मध्य प्रदेश: पत्नी से विवाद के बाद चार साल की बच्ची को पिता ने नदी में फेंका

पत्नी से विवाद के बाद पिता ने अपनी चार साल की बेटी को चंबल नदी में फेंक दिया।
चार वर्षीय बच्ची को खोजती गोताखोर टीम.
चार वर्षीय बच्ची को खोजती गोताखोर टीम.

भोपाल। मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले के गांधी सागर डेम में पिता ने पत्नी से विवाद के बाद अपनी चार साल की बेटी को चंबल नदी में फेंक दिया। सोमवार को पत्नी से विवाद के बाद वह छोटी बेटी को साथ लेकर गया था। मंगलवार सुबह जब वह घर लौटा तो पत्नी को बेटी दिखाई नहीं दी। पूछने पर बताया कि उसे चंबल में फेंक दिया है, जिसके बाद पत्नी ने पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने आरोपी को हिरासत में ले लिया है। उसके बाद पुलिस और प्रशासन की टीम मौके पर पहुंची और रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया। फिलहाल, गोताखोरों की टीम बच्ची की तलाश में जुटी हुई है। मंगलवार शाम तक रेस्क्यू टीम ने बच्ची को ढूढ़ने का प्रयास किया लेकिन वह नहीं मिली, टीम ने बुधवार की सुबह फिर तलाश शुरू की है।

जानकारी के मुताबिक, भानपुरा थाना क्षेत्र के ग्राम कोटड़ी टैंक के रहने वाले रघुनंदन मीणा का अक्सर पत्नी के साथ विवाद होता रहता था। पत्नी उसे अक्सर घर छोड़कर जाने की धमकी देती रहती थी। सोमवार को भी दोनों पति-पत्नी के बीच किसी बात को लेकर विवाद हुआ था। इसके बाद रघुनंदन अपनी सबसे छोटी बेटी, चार वर्षीय चेतना को अपने साथ लेकर चला गया था, जिसके बाद रघुनंदन सुबह जब वापस अपने घर पहुंचा तो उसके साथ बेटी नहीं थी।

इस मामले में पत्नी ने तुरंत पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर जब उससे पूछताछ की तो आरोपी रघुनंदन ने बताया कि उसने चेतना को गांधी सागर जाकर चंबल नदी में फेंक दिया है, जिसके बाद पुलिस और प्रशासन की टीम मौके पर पहुंची और एसडीआरएफ की टीम को बुलाकर बच्ची को ढूंढने का प्रयास शुरू कर दिया है।

वहीं बीते दिसंबर 2023 को मध्य प्रदेश के दामोह जिले के पथरिया थाना क्षेत्र के सुजनीपुर गांव में एक दलित युवक द्वारा दुकान पर लोटे से पानी पीने पर पीट-पीटकर अधमरा कर दिया गया था। घायल युवक भरत अहिरवार का आरोप था कि वह गांव के शिवराज पटेल की दुकान में गुटखा खरीदने गया था। वहां उसे प्यास लगी, तो उसने डिब्बे में रखे हुए पानी को पीने के लिए लोटा उठाया और पानी पी लिया था। इस बात पर उसकी पिटाई कर दी गई थी। इस मामले में भी पुलिस ने एफआईआर दर्ज की थी।

मध्य प्रदेश के ही सागर जिले में नितिन अहिरवार नामक अट्ठारह वर्षीय युवक की ह्त्या इसलिए कर दी गई कि उसकी बहन ने हमलावरों के खिलाफ दायर यौन उत्पीड़न के मामले को वापस लेने से इंकार कर दिया था। युवक की हत्या करने के साथ उसकी माँ को भी गाँव में निर्वस्त्र करके घुमाया गया था। आरोपी यहाँ भी तथाकथित उच्च जाति के ही थे।

मध्य प्रदेश में ही 7 जुलाई को दो भाइयों को बंधक बनाकर पीटने का मामला सामने आया। यहाँ दो मजदूर भाई काम करके बाइक से वापस जा रहे थे उसी दौरान बारिश की वजह से उनकी बाइक गिर गई और इसको लेकर जयपाल सिंह बघेल और प्रेम सिंह परमार से विवाद ही गया और उन दोनों ने आठ घंटे से ज्यादा समय तक दोनों भाइयों को बंधक बनाकर पीटा।

मध्य प्रदेश के ही शिवपुरी जिले में 30 जून को लड़कियों को छेड़ने का आरोप लगाकर दो दलित युवकों के साथ मार-पीट की गई और उनको पूरे गाँव में मुंह काला करके घुमाया गया। इसके साथ ही दोनों युवकों को मैला खाने पर भी मजबूर किया गया।

पंजाब में 9 मार्च को अमृतसर के श्रीगुरुरामदास इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस एंड रिसर्च में काम करने वाली एक दलित एमबीबीएस इंटर्न को जातिगत भेदभाव से तंग आकर आत्महत्या करनी पड़ी।

पश्चिम बंगाल की एक घटना में अंबेडकर जयंती के दिन यानी 14 अप्रैल को बालुरघाट में तीन आदिवासी महिलाओं को दंडवत परिक्रमा यानी रेंगकर परिक्रमा करने के लिए मजबूर किया गया।

हैदराबाद में 9 अप्रैल को ऑनर किलिंग का एक मामला सामने आया जहाँ एक दलित युवक को उसके रिशतेदारों द्वारा चाकू घोंप कर मार दिया गया।

गुजरात में सैलरी मांगने पर एक दलित युवक को सिर्फ पीटा ही नहीं गया, बल्कि उसे मुंह से सैंडिल उठाने को भी मजबूर किया गया।

राजस्थान आज भी जातीय भेदभाव की सबसे ज्यादा सुलगती जमीन है। इस जमीन से अक्सर दलित उत्पीड़न की घटनाएँ सामने आती रहती हैं। साल 2023 भी इससे अछूता नहीं रहा। 13 अप्रैल को बाड़मेर में दलित कोजाराम की हत्या हुई थी। छह साल पुराने जमीन विवाद मामले में कोजाराम की हत्या उनके गाँव असाड़ी में बहुत ही निर्मम तरीके से की गई थी। जबकि कोजाराम ने पूर्व में अपने उत्पीड़न के नौ मामले दर्ज कराए थे। इससे साफ पता चलता है कि दलित समाज के लिए प्रशासन कितना अगंभीर है। कोजाराम की दो बेटियों का अपहरण भी हमलावरों ने कर लिया था। राजस्थान के बाड़मेर में ही अप्रैल में एक दलित महिला का बलात्कार करने के बाद उसे जिंदा आग के हवाले करने का भी मामला सामने आया था।

उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर में महज 1200 रुपये की मजदूरी की मांग पर एक 18 वर्षीय दलित युवक की हत्या कर दी गई। मारे गए युवक के बड़े भाई ने इस घटना को लेकर कहा था कि ‘इस देश में दलित होने की कीमत चुकानी पड़ती है। उसकी गलती क्या थी? उन्होंने सिर्फ 1200 रुपये के लिए उसे मार डाला। हमारी जान कितनी सस्ती है।

एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक, दलित उत्पीड़न की घटनाओं में महिलाओं के साथ बलात्कार के मामले उत्तर प्रदेश में बढ़े हैं। 29 अक्टूबर को बांदा जिले के पतौरा गाँव में घर से लगभग 100 मीटर दूर स्थित आटा चक्की पर काम करने गई महिला का ब्राह्मण समाज के लोगों द्वारा सिर्फ बलात्कार ही नहीं किया गया, बल्कि बहुत ही क्रूर तरीके से हत्या करने का मामला सामने आया। महिला की लाश तीन टुकड़ों में मिली थी। पुलिस ने इस मामले को फिलहाल दुर्घटना बताया था, जबकि दलित परिवार ने बलात्कार और हत्या का आरोप लगाया था।

क्या कहते हैं आकंड़े?

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की वार्षिक रिपोर्ट 2022 में दलितों के खिलाफ़ अपराध के 57,582 मामले और आदिवासियों के ख़िलाफ़ 10,064 मामले दर्ज किए गए। यह साल 2021 की तुलना में क्रमशः 13.1 प्रतिशत और 14.3 प्रतिशत अधिक है। अकेले उत्तर प्रदेश में दलितों के खिलाफ़ अपराध के 15,368 मामले दर्ज़ किए गए। इससे पहले बसपा सांसद गिरीश चंद्र के एक सवाल के जवाब में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा ने मार्च, 2023 में संसद में बताया था कि साल 2018-2022 के दरमियान दलितों के ख़िलाफ़ अपराध के 1,89,945 मामले दर्ज़ हुए हैं। इनमें से 49,613 मामले सिर्फ़ उत्तर प्रदेश में दर्ज़ किए गए।

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