विजयवाड़ा/अमरावती: आंध्र प्रदेश के अमरावती स्थित केएल यूनिवर्सिटी (KL University) में आदिवासी संस्कृति और परंपराओं का अद्भुत संगम देखने को मिल रहा है। यहाँ आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय आदिवासी सांस्कृतिक उत्सव 'उद्भव-2025' में देश भर के आदिवासी छात्रों ने अपनी प्रतिभा से सबका मन मोह लिया है। इस भव्य आयोजन का उद्घाटन केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्री जुएल ओराम ने किया।
इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री ने छात्रों को न केवल अपनी संस्कृति और परंपराओं को सहेजने, बल्कि शिक्षा के क्षेत्र में भी उत्कृष्टता हासिल करने के लिए प्रेरित किया।
सैनिक और नवोदय विद्यालयों की तर्ज पर विकसित होंगे EMRS
समारोह को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री जुएल ओराम ने एक बड़ी घोषणा की। उन्होंने आश्वासन दिया कि एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों (EMRS) का विकास अब केंद्रीय विद्यालयों, नवोदय विद्यालयों और सैनिक स्कूलों के स्तर पर किया जाएगा। खेल के मैदान में आदिवासी बच्चों की उपलब्धियों की सराहना करते हुए उन्होंने विश्वास जताया कि ये बच्चे भविष्य में हर क्षेत्र में सफलता का परचम लहराएंगे।
त्योहार के नाम 'उद्भव' का अर्थ समझाते हुए उन्होंने कहा कि इसका मतलब 'भीतर से बाहर लाना' है, जो बच्चों के अंदर छिपी हुई प्रतिभा को दुनिया के सामने लाने के प्रयास का प्रतीक है।
तीरंदाजी में हाथ आजमाया, अराकू कॉफी का लिया जायजा
केएल यूनिवर्सिटी पहुँचने पर एकलव्य स्कूलों के छात्रों ने पारंपरिक आदिवासी नृत्यों के साथ केंद्रीय मंत्री का भव्य स्वागत किया। जुएल ओराम ने वहां लगाई गई प्रदर्शनी का दौरा किया, जहां आदिवासी परंपराओं, हस्तशिल्प और विशेष उत्पादों को प्रदर्शित किया गया था। इस दौरान उन्होंने विश्व प्रसिद्ध अराकू कॉफी और शहद के स्टalls का अवलोकन किया। अपनी यात्रा के दौरान मंत्री ने तीरंदाजी (Archery) में भी हाथ आजमाया, जो वहां मौजूद लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र रहा।
उन्होंने इस आयोजन के कुशल प्रबंधन के लिए आंध्र प्रदेश सरकार, राज्य की जनजातीय कल्याण मंत्री गुम्मीडी संध्या रानी और जनजातीय कल्याण सचिव एम. मल्लिकार्जुन नाइक की जमकर तारीफ की।
सीएम चंद्रबाबू नायडू की प्रतिबद्धता और राज्य की मांगें
राज्य की जनजातीय कल्याण मंत्री संध्या रानी ने कहा कि 'उद्भव-2025' केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि बदलाव का एक मंच है, जिसका उद्देश्य बच्चों में रचनात्मकता और आत्मविश्वास भरना है। उन्होंने मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू की आदिवासी विकास के प्रति प्रतिबद्धता को रेखांकित किया। साथ ही, उन्होंने केंद्रीय मंत्री के समक्ष नए EMRS स्कूलों की मंजूरी, आदिवासी शिक्षा के लिए बजट में वृद्धि और दूरदराज के आदिवासी क्षेत्रों में सड़क कनेक्टिविटी को प्राथमिकता देने की मांग भी रखी।
देशभर से आए 1647 छात्र, 20 विशेष टीमें तैनात
इस महाकुंभ में पूरे भारत के 405 EMRS स्कूलों से कुल 1,647 छात्र हिस्सा ले रहे हैं, जिनमें आंध्र प्रदेश के 110 छात्र शामिल हैं।
जनजातीय छात्रों के लिए राष्ट्रीय शिक्षा सोसाइटी (NESTS) के आयुक्त अजीत कुमार श्रीवास्तव ने इस बड़े पैमाने पर आयोजन की मेजबानी के लिए आंध्र प्रदेश की सराहना की। उन्होंने आईएएस अधिकारी एम. गौतमी के प्रबंधन कौशल की भी तारीफ की और दर्शकों का तेलुगु भाषा में अभिवादन कर सबका दिल जीत लिया।
740 स्कूल और 28 लाख आदिवासियों का गौरव
जनजातीय कल्याण विभाग के मुख्य सचिव एम. मल्लिकार्जुन नाइक ने जानकारी दी कि आंध्र प्रदेश लगभग 28 लाख आदिवासियों का घर है और 'उद्भव-2025' की मेजबानी करना राज्य के लिए गर्व की बात है। उन्होंने बताया कि देश भर में वर्तमान में 740 EMRS स्कूल मौजूद हैं और 440 नई इमारतें निर्माणाधीन हैं।
तीन दिनों तक चलने वाले इस उत्सव में सुचारू व्यवस्था बनाए रखने के लिए 20 विशेष टीमें तैनात की गई हैं। प्रतियोगिताएं विभिन्न थिएटरों, सेमिनार हॉल, कक्षाओं और ओपन-एयर स्टेज पर आयोजित की जा रही हैं। इनमें समूह नृत्य, कहानी सुनाना (Storytelling) और रचनात्मक लेखन जैसी गतिविधियां शामिल हैं। छात्रों की सुरक्षा और सुविधा के लिए क्लिनिक, एम्बुलेंस, भोजन और आवास की पुख्ता व्यवस्था की गई है।
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