जयपुर- राजस्थान के राज्य-वित्त पोषित विश्वविद्यालयों के पेंशनरों ने अपनी मांगों को लेकर 25 फरवरी को जयपुर में एक बड़ा धरना प्रदर्शन किया। यह प्रदर्शन अखिल राजस्थान राज्य-वित्त पोषित विश्वविद्यालय पेंशनर फेडरेशन, जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय पेंशनर सोसाइटी और अखिल राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय पेंशनर फेडरेशन के आह्वान पर आयोजित किया गया था। पेंशनरों ने शहीद स्मारक, पुलिस आयुक्त कार्यालय के सामने अपने वैधानिक और न्यायोचित अधिकारों के लिए शांतिपूर्वक विशाल प्रदर्शन किया।
महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (एमपीयूएटी) के पेंशनरों ने भी इस प्रदर्शन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। एमपीयूएटी के उदयपुर, भीलवाड़ा, राजसमंद, चित्तौड़गढ़, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़ और डूंगरपुर केंद्रों से 65 से अधिक पेंशनरों ने धरने में भाग लिया। इस प्रदर्शन में पूर्व कुलपति डॉ. ओ.पी. गिल, कई वरिष्ठ प्रोफेसर, प्राचार्य और सेवानिवृत्त कर्मचारी भी शामिल हुए।
पेंशनरों ने अपनी मांगों को लेकर सरकार का ध्यान आकर्षित करने के लिए यह प्रदर्शन किया। उनकी मुख्य मांगें इस प्रकार हैं:
सेवानिवृत्ति के बाद बकाया राशि का भुगतान।
सातवें वेतन आयोग के अनुसार बकाया एरियर, ग्रेच्युटी और कम्यूटेशन की राशि का भुगतान।
बकाया राहत भत्ते का भुगतान।
पेंशन भुगतान के लिए राज्य सरकार द्वारा ट्रेजरी से सीधे भुगतान की व्यवस्था।
एमपीयूएटी पेंशनर वेलफेयर सोसाइटी के अध्यक्ष डॉ. एस.के. भटनागर ने बताया कि विश्वविद्यालय में वर्तमान में 1,370 पेंशनर हैं, जो पिछले दो साल से कई समस्याओं का सामना कर रहे हैं। इन समस्याओं के समाधान के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन और पेंशनर वेलफेयर सोसाइटी के बीच कई बैठकें और वार्ताएं हुईं, लेकिन अब तक कोई ठोस समाधान नहीं निकाला जा सका है।
डॉ. भटनागर ने कहा कि इस मुद्दे पर विश्वविद्यालय प्रांगण में पहले भी कई बार धरने आयोजित किए गए, लेकिन विश्वविद्यालय के अड़ियल रवैये के कारण पेंशनरों की समस्याओं का समाधान नहीं हो सका। उन्होंने कहा कि राज्य के सभी विश्वविद्यालयों में गंभीर आर्थिक संकट की स्थिति है, जिसके कारण पेंशनरों को उनका हक नहीं मिल पा रहा है।
यह समस्या सिर्फ एमपीयूएटी तक सीमित नहीं है। राजस्थान के सभी राज्य-वित्त पोषित विश्वविद्यालयों के पेंशनर इसी तरह की समस्याओं से जूझ रहे हैं। पेंशनरों का कहना है कि राज्य सरकार की ढुलमुल नीति के कारण उन्हें अपने हक के लिए सड़कों पर उतरना पड़ रहा है।
प्रदर्शन में शामिल कई पेंशनर 70, 80 और 90 साल की उम्र के हैं। उन्होंने कहा कि इस उम्र में उन्हें आराम करना चाहिए, लेकिन वे अपने हक के लिए संघर्ष करने को मजबूर हैं। उन्होंने बताया कि उन्होंने राज्य के विभिन्न जनप्रतिनिधियों, मंत्रियों, मुख्यमंत्री और राज्यपाल से कई बार अपील की, लेकिन अब तक कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया गया है।
प्रदर्शन को प्रो. हरिशंकर शर्मा,अध्यक्ष फेडरेशन, प्रो. बीके शर्मा, महासचिव श्री मूलचंद जोबनेर कृषि विश्वविद्यालय , एम पी यू ए टी पेंशनर्स वेलफेयर सोसाइटी के अध्यक्ष डॉ एस के भटनागर, महासचिव आर.के. राजपूत इत्यादि ने संबोधित किया।
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