MP भोपाल के 70 साल की बस्ती में उजड़ने का डर: मानस भवन के पीछे आदिवासी झुग्गियों पर मंडराता बुलडोज़र, विरोध के बाद थमी कार्रवाई

मानस भवन के पीछे बसी यह झुग्गी बस्ती करीब सात दशक पुरानी बताई जा रही है। यहां 27 से अधिक परिवार रहते हैं, जिनकी कुल आबादी 200 से ज्यादा है। इनमें अधिकांश आदिवासी और अनुसूचित जाति समुदाय के लोग हैं।
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भोपाल। राजधानी भोपाल के पॉलिटेक्निक चौराहा स्थित मानस भवन के पीछे बसी करीब 70 साल पुरानी आदिवासी झुग्गी बस्ती को हटाने की प्रशासनिक कार्रवाई फिलहाल टल गई है। सोमवार सुबह प्रस्तावित बेदखली से पहले रविवार को कांग्रेस के तीखे विरोध और राजनीतिक दबाव के बाद जिला प्रशासन ने कार्रवाई स्थगित कर दी। हालांकि प्रशासन इसे पुलिस बल की अनुपलब्धता से जोड़ रहा है, लेकिन अंदरखाने यह माना जा रहा है कि विरोध के चलते हालात बिगड़ने की आशंका ने प्रशासन को कदम पीछे खींचने पर मजबूर कर दिया।

पुलिस बल नहीं, लेकिन पूरी तैयारी

शहर वृत्त एसडीएम दीपक पांडे ने बताया कि “पर्याप्त पुलिस बल उपलब्ध नहीं होने के कारण आज की कार्रवाई स्थगित की गई है, जल्द ही नई तारीख तय की जाएगी।” इसके उलट, प्रशासन ने पहले से ही बड़े स्तर पर तैयारी कर रखी थी। अपर कलेक्टर अंकुर मेश्राम ने सभी संबंधित अधिकारियों को सोमवार सुबह मानस भवन के पीछे आमद देने के निर्देश दिए थे। जानकारी के अनुसार कुल 101 अधिकारी-कर्मचारियों एसडीएम, तहसीलदार, नायब तहसीलदार, राजस्व निरीक्षक और पटवारियों, की ड्यूटी लगाई गई थी।

कांग्रेस का सीधा टकराव

इस मुद्दे पर कांग्रेस खुलकर मैदान में उतर आई। रविवार को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी खुद बस्ती में पहुंचे और झुग्गी में रहने वाले परिवारों से मुलाकात की। महिलाओं और बुजुर्गों ने उन्हें बताया कि वे 60-70 साल से यहीं रह रहे हैं और कर्ज लेकर छोटे-छोटे मकान बनाए हैं। अचानक मिले नोटिस ने उनकी नींद उड़ा दी है।

पटवारी ने मौके से ही प्रशासनिक अधिकारियों को फोन कर कड़ा रुख अपनाया। उन्होंने कहा कि “एक भी ईंट हटाई गई तो मैं और पूरी कांग्रेस यहां खड़ी मिलेगी।” उनके साथ नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष शबिस्ता जकी भी मौजूद रहीं। बाद में पटवारी ने एडीएम अंकुर मेश्राम से भी फोन पर बात कर स्पष्ट किया कि यह पुरानी आदिवासी बस्ती है और बिना संवाद के कार्रवाई बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

वरिष्ठ नेताओं ने भी उठाए सवाल

मानस भवन के पीछे की झुग्गियों को हटाने के फैसले पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने भी सवाल खड़े किए हैं। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, पूर्व मंत्री पीसी शर्मा समेत कई नेताओं ने प्रशासन से पूछा है कि क्या पुनर्वास से पहले मानवीय पहलुओं पर गंभीरता से विचार किया गया।

तीन जगह शिफ्टिंग का प्रस्ताव

प्रशासन का कहना है कि झुग्गी में रहने वाले 27 परिवारों को भौंरी, कलखेड़ा और मालीखेड़ी में बने आवासों में शिफ्ट किया जाएगा। ये आवास निशुल्क दिए जाएंगे और प्रति परिवार करीब दो लाख रुपये की लागत मानस भवन प्रबंधन द्वारा वहन की जाएगी। मालीखेड़ी के आवासों को लेकर राशि नगर निगम में जमा कराई जा चुकी है। बावजूद इसके, बस्तीवासियों का कहना है कि उन्हें अभी तक लिखित आश्वासन और स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई है।

70 साल पुरानी बस्ती, 200 से ज्यादा लोग

मानस भवन के पीछे बसी यह झुग्गी बस्ती करीब सात दशक पुरानी बताई जा रही है। यहां 27 से अधिक परिवार रहते हैं, जिनकी कुल आबादी 200 से ज्यादा है। इनमें अधिकांश आदिवासी और अनुसूचित जाति समुदाय के लोग हैं। प्रशासन ने 25 दिसंबर को बेदखली के आदेश जारी करते हुए सात दिन में जगह खाली करने को कहा था। इससे पहले दीपावली के समय भी शिफ्टिंग को लेकर विरोध हो चुका है।

प्रशासनिक सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस के सक्रिय विरोध और संभावित हंगामे की आशंका के चलते पूरी कार्रवाई को गोपनीय रखने की कोशिश की जा रही थी। लेकिन राजनीतिक हस्तक्षेप के बाद फिलहाल कदम रोक दिए गए हैं। अब सवाल यह है कि प्रशासन आगे क्या रास्ता अपनाता है,

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