ओडिशा: एससी/एसटी बच्चों के हॉस्टल में 10वीं कक्षा की छात्रा ने दिया बच्ची को जन्म, जांच के आदेश

स्कूल प्रशासन का कहना है कि उन्हें छात्रा की गर्भावस्था की जानकारी नहीं थी, क्योंकि वह नियमित रूप से कक्षाओं में भाग ले रही थी और परीक्षाएं भी दे रही थी।
सांकेतिक फोटो
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मलकानगिरी: ओडिशा के मलकानगिरी जिले में जिला प्रशासन ने एक राज्य संचालित एससी/एसटी छात्रावास में 10वीं कक्षा की छात्रा के हॉस्टल के कमरे में बच्चे को जन्म देने के बाद जांच के आदेश दिए हैं।

अधिकारियों के अनुसार, 16 वर्षीय छात्रा जो बोर्ड परीक्षा दे रही थी, को प्रसव पीड़ा हुई और वह अपने हॉस्टल के कमरे में चली गई, जहां उसने बच्चे को जन्म दिया। बाद में उसे और नवजात को पास के अस्पताल में भर्ती कराया गया। अधिकारियों ने बताया कि बच्चा समय से पहले, आठवें महीने में जन्मा।

स्कूल प्रशासन का कहना है कि उन्हें छात्रा की गर्भावस्था की जानकारी नहीं थी, क्योंकि वह नियमित रूप से कक्षाओं में भाग ले रही थी और परीक्षाएं भी दे रही थी।

छात्रा के माता-पिता ने इस घटना के लिए स्कूल प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया है और उनकी लापरवाही का आरोप लगाया है।

इस मामले को गंभीरता से लेते हुए जिला प्रशासन ने जांच के आदेश दिए हैं।

मलकानगिरी जिला कल्याण अधिकारी श्रीनिवास आचार्य ने कहा कि, “छात्रों की देखभाल की जिम्मेदारी स्कूल प्रशासन की होती है। वे यह दावा नहीं कर सकते कि उन्हें छात्रा की स्थिति की जानकारी नहीं थी। कम से कम छात्रावास की वार्डन को शिक्षकों को उसकी हालत के बारे में सूचित करना चाहिए था।”

पुलिस अधिकारियों ने कहा कि वे छात्रा के माता-पिता द्वारा औपचारिक शिकायत दर्ज कराने की प्रतीक्षा कर रहे हैं, जो फिलहाल जिला अस्पताल में उसके साथ हैं।

ओडिशा सरकार ने छात्रों के खिलाफ किसी भी प्रकार के यौन अपराध के लिए “zero tolerance” नीति दोहराई है।

राज्य में एससी/एसटी समुदाय के छात्रों को आवासीय शिक्षा प्रदान करने के लिए लगभग 6,000 छात्रावास स्थापित किए गए हैं, जिनमें करीब 5.2 लाख छात्र रहते हैं, जिनमें से 60% लड़कियां हैं।

सितंबर 2023 में, तत्कालीन एससी/एसटी मंत्री जगन्नाथ सरका ने राज्य विधानसभा में बताया था कि राज्य के 188 आवासीय उच्च विद्यालयों में छात्राओं के खिलाफ 22 यौन उत्पीड़न के मामले दर्ज किए गए थे।

इसके अलावा, हाल ही में नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) की एक रिपोर्ट में इन छात्रावासों में भीड़भाड़, अपर्याप्त शौचालय, शुद्ध पेयजल की कमी और कर्मचारियों की अनुपलब्धता जैसी समस्याओं को उजागर किया गया, जिससे छात्रों की सुरक्षा और कल्याण को लेकर चिंता बढ़ गई है।

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