राजस्थान: गांव- कस्बों की वंचित परिवारों की बेटियां बनेंगी सॉफ्टवेयर प्रोग्रामर

विद्या भवन ने प्रारम्भ किया अनूठा कार्यक्रम- 15 महीने का निशुल्क आवासीय कोडिंग कोर्स, 14 जिलों की सौ लड़कियाँ ले रही है प्रशिक्षण, कोर्स पूरा होने पर 40 हजार रूपये तक की मिलेगी नौकरी
विद्या भवन उदयपुर में  "अभिलाषा" कार्यक्रम के उद्घाटन समारोह में छात्राओं ने रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किये
विद्या भवन उदयपुर में "अभिलाषा" कार्यक्रम के उद्घाटन समारोह में छात्राओं ने रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किये विद्या भवन

उदयपुर ग्रामीण इलाकों में आज भी लडकियों को लडकों की तरह अपनी पसंद की पढाई करने का मौक़ा नही मिलता है, कभी माली हालात ऐसी नही होती कि बेटी मेधावी होने के बावजूद उसे बाहर पढने के लिए भेजने में परिवार सक्षम हो तो कभी संकीर्ण मानसिकता , लडकियों की सुरक्षा का मसला राह का रोड़ा बन जाता है. लेकिन अब राजस्थान के दूरदराज के गाँवों विशेषकर वंचित तबके की बेटियों को सशक्त बनाने की दिशा में चार संस्थाए आगे आयीं हैं जो 15 महीनों के पूर्णतया निशुल्क आवासीय कोडिंग कोर्स के जरिये बेटियों को सॉफ्टवेर प्रोग्रमिंग की तालीम देंगे.

विद्या भवन उदयपुर में अनूठा "अभिलाषा" कार्यक्रम बुधवार को प्रारम्भ हुआ। अभिलाषा कार्यक्रम गांवो, कस्बों की दसवीं - बारहवीं उतीर्ण बेटियोँ में बी.टेक (कंप्यूटर विज्ञान) डिग्री के बराबर कोडिंग का कौशल विकसित कर उनकी हर अभिलाषा को पूर्ण करना है। अलवर, चित्तौड़गढ़, भीलवाड़ा, ब्यावर, जयपुर, उदयपुर, अजमेर, राजसमंद, जालोर, करौली, बीकानेर, कोटा, टोंक, नागौर जिलों के 86 कस्बों गावों की 100 लड़कियां इस प्रशिक्षण के लिए विद्या भवन में आई है। अधिकांश बेटियां वंचित पृष्ठभूमि से हैं, जिन तक शैक्षणिक सुविधाओं की पहुँच व अवसर बेहद सीमित है। अधिकांश बच्चियाँ पहली पीढ़ी की शिक्षार्थी हैं और कई तो अपने परिवार में 12वीं कक्षा तक की शिक्षा पूरी करने वाले पहली सदस्य हैं।

विद्याभवन से जुड़े अनिल मेहता ने द मूकनायक को बताया कि दूर दराज के गाँवों कस्बों की मुख्यतया सरकारी विद्यालयों से पढ़ी ये बेटियाँ कोडिंग प्रशिक्षण पश्चात सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग, एनालिटिक्स जैसी महत्वाकांक्षी नौकरियों तक पहुंच सकेगी।

पन्द्रह महीने का पूर्णतया निःशुल्क कोर्स- अभिलाषा आवासीय कार्यक्रम इन बेटियों को उन समस्त आवश्यक हुनरों ,आत्मविश्वास, व्यावहारिक अनुभव, ज्ञान से लैस करेगा जो वास्तविक जीवन की समस्याओं को दूर करने के लिए जरूरी है। यह कार्यक्रम तेजी से बढ़ते करियर पथ के साथ प्रति माह 20 से 40 हजार रुपये तक के प्रारंभिक रोजगार की गारंटी देता है।

विद्याभवन सोसायटी, नवगुरुकुल, बजाज फिनसर्व और कोइटा फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में संचालित अभिलाषा कार्यक्रम का उदघाटन बुधवार को विद्या भवन ऑडिटोरियम में आयोजित समारोह में हुआ. मुख्य अतिथि भरत सिंह कुन्दनपुर, विधायक सांगोद, कोटा थे। बेटियों को आधुनिक कोडिंग से जुड़ते देख अभिभूत हुए भरत सिंह ने विश्वास जताया कि बेटियां अपने परिवार सहित देश का नाम दुनियां में रोशन करेगी। कोइटा फाउंडेशन की अध्यक्ष रेखा कोइटा ने कहा कि अभिलाषा कार्यक्रम समाज के लिए और विशेष तौर पर बच्चियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है जो व सामाजिक - आर्थिक कारणों की वजह से आगे नहीं बढ़ पाती। विद्या भवन के अध्यक्ष अजय एस. मेहता ने कार्यक्रम को समाज और विद्या भवन के लिए महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि अभिलाषा इन बेटियों के लिए आगे बढ़ने का मौका और जरिया है।

अभिलाषा कार्यक्रम के उद्घाटन समारोह में शामिल हुए मेहमान
अभिलाषा कार्यक्रम के उद्घाटन समारोह में शामिल हुए मेहमान विद्या भवन

नव गुरुकुल की सीईओ निधि अनारकट ने बताया कि कार्यक्रम के पाठ्यक्रम को 3 बूट कैंप और 19 माइलस्टोंस में विभाजित किया गया है। फाउंडेशनल बूट कैंप में 5 माइलस्टोंस होंगे जिनमें बेटीयाँ सीखने की आदतें और दृष्टिकोण, संचार कौशल, संक्रियात्मक सोच और बुनियादी गणितीय कौशल में प्रशिक्षित होगी। कोडिंग बूटकैंप में 10 माइलस्टोंस होंगे और इसमें व्यावहारिक अभ्यास और परियोजनाओं के माध्यम से कोडिंग सिखाना शामिल होगा। तीसरे इंटर्नशिप बूटकैंप में जवाबदेही और व्यावसायिकता और जॉब सिमुलेशन शामिल है।

बाजार में कोर्स की फीस 4 से 6 लाख रुपए

यह एक अनोखा कोर्स है जहां न कोई शिक्षक होगा और न ही कोई परीक्षा। नवगुरुकुल द्वारा लॉन्च किया गया एक ओपन-सोर्स ई-लर्निंग प्लेटफॉर्म मेराकी बेटियों की शिक्षा की मेजबानी करेगा।

डॉ. निष्ठा जैन व जया राठौड़ ने बताया कि कार्यक्रम का उद्देश्य ग्रामीण लड़कियों में बीटेक डिग्री के बराबर आधुनिक कौशल विकसित करना है। कुल 100 छात्राओं को 15 महीने में कोडिंग सिखाकर नौकरी दिलाने का लक्ष्य है। इस दौरान एक छात्रा पर करीब सवा 2 लाख रुपए खर्च होंगे। बाजार में इस कोर्स की फीस 4 से 6 लाख रुपए है। बच्चियों में पढ़ाई के अलावा व्यक्तित्व का भी विकास किया जा रहा है। इसके लिए रोजाना 90 मिनट की एक्टिविटी क्लास होती है। इंग्लिश और जनरल नॉलेज से इनका आत्मविश्वास बढ़ाया जा रहा है। चितौडगढ़ के एक छोटे से गाँव से आई सुगना जाट कहती हैं कि उसके पूरे गाँव में वह पहली लड़का या लडकी है जिसे अपने गाँव से बाहर शहर में रहकर पढने का मौक़ा मिला है.

कौन कर सकता है कोर्स ?

इस कोर्स में प्रवेश तब ही मिलता है, जब कोई भी छात्रा या लड़की तीन चरण के एग्जाम पास कर ले। कोई भी 10वीं पास लड़की एक क्यूआर कोड को स्कैन कर घर बैठे एग्जाम दे सकती है। पहले चरण में गणित का एग्जाम होगा, जिसमें आठवीं कक्षा के स्तर के सवाल पूछे जाएंगे। परिणाम परीक्षा खत्म होते ही मिल जाएगा। एग्जाम देने की कोई लिमिट नहीं है। फेल छात्रा 24 घंटे बाद फिर एग्जाम दे सकती है। दूसरे चरण में आठवीं कक्षा के स्तर का ही अंग्रेजी-गणित विषय का इंटरव्यू होता है। तीसरा चरण ऑनलाइन इंटरव्यू के दौरान छात्राओं में नैतिकता जांची जाती है। तीनों चरणों को पास करने के बाद विद्या भवन के बड़गांव कैंपस के ट्रेनिंग सेंटर में प्रवेश मिलता है। चयनित छात्राओं को यही 15 महीने रहकर कोर्स पूर्ण करना होगा जिसके बाद उसे प्लेसमेंट के जरिये 20 से 40 हजार रूपये तक की नौकरी प्राप्त हो सकती है.

टोकन से देते हैं कमरा, भेदभाव मिटाने के लिए सरनेम का उपयोग भी नहीं- लड़कियों में भेदभाव की मानसिकता न हो इसलिए सेंटर पर न तो सरनेम का प्रयोग होता है और न ही धार्मिक अवकाश दिया जाता है. लड़कियों को कमरा भी टोकन से अलॉट होता है, ताकि वह साथी के साथ रहकर एडजस्टमेंट करना सीखें और क्षेत्रवाद की भावना न रहे। पूरे कोर्स का खर्च जिसमें रहना, खाना, नए कोर्स की फीस आदि सभी संस्था उठाती हैं।

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