
लखनऊ- बाबासाहब के परिनिर्वाण दिवस से तीन दिन पहले बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) की राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने एक महत्वपूर्ण फैसला लेते हुए कहा है कि वह अब महात्मा ज्योतिबा फुले, बाबासाहेब आंबेडकर, कांशीराम जैसे महापुरुषों के स्मारकों व तीर्थस्थलों पर जाकर श्रद्धांजलि नहीं अर्पित करेंगी। उन्होंने इसके पीछे अपनी सुरक्षा व्यवस्था से आम लोगों को होने वाली परेशानी को कारण बताया।
मायावती ने एक बयान जारी कर कहा कि उत्तर प्रदेश में उनके नेतृत्व वाली बीएसपी सरकार ने इन महान विचारकों के नाम पर लखनऊ और नोएडा में भव्य स्मारक, पार्क और सामाजिक परिवर्तन स्थल बनवाए, जो अब अनुयायियों के लिए तीर्थस्थल बन चुके हैं। x पर किये पोस्ट में मायावती ने कहा, " बी.एस.पी. की सरकार के दौरान् ’बहुजन समाज’ में समय-समय पर जन्मे उन महान संतों, गुरुओं व महापुरुषों में भी ख़ासकर महात्मा ज्योतिबा फुले, राजर्षि छत्रपति शाहूजी महाराज, श्री नारायणा गुरु, परमपूज्य बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर एवं मान्यवर श्री कांशीराम जी आदि को विभिन्न रूपों में भरपूर आदर-सम्मान दिया गया है, जिनकी जातिवादी पार्टियों की रही सरकारों में यहाँ हमेशा उपेक्षा की गयी व उनका तिरस्कार भी किया जाता रहा है।"
हालांकि, उन्होंने कहा कि जब भी वह स्वयं इन स्थलों पर जाती हैं, तो सुरक्षा कारणों से आम श्रद्धालुओं को दूर रोक दिया जाता है, जिससे उन्हें काफी असुविधा होती है। मायावती ने कहा, "मेरे जाने पर मेरी सुरक्षा प्रबंध के नाम पर जो सरकारी व्यवस्था की जाती है, जो अत्यन्त ज़रूरी भी है, उससे लोगों को काफी परेशानी/दिक्कतों का सामना करना पड़ता है तथा वहाँ मेरे ठहरने तक उन्हें मुख्य स्थल से काफी दूर ही रोक दिया जाता है, जिसकी वजह से अब मैंने उन स्थलों पर स्वंय ना जाकर अपने निवास स्थान पर या पार्टी कार्यालय में ही इन सभी महापुरुषों की जयंती व पुण्यतिथि आदि पर अपने श्रद्धा-सुमन अर्पित करने का यह फैसला लिया है।"
इसीलिए अब वह इन महापुरुषों की जयंती या पुण्यतिथि पर अपने निवास स्थान या पार्टी कार्यालय से ही श्रद्धासुमन अर्पित करेंगी। उन्होंने कहा कि इससे लोग बिना किसी रुकावट के अपने नायकों को श्रद्धांजलि दे सकेंगे।
आगामी 6 दिसंबर को डॉ. आंबेडकर की पुण्यतिथि पर मायावती ने पार्टी कार्यकर्ताओं व समर्थकों को निर्देश दिया है कि वे बड़ी संख्या में लखनऊ के 'डॉ. भीमराव आंबेडकर सामाजिक परिवर्तन स्थल' और नोएडा के 'राष्ट्रीय दलित प्रेरणा स्थल' पर जाएं और बाबासाहेब के संघर्ष से प्रेरणा लेकर आत्मसम्मान के आंदोलन को आगे बढ़ाने का संकल्प लें।
मायावती ने अपने बयान में कहा कि पहले की जातिवादी सरकारों ने इन महापुरुषों की उपेक्षा की, जबकि बीएसपी सरकार ने उन्हें सम्मान दिलाने और उनके नाम पर जनकल्याणकारी योजनाएं चलाने का काम किया। उन्होंने आशा व्यक्त की कि बीएसपी के नेतृत्व में यह आंदोलन सत्ता की मास्टर चाबी हासिल कर लक्ष्य तक पहुंचेगा।
द मूकनायक की प्रीमियम और चुनिंदा खबरें अब द मूकनायक के न्यूज़ एप्प पर पढ़ें। Google Play Store से न्यूज़ एप्प इंस्टाल करने के लिए यहां क्लिक करें.