राजस्थान: आदिवासी नग्न परेड पीड़िता की सरकारी मदद पर घिरे सीएम गहलोत, भेदभाव का आरोप

आदिवासी समाज से आने वाले राज्यसभा सांसद ने सरकारी मदद पर राजस्थान सीएम पर भेदभाव का आरोप लगाया है। आदिवासी महिला की उसके पति द्वारा नग्न परेड करने की घटना सोशल मीडिया पर हुई थी वायरल।
किरोड़ीलाल मीणा, राज्यसभा सांसद
किरोड़ीलाल मीणा, राज्यसभा सांसद

जयपुर। राजस्थान में एक बार फिर अबला नारी के चीरहरण पर सरकारी सहायता का पर्दा डाल दिया गया। धरियाबाद में आदिवासी गर्भवती महिला की नग्न परेड का मामला उजागर होने के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पीड़िता के घर पहुंचे। जहां उन्होंने पीड़िता से मुलाकात के बाद संवेदना जताते हुए 10 लाख रुपए की आर्थिक मदद के साथ ही सरकारी नौकरी की घोषणा तो कर दी, लेकिन राजस्थान में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए सरकार क्या कदम उठाने जा रही है, इस पर कुछ नहीं बोला। ऐसे में यह सवाल उठ रहे हैं कि क्या राजस्थान में नारी सम्मान की कीमत 10 लाख और सरकारी नौकरी है? या फिर नारी की आबरू नोचने वालों के लिए सार्वजनिक मृत्युदंड का कानून बनना चाहिए। सरकार को इस पर भी आमजन की राय लेकर निर्णय करने की जरूरत है। ताकि, फिर किसी नारी का चीरहरण नहीं हो सके।

धरियाबाद प्रकरण में पुलिस की त्वरित कार्रवाई पर सीएम ने खाकी की तारीफ भी की। उन्होंने कहा कि घटना का पता चलते ही राजस्थान पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। सीएम गहलोत ने कहा कि देश भर में महिलाओं पर अत्यचार हो रहे हैं। पारिवारिक झगड़े दुनियभर में होते हैं, लेकिन इस तरह की घिनौनी हरकत कोई नहीं कर सकता। इस घटना की जितनी निंदा की जाए कम है।

पीड़िता से मिलने के बाद पत्रकारों से वार्ता करते सीएम अशोक गहलोत
पीड़िता से मिलने के बाद पत्रकारों से वार्ता करते सीएम अशोक गहलोत

सीएम ने पीड़िता से मुलाकात के बाद पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि पीड़ित महिला को आर्थिक और सामाजिक सुरक्षा के लिए के लिए 10 लाख रुपए आर्थिक मदद के साथ ही सरकारी नौकरी देने की घोषणा की है। यहां अब सीएम की इस घोषणा को नाकाफी बताते हुए राजस्थान में पूर्व में सामुहिक दुष्कर्म या महिला दुराचार के मामलों में दिए गए सरकारी पैकेज की मांग होने लगी है। ऐसे में एक बार फिर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर जाति व धर्म आधारित न्याय के आरोप भी लग रहे हैं।

आदिवासी समाज से आने वाले डॉ. किरोड़ी लाल मीना भी पीड़िता से मिलने धरियाबाद पहुंचे। जहां उन्होंने पुलिस पर पीड़िता को बंधक बनाने का आरोप लगाया। हालांकि पुलिस ने इन आरोपों को नकार दिया है। पुलिस पूर्व में कह चुकी है कि एक विशेषज्ञों की निगरानी में पीड़िता की काउंसलिंग की जा रही है।

राज्य सभा सांसद डॉ. किरोड़ी लाल मीना ने कहा कि "भीलवाड़ा में 25 लाख व स्थायी सरकारी नौकरी दी जाती है। थानागाजी में भी सामूहिक दुष्कर्म पीड़िता को पुलिस सेवा में स्थायी नौकरी के साथ ही आर्थिक मदद व जयपुर में एक पक्का आवास बनाकर दिया जाता है, लेकिन धरियाबद में केवल 10 लाख रुपए व सरकारी नौकरी की बात की जाती है। यहां भेदभाव क्यों किया जा रहा है? सरकारी नौकरी कौन सी दे रहे हैं यह भी साफ नहीं है। ऐसे में हमारी मांग है कि धरियाबद पीड़िता को भी 25 लाख, स्थायी सरकारी नौकरी व राजस्थान में पीड़िता जहां भी चाहे पक्का आवास बना कर दिया जाए।"

क्या संवैधानिक कानून पर नहीं भरोसा!

धरियाबाद में पहुंचे डॉ. किरोड़ी लाल मीना ने मीडिया कर्मियों से बात करते हुए कहा कि पुलिस ने पीड़ित महिला सहित परिवार को बंधक बनाकर रखा है। उन्होंने कहा कि यह आदिवासी परिवार है। यहां आदिवासी समाज है। आदिवासी समाज की अपनी न्यायिक परम्पराएं हैं। सामाजिक स्तर पर दंडित करने का प्रावधान और सुधार करने का प्रावधान इस इलाके में हैं।

मणिपुर पर हायतोबा तो यहां पर्दा क्यों?

आदिवासी समाज से आने वाले सांसद डॉ. किरोड़ी लाल मीना ने कहा कि "मणिपुर की घटना पर आप हायतोबा मचाते हो। राजस्थान में मुख्यमंत्री पर्दा डालने का प्रयास करते हैं। प्रियंका कहती है मैं लड़की हूं लड़ सकती हूं। आप यहां आकर देखें इन आदिवासियों की बदहाली। राजस्थान में दलित, आदिवासी महिला सुरक्षित नहीं है।" हालांकि, लोग पूछ रहे कि जब मणिपुर में महिलाओं की नग्न परेड कराई जा रही थी तो आदिवासी समाज से आने वाले डॉ. किरोड़ी लाल मीना चुप क्यों थे?

आदिवासी सामाजिक कार्यकर्ता भगवती भील ने समाज से सवाल करते हुए कहा कि "धरियाबाद घटना में अपराधी केवल पुरुष ही है क्या? जबकि वायरल वीडियो में पीड़ित महिला को नंगा करने के लिए पति को उकसाने वाली आवाजें जिन महिलाओं की है उनकी सजा का क्या? निर्वस्त्र अवस्था में घुमाते समय हंसने वाली महिलाओं की सजा क्या? दिल्ली, मणिपुर और राजस्थान में तमाशबीन बने लोगों की सजा का क्या? क्या केवल कांग्रेस, बीजेपी और प्रशासन की गलती देखना ही उचित है? खत्म होती सामाजिकता पर कब सोचा जाएगा?"

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