कुकी महिलाओं पर फायरिंग मामले में CRPF जवानों के खिलाफ फिलहाल नोटिस नहीं, मणिपुर हाईकोर्ट में मुआवजे पर केंद्रित होगी अगली सुनवाई

अधिवक्ता लेनिन हिजम ने राज्य सरकार की तरफ से अदालत में दलील दी कि CRPF के जवानों के खिलाफ नोटिस जारी करना उचित नहीं होगा। उन्होंने कहा कि मणिपुर की वर्तमान संवेदनशील स्थिति में ऐसा कदम सुरक्षा बलों के उत्साह और कर्तव्य-निष्ठा को ठेस पहुंचा सकता है।
सुरक्षा बलों ने अचानक और अत्यधिक बल का प्रयोग करते हुए निहत्थे प्रदर्शनकारियों पर रॉकेट लॉन्चर से फायरिंग की, जिससे कई महिलाएं गंभीर रूप से जख्मी हो गईं।
मणिपुर में फायरिंग के विरोध में प्रदर्शन करती महिलाएं सांकेतिक (फाइल) चित्र - इंडिया टुडे
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इंफाल- मणिपुर उच्च न्यायालय ने कुकी महिला संगठन द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर हाल ही एक अहम आदेश पारित किया। जस्टिस गुनेश्वर शर्मा की अदालत ने याचिका में शामिल केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के व्यक्तिगत जवानों के खिलाफ यह कहते हुए नोटिस जारी करने से इनकार कर दिया, कि इससे इस समय राज्य में तैनात सुरक्षा बलों के मनोबल पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। अदालत ने इस चरण में केवल मुआवजे के मुद्दे पर ही आगे बढ़ने का निर्णय लिया।

'कुकी वुमेन ऑर्गनाइजेशन फॉर ह्यूमन राइट्स ट्रस्ट' द्वारा दायर इस याचिका के अनुसार, मणिपुर के चंदेल जिले के साइबोल गांव में फायरिंग की एक गंभीर घटना हुई, जहाँ कुकी समुदाय की महिलाएं एक शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन कर रही थीं। आरोप है कि सुरक्षा बलों ने अचानक और अत्यधिक बल का प्रयोग करते हुए निहत्थे प्रदर्शनकारियों पर रॉकेट लॉन्चर से फायरिंग की, जिससे कई महिलाएं गंभीर रूप से जख्मी हो गईं।

याचिका में कई मांगें रखी गई थीं। इनमें एफआईआर दर्ज करने, अभियोजन की मंजूरी, एक विशेष जांच दल (SIT) द्वारा जांच और घायल हुए पीड़ितों को मुआवजा दिए जाने जैसे मुद्दे शामिल थे।

अदालत ने इस चरण में केवल एक मुद्दे पर आगे बढ़ने का निर्णय लिया। जस्टिस शर्मा ने कहा, "इस चरण में, यह न्यायालय केवल प्रार्थना यानी पीड़ितों को मुआवजा दिए जाने के मुद्दे पर ही नोटिस जारी कर रहा है।" इस प्रकार, अब अगली सुनवाई मुख्य रूप से मुआवजे के प्रावधान पर केंद्रित होगी।

अधिवक्ता लेनिन हिजम ने राज्य सरकार की तरफ से अदालत में दलील दी कि CRPF के जवानों के खिलाफ नोटिस जारी करना उचित नहीं होगा। उन्होंने कहा कि मणिपुर की वर्तमान संवेदनशील स्थिति में ऐसा कदम सुरक्षा बलों के उत्साह और कर्तव्य-निष्ठा को ठेस पहुंचा सकता है।

केंद्र सरकार के वकील श्री बी.आर. शर्मा ने भी इसी राह पर चलते हुए अदालत से अनुरोध किया कि उन्हें व्यक्तिगत जवानों के नाम याचिका से हटाने के लिए एक औपचारिक आवेदन दाखिल करने की अनुमति दी जाए। उनका तर्क था कि केवल आधिकारिक विभाग (CRPF) को ही उत्तरदाता बनाकर मामले की सुनवाई होनी चाहिए।

याचिकाकर्ता की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता आनंद ग्रोवर ने इन तर्कों के खिलाफ कोई आपत्ति नहीं जताई। अदालत ने राज्य सरकार और केंद्र सरकार को तीन सप्ताह के भीतर इस मामले पर अपना जवाबी हलफनामा (Counter Affidavit) दाखिल करने का निर्देश दिया है। इसके जवाब में, याचिकाकर्ता को दो सप्ताह की अवधि में अपना प्रतिवाद (Rejoinder Affidavit) दाखिल करना होगा। मामले की अगली सुनवाई 17 अक्टूबर को होगी, जहां मुआवजे के मुद्दे पर विस्तार से चर्चा की जाएगी।

सुरक्षा बलों ने अचानक और अत्यधिक बल का प्रयोग करते हुए निहत्थे प्रदर्शनकारियों पर रॉकेट लॉन्चर से फायरिंग की, जिससे कई महिलाएं गंभीर रूप से जख्मी हो गईं।
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सुरक्षा बलों ने अचानक और अत्यधिक बल का प्रयोग करते हुए निहत्थे प्रदर्शनकारियों पर रॉकेट लॉन्चर से फायरिंग की, जिससे कई महिलाएं गंभीर रूप से जख्मी हो गईं।
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