल असर पड़ा है, उनकी जवाबदेही तय की जाए। उनका मानना है कि बिना सख्त कार्रवाई के टीएसपी फंड का सही उपयोग सुनिश्चित नहीं हो सकता, और इसके असली लाभार्थी, आदिवासी समुदाय वंचित रह जाते हैं।
विधायक डोडियार ने सुझाव दिया कि आगे से टीएसपी फंड का आवंटन और व्यय केवल जनजातीय कार्य विभाग के माध्यम से किया जाए, ताकि फंड का उपयोग वास्तव में आदिवासी क्षेत्रों की जरूरतों के अनुरूप हो सके।
उन्होंने कहा कि यदि टीएसपी फंड का उपयोग अन्य विभागों की सामान्य योजनाओं में होता रहा तो आदिवासी क्षेत्रों का विकास केवल कागजों तक सीमित रह जाएगा।
विधायक डोडियार ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से इस गंभीर विषय पर तत्काल संज्ञान लेने और आवश्यक निर्देश जारी करने का अनुरोध किया है।
उन्होंने यह भी कहा कि, “टीएसपी फंड के दुरुपयोग की जांच कराई जाए और की गई कार्रवाई से मुझे शीघ्र अवगत कराया जाए।”
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