MP: आदिवासी बुजुर्ग दंपती को दस्तावेजों में मृत घोषित कर हड़पी गई जमीन, मंत्री के पैरों में गिरकर लगाई न्याय की गुहार

कार्यक्रम में जब दंपती ने मंत्री के सामने अपनी व्यथा सुनाई, तब मौके पर मौजूद कलेक्टर सुरेश कुमार ने अधिकारियों को उनकी समस्या गंभीरता से सुनने के निर्देश दिए।
पन्ना में आदिवासी बुजुर्ग दंपती, मंत्री के पैरों में गिरकर लगाई न्याय की गुहार
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भोपाल। मध्य प्रदेश के पन्ना जिले से मानवता को झकझोर देने वाला मामला सामने आया है। यहां एक 78 वर्षीय बुजुर्ग भूरा आदिवासी और उनकी 75 वर्षीय पत्नी केशकली को पंचायत के दस्तावेजों में मृत घोषित कर दिया गया। इसी आधार पर गांव के दबंगों ने उनके बेटे के साथ मिलकर उनकी 6 एकड़ जमीन और घर पर कब्जा कर लिया। हालात इतने बदतर हो गए कि रविवार को दोनों दंपती प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री और जिले के प्रभारी मंत्री इंदर सिंह परमार के पैरों में गिर पड़े और न्याय की गुहार लगाई।

मामला जिले के जनवार गांव का है, जहां उद्यानिकी विभाग के एक कार्यक्रम में मंत्री इंदर सिंह परमार पहुंचे थे। यहीं पर गांव के रहने वाले भूरा आदिवासी और उनकी पत्नी केशकली भी पहुंचे और मंत्री से कहा, “हम जिंदा हैं, हमें हमारा घर और जमीन दिलवा दीजिए।” दोनों की पीड़ा सुनकर मंत्री परमार ने उन्हें आश्वासन तो दिया, लेकिन तत्काल मदद करने की स्थिति में नहीं दिखे। उन्होंने कहा“आपकी बात कलेक्टर साहब को कह दी है। पटवारी बीमार है, एक-दो दिन में आ जाएगा। उसके बाद कागज निकालेंगे और आपकी जमीन ढूंढेंगे।”

जब गांव लौटे तो जमीन पर हो चुका था कब्जा

भूरा आदिवासी और उनकी पत्नी ने बताया कि वे लगभग 30 साल पहले रोजगार की तलाश में कटनी चले गए थे। इस दौरान उनके गांव से संपर्क टूट गया और गांव के दबंगों ने उनके बेटे के साथ मिलकर उनकी संपत्ति हड़प ली। जब हाल ही में उनकी भतीजी उन्हें ढूंढकर गांव वापस लाई, तब जाकर पूरी हकीकत सामने आई। लौटने पर दंपती ने पाया कि पंचायत रिकॉर्ड में उन्हें मृत घोषित कर दिया गया है और उनकी जमीन पर कब्जा हो चुका है।

भतीजी ने बताया कि उसने अपने बड़े पिता और बड़ी मां को काफी खोजा। लंबे समय तक उनकी तलाश करने के बाद उन्हें कटनी में रहने की जानकारी मिली। पांच साल पहले वह उन्हें गांव वापस लेकर आई और तभी से लगातार प्रशासन से उनकी जमीन वापस दिलाने और दस्तावेज सुधारने की मांग कर रही है। मगर आज तक न्याय नहीं मिला।

पंचायत रिकॉर्ड में मृत घोषित

पंचायत के रिकॉर्ड में मृत घोषित होने के कारण भूरा आदिवासी और केशकली सरकारी योजनाओं से भी वंचित हैं। उनके पास न तो आधार कार्ड है, न वोटर आईडी और न ही वृद्धावस्था पेंशन का लाभ मिल रहा है। यानी सरकारी स्तर पर वे “जिंदा होकर भी मृत” मान लिए गए हैं।

कार्यक्रम में जब दंपती ने मंत्री के सामने अपनी व्यथा सुनाई, तब मौके पर मौजूद कलेक्टर सुरेश कुमार ने अधिकारियों को उनकी समस्या गंभीरता से सुनने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि पंचायत से सभी कागज मंगाए गए हैं। जब तक दस्तावेज सामने नहीं आएंगे, तब तक यह स्पष्ट नहीं हो पाएगा कि असल समस्या कहां है और इसका हल किस तरह निकाला जाएगा।

कलेक्टर ने दिए निर्देश

कलेक्टर सुरेश कुमार ने बताया, “जनवार गांव में कार्यक्रम के दौरान बुजुर्ग दंपती अपनी शिकायत लेकर आए थे। ग्राम पंचायत के जीआरएस को निर्देश दिया गया है कि वे सारे दस्तावेज इकट्ठे करें और मुझे प्रस्तुत करें। तभी स्थिति स्पष्ट होगी और आगे की कार्रवाई संभव हो सकेगी।”

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