मणिपुर हिंसा ग्राउंड रिपोर्ट: 3 महीनों बाद डाकिया डाक लाया...डाक लाया!

जातीय हिंसा के बीच ठप हुई डाक सेवाएं, लगभग 100 दिन बाद सेना की सहायता से पहुंचे 870 बैग
डाकघर में चिट्ठियां और पार्सल के ढेर
डाकघर में चिट्ठियां और पार्सल के ढेर सत्यप्रकाश भारती, द मूकनायक
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इम्फाल। मणिपुर में कुकी और मैतई के बीच हुई जातीय हिंसा के बीच पहाड़ी और घाटी के बीच लकीर खिंच गई है। इस दौरान बैंकिग और डाक सेवा पूरी तरह ध्वस्त हो गई। 3 मई को हुई हिंसा के बाद इम्फाल शहर से चुराचांदपुर जिले के लामका पहुंचने वाली डाक पूरी तरह बन्द हो गई। इस दौरान विभिन्न स्थानों से आने वाले पार्सल और चिट्ठियां एक कमरे में ही बंद रह गई। द मूकनायक ने यहां एक डाकघर का निरीक्षण किया और लोगों की परेशानियों को जानने की कोशिश की. लगभग 870 बैग चिट्ठियां और पार्सल आखिर 22 अगस्त को भारी फोर्स के साथ लामका शहर लाये गए। इन बैगों में एटीएम कार्ड,नौकरी से सम्बंधित दास्तावेज और अन्य महत्त्वपूर्ण दस्तावेज शामिल हैं। 

एटीएम कार्ड से लेकर पार्सल तक के लगे ढेर

मणिपुर में आरक्षण की मांग को लेकर निकाली गई रैली के बाद 3 मई, 2023 को शुरू हुई हिंसा में कम से कम 150 लोग मारे गए थे। इस घटना में 400 से अधिक घायल हो गए। 60,000 से अधिक लोगों को अपने घरों से मजबूर होना पड़ा था। सेना, संसदीय बल और पुलिस हिंसा को रोकने के लिए संघर्ष कर रहे थे।

जातीय हिंसा ने राज्य में डाक सेवाओं को बुरी तरह प्रभावित किया। बड़े दंगो, आगजनी की घटनाओं के बीच पूरे राज्य में कर्फ्यू लगा दिया गया। लोगों को सड़कों पर निकलने की मनाही थी। चप्पे-चप्पे पर आर्मी और पुलिस का पहरा था। इस दौरान सभी सरकारी सेवाएं बैंकिंग, डाक,रेलवे आदि पर भी इसका प्रभाव पड़ा। इनके दफ्तर भी बन्द कर दिए गए। जिसके परिणामस्वरूप नागरिकों को समय पर पार्सल नहीं मिल पा रहे थे। इंटरनेट पूरी तरह बन्द कर दिया गया था। डाकघरों में इंटरनेट की कमी के कारण डाकघर समय पर पार्सल नहीं भेज पा रहा था। इंफाल में डाक विभाग बंद होने के कारण उनमें से कई एटीएम कार्ड, नौकरी आवेदन आदि से सम्बंधित दस्तावेज भी एक कमरे में बंद होकर रह गए। 3 मई के बाद बंद हुई डाक सेवा के दौरान इम्फाल शहर के डाकघर में लगभग 700-800 बैग इकट्ठा हो गए थे।

डाकघर में कार्यरत कर्मी
डाकघर में कार्यरत कर्मी सत्यप्रकाश भारती, द मूकनायक

आईटीएलएफ द्वारा मिली जानकारी के अनुसार डाक का काम 22 अगस्त से शुरू हो गया। 3 मई के बाद सीधे 22 अगस्त को पार्सल और चिट्ठियों से भरे लगभग 870 बैग सेना की सहायता से लामका शहर लाये गए थे। जानकारी के मुताबिक 23 अगस्त से डाक सेवाओं का मैन्युअल रूप से संचालन शुरू किया गया। चुराचांदपुर के रहने वाले डेविड ने बताया, "जातीय हिंसा के कारण डाक विभाग बुरी तरह प्रभावित हुआ था और पिछले चार महीने से यह बंद था। अब धीरे-धीरे काम शुरू हुआ है। इसे मैन्युअल रूप से कर रहे हैं।"

इम्फाल में डाक विभाग के एक अधिकारी ने कहा, "हमें कई मेल बैग मिले हैं और उन्हें संबंधित पते पर भेजना शुरू कर दिया है। डिजिटल लेनदेन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। हालांकि बीएसएनएल ने उनके लिए एक लाइन सक्रिय की है, लेकिन एक आईपी एड्रेस आज तक काम नहीं कर रहा है, जिससे विभाग परेशान है। हमें जनता की शिकायतों का समाधान करना होगा। हमें पार्सल प्राप्त हो गए हैं और इसे प्राप्त करने के बाद हमने मैन्युअल रूप से अपना काम शुरू कर दिया है,” उन्होंने कहा।

अपना पार्सल लेने आई एक छात्रा ने कहा, "मैसेज मिलने के बाद मैं पोस्ट ऑफिस आई हूं। मेरी पुस्तकें आ गई हैं और मुझे पार्सल द्वारा प्राप्त हुई हैं। मैं पार्सल द्वारा प्राप्त करके बहुत खुश हूँ।” इंफाल में पासपोर्ट सेवा केंद्र 4 मई, 2023 से बंद है।

डाकघरों में अभी मैन्युअल रूप से काम शुरू हुआ है
डाकघरों में अभी मैन्युअल रूप से काम शुरू हुआ है सत्यप्रकाश भारती, द मूकनायक

दार्जलिंग में रहने वाली सरिता सोइबम देवी ने मणिपुर में अपने पिता के लिएअप्रैल माह में दवाईयों का पार्सल बुक किया था जो अभी तक डिलीवर नही हुआ है. " जरूरी मेडिसिन थी जो उन तक पहुंचना आवश्यक था लेकिन फिर इस हिंसा में सब कुछ अस्त व्यस्त हो गया लेकिन किसको दोष दें? आखिरकार सरिता ने एक पारिवारिक मित्र के जरिये दवाओं का दूसरा पेकेट पिता तक पहुंचाया.

चूराचांदपुर के एक रीलिफ केम्प में कोऑर्डिनेटर तेंग्ज़म बताते हैं केम्प में महीनों से रहने वाले लोग इंटरनेट और सम्पर्क के अन्य माध्यमों से पूरी तरह कटे हुए हैं, केवल काल्स ही जानकारी के आदान प्रदान का एकमात्र जरिया है. कई युवा अपने नौकरियों के लिए किये गये आवेदन के लिए चिंतित हैं तो किसी के बैंक चैकबुक, एटीएम कार्ड डाक विभाग में अटके हुए हैं. डाक सेवा सुचारू होने से लोगों में एक नई उम्मीद जगी है की धीरे धीरे ही सही जिंदगी पटरी पर लौट रही है.

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