भोपाल। मध्य प्रदेश में निवेश को बढ़ावा देने के लिए इन्वेस्टर समिट का आयोजन बार-बार किया जाता है। इस बार भी 2025 की ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट (GIS) में उद्योगपति गौतम अडानी ने राज्य में 1.10 लाख करोड़ रुपये से अधिक के बहु-क्षेत्रीय निवेश की घोषणा की। यह निवेश पंप्ड स्टोरेज, सीमेंट, खनन, स्मार्ट मीटर और थर्मल एनर्जी जैसे क्षेत्रों में किया जाएगा। अडानी समूह का दावा है कि यह निवेश 2030 तक 1.2 लाख से अधिक रोजगार के अवसर पैदा करेगा।
लेकिन यह पहली बार नहीं है जब अडानी समूह ने मध्यप्रदेश में इतने बड़े निवेश का वादा किया हो। पिछले तीन इन्वेस्टर समिट में भी ऐसे ही घोषणाएं की गई थीं, मगर इनमें से कई प्रोजेक्ट धरातल पर नहीं उतरे। अब सवाल यह है कि यह निवेश वास्तव में जमीन पर उतरेगा या सिर्फ कागजी घोषणाओं तक सीमित रहेगा? क्या गौतम अडानी मध्यप्रदेश सरकार और जनता को महज आश्वासनों में उलझा रहे हैं या फिर सरकार सिर्फ दिखाने के लिए इवेंट कर रही है?
जनवरी 2023, ग्लोबल इन्वेस्टर समिट, इंदौर: प्रणव अडानी ने 80,000 करोड़ रुपये के निवेश की घोषणा की थी। दावा किया गया था कि इस निवेश से हजारों प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित होंगे। तब भी क्षेत्रों की सूची लगभग वही थी—पावर जनरेशन, ट्रांसमिशन, ऑयल प्रोसेसिंग, गैस, सीमेंट, सड़क, डिफेंस आदि। लेकिन, निवेश और नई परियोजनाओं की जमीनी हकीकत पर कोई ठोस रिपोर्ट नहीं आई।
मार्च 2024, इन्वेस्ट मध्य प्रदेश, क्षेत्रीय उद्योग सम्मेलन, उज्जैन: अडानी समूह ने 75,000 करोड़ रुपये के निवेश की घोषणा की। उज्जैन-इंदौर-भोपाल महाकाल एक्सप्रेसवे के लिए 5,000 करोड़ रुपये के निवेश का वादा किया गया। इसके अलावा, खाद्य प्रसंस्करण, लॉजिस्टिक्स, थर्मल पावर, नवीकरणीय ऊर्जा और कोयला खनन में निवेश की बात कही गई। मगर इस निवेश से कितने नए प्रोजेक्ट शुरू हुए, यह सवाल बना हुआ है।
फरवरी 2025 – ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट, भोपाल: अडानी ने फिर से 1.10 लाख करोड़ रुपये के नए निवेश की घोषणा कर दी। ग्रीनफील्ड स्मार्ट सिटी, एक नया एयरपोर्ट प्रोजेक्ट और कोयला-गैसीकरण परियोजनाओं की चर्चा हुई। 1.2 लाख नौकरियों का दावा किया गया।
मौजूदा स्थिति देखें तो अडानी समूह का मध्यप्रदेश में कुल निवेश करीब 75,000 करोड़ रुपये बताया जा रहा है। यह निवेश मुख्य रूप से सड़क निर्माण, सीमेंट उत्पादन, प्राकृतिक संसाधन, थर्मल पावर, नवीकरणीय ऊर्जा और पावर ट्रांसमिशन जैसे क्षेत्रों में किया गया है।
सिंगरौली में महान एनर्जेन प्लांट का विस्तार – 1,200 मेगावाट से 4,400 मेगावाट तक।
पंप्ड स्टोरेज परियोजनाएं – 3,410 मेगावाट क्षमता।
चोरगड़ी में 4 मिलियन टन प्रति वर्ष (MTPA) क्लिंकर यूनिट।
भोपाल और देवास में दो सीमेंट ग्राइंडिंग यूनिट्स – कुल क्षमता 8 MTPA।
शहरों में गैस वितरण, एलएनजी, ईवी चार्जिंग स्टेशन और बायो-गैस परियोजना – 2,100 करोड़ रुपये।
APMDC की सुलियारी कोयला खदान का संचालन और अन्य 5 कोयला खदानों का अधिग्रहण।
इनमें से अधिकांश परियोजनाएं पूर्व से ही संचालित थीं। नए प्रोजेक्ट्स की शुरुआत या घोषित निवेश का व्यावहारिक क्रियान्वयन स्पष्ट नहीं हो पा रहा है।
हर बार अडानी समूह द्वारा मध्यप्रदेश में बड़े निवेश की घोषणा की जाती है, मगर जमीनी हकीकत बहुत अलग नजर आती है।
2023 में 80,000 करोड़ रुपये के निवेश की घोषणा के बाद अब 2025 में फिर 1.10 लाख करोड़ रुपये के निवेश का दावा किया गया। लेकिन पुराने निवेश का क्या हुआ?
नई परियोजनाएं कितनी शुरू हुईं, इसका कोई आधिकारिक डेटा सरकार की ओर से नहीं दिया गया।
रोजगार सृजन का वादा किया जाता है, लेकिन वास्तविक आंकड़े बताने से बचा जाता है।
अडानी समूह द्वारा पहले से संचालित परियोजनाओं को ही दोहराकर नए निवेश की छवि बनाई जा रही है।
मुख्यमंत्री मोहन यादव की सरकार इन्वेस्टर समिट को लेकर काफी उत्साहित दिखत रही है, लेकिन यह सवाल उठता है कि क्या सरकार अडानी समूह से किए गए पुराने वादों का हिसाब लेगी? अडानी से यह पूछेगी कि पिछले तीन समिट में किए गए वादों का क्या हुआ नए प्रोजेक्ट्स का क्रियान्वयन क्यों नहीं हो रहा? रोजगार सृजन के दावों की सच्चाई क्या है?
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