पन्ना में कलेक्टर कार्यालय पर धरना देते आदिवासी ग्रामीण
पन्ना में कलेक्टर कार्यालय पर धरना देते आदिवासी ग्रामीण

MP केन-बेतवा लिंक परियोजना से प्रभावित आदिवासियों का न्याय के लिए प्रदर्शन, कलेक्टर से मिलने पर अड़े

ग्रामीणों ने दोपहर से लेकर शाम तक न्यू कलेक्ट भवन के बाहर प्रदर्शन किया। ठंड के बावजूद महिलाएं, बुजुर्ग, और बच्चे डटे रहे। प्रदर्शनकारियों ने नारे लगाए।
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भोपाल। मध्यप्रदेश के पन्ना जिले में केन-बेतवा लिंक परियोजना से प्रभावित आदिवासी ग्रामीणों ने सोमवार को पन्ना जिला मुख्यालय पर प्रशासन और सरकार के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया। अजयगढ़ चौराहा, बलदाऊ जी मंदिर और बड़ा बाजार से गुजरते हुए सैकड़ों आदिवासियों ने न्यू कलेक्ट भवन तक एक विशाल रैली निकाली। हाथों में तख्तियां लिए, नारों के साथ ये ग्रामीण न्याय की गुहार लगाते हुए पहुंचे। इनका कहना है कि ज्ञापन देने और अधिकारियों से मिलने के बावजूद उनकी समस्याओं का समाधान नहीं हो रहा है।

प्रदर्शन कर रहे ग्रामीणों का कहना है कि परियोजना के चलते उन्हें अपने घरों और ज़मीन से विस्थापित किया जा रहा है, लेकिन पुनर्वास और मुआवजे में भारी अनियमितताएं हैं। आदिवासी समुदाय के बुजुर्गों और युवाओं का आरोप है कि मुआवजा तय करते समय उनकी जरूरतों और अधिकारों को अनदेखा किया गया है। 18 वर्ष से ऊपर के युवाओं को मुआवजा में शामिल नहीं किया जा रहा है।

प्रशासन के खिलाफ आक्रोश

ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने कई बार आवेदन और ज्ञापन दिए हैं, लेकिन उनकी समस्याओं पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। आंदोलन में शामिल दयाराम ने द मूकनायक से बातचीत में कहा, “हम कलेक्टर से कई बार मिलने आए, लेकिन वह कभी उपलब्ध नहीं रहते। हमारी परेशानियों को अनसुना किया जा रहा है,”

ग्रामीणों ने दोपहर से लेकर शाम तक न्यू कलेक्ट भवन के बाहर प्रदर्शन किया। ठंड के बावजूद महिलाएं, बुजुर्ग, और बच्चे डटे रहे। प्रदर्शनकारियों ने नारे लगाए।

प्रशासन से सीधी बातचीत की मांग

एसडीएम और तहसीलदार ने प्रदर्शनकारियों से ज्ञापन लेने और उनकी बात आगे पहुंचाने का भरोसा दिलाया। लेकिन ग्रामीण कलेक्टर से सीधे मुलाकात की मांग पर अड़े रहे। उनका कहना था कि जब तक कलेक्टर उनसे बात नहीं करेंगे, वे वहां से नहीं हटेंगे।

लगातार विरोध और प्रदर्शन के बाद, शाम को करीब 4 बजे कलेक्टर पन्ना ने प्रदर्शनकारियों से मुलाकात की और उनकी समस्याएं सुनीं। उन्होंने राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन भी स्वीकार किया और मुआवजे और पुनर्वास से संबंधित मुद्दों पर उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया।

ग्रामीणों की प्रमुख मांगे

1. उचित मुआवजा – 18 वर्ष की आयु से ऊपर के युवाओं को भी मुआवजे में शामिल किया जाए।

2. पुनर्वास की व्यवस्था – विस्थापित आदिवासियों के लिए आवास, रोजगार और अन्य सुविधाएं सुनिश्चित की जाएं।

3. सरकार से सीधा संवाद – परियोजना के कारण विस्थापित हो रहे ग्रामीणों को समय-समय पर प्रशासन और सरकार से बातचीत का मौका मिले।

यह गाँव प्रभावित

केन-बेतवा लिंक परियोजना के तहत पन्ना जिले के आठ गाँवों—कूड़ान, गहदरा, रकसेहा, कोनी, मझौली, खमरी, बिल्हटा, और कटारी—के आदिवासी निवासियों को विस्थापित किया जाना तय है। यह परियोजना केंद्र और राज्य सरकार के सहयोग से नदियों को जोड़ने की महत्वाकांक्षी योजना का हिस्सा है। इसका उद्देश्य सूखा प्रभावित क्षेत्रों में सिंचाई और जल उपलब्धता बढ़ाना है। लेकिन इस परियोजना का सबसे बड़ा नुकसान इन आदिवासी परिवारों को उठाना पड़ रहा है।

लंबे समय से जारी संघर्ष

केन-बेतवा लिंक परियोजना से जुड़े आठ गांवों के आदिवासी कई वर्षों से प्रशासन और सरकार से अपनी मांगों को लेकर संपर्क कर रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि उनकी आवाज को बार-बार दबाया गया है। उन्होंने इस प्रदर्शन को अपने संघर्ष की एक और कड़ी बताया।

द मूकनायक से बातचीत में जयस जिलाध्यक्ष मुकेश गोंड ने बताया, अगर उनकी मांगे जल्द पूरी नहीं होतीं, तो वे और बड़े स्तर पर आंदोलन करेंगे। “हम अपने अधिकारों के लिए लड़ाई जारी रखेंगे। यह हमारी ज़मीन और हमारी पहचान का सवाल है,” उन्होंने कहा।

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