कर्नाटक: कांग्रेस और सरकारी समितियों में उपेक्षा से नाराज दलित नेताओं ने बनाई समन्वय समिति, एच.एम. नंदकुमार चुने गए अध्यक्ष

सरकारी निगमों और समितियों में पद न मिलने से आक्रोश; एच.एम. नंदकुमार की अध्यक्षता में आर-पार की लड़ाई का ऐलान, जनार्दन बने महासचिव।
कर्नाटक: कांग्रेस और सरकारी समितियों में उपेक्षा से नाराज दलित नेताओं ने बनाई समन्वय समिति, एच.एम. नंदकुमार चुने गए अध्यक्ष
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मडिकेरी: कर्नाटक के मडिकेरी जिले में दलित समुदाय की लगातार हो रही अनदेखी और कांग्रेस पार्टी व सरकारी निगमों-समितियों में उचित प्रतिनिधित्व न मिलने से नाराज दलित संगठनों ने अब आर-पार की लड़ाई का मन बना लिया है। इसी कड़ी में सोमवार को अंबेडकर भवन में एक अहम बैठक आयोजित की गई, जिसमें 'एससी और एसटी समन्वय समिति' (SC and ST Coordination Committee) का गठन किया गया।

इस नई गठित समिति की कमान केपीसीसी (KPCC) सदस्य एच.एम. नंदकुमार को सौंपी गई है, जिन्हें सर्वसम्मति से अध्यक्ष चुना गया है। वहीं, जनार्दन को महासचिव की जिम्मेदारी दी गई है।

सरकार और विधायकों का ध्यान खींचने के लिए बनेगा आंदोलन

केपीसीसी सदस्य एच.एम. नंदकुमार के नेतृत्व में हुई इस बैठक में जिले भर के विभिन्न दलित संगठनों के नेताओं ने हिस्सा लिया। बैठक में एक सुर में यह निर्णय लिया गया कि समुदाय से जुड़े मुद्दों पर सरकार, कांग्रेस नेतृत्व और स्थानीय विधायकों का ध्यान आकर्षित करने के लिए जल्द ही विशेष पहल और आंदोलन शुरू किए जाएंगे। नेताओं का कहना है कि अब अपनी आवाज को अनसुना नहीं करने दिया जाएगा।

"वोट हमारा, लेकिन सत्ता में हिस्सेदारी सिफर"

सभा को संबोधित करते हुए नवनिर्वाचित अध्यक्ष नंदकुमार ने अपना दर्द बयां किया। उन्होंने आरोप लगाया कि जिला कांग्रेस के भीतर अनुसूचित जाति (SC) के लोगों को हेय दृष्टि से देखा जा रहा है। उन्होंने तीखा हमला बोलते हुए कहा कि जो विधायक दलितों के निर्णायक समर्थन से जीतकर आए हैं, वे भी अब समुदाय की चिंताओं के प्रति उदासीन हो गए हैं।

नंदकुमार ने इसे घोर अन्याय करार देते हुए कहा कि आंतरिक पार्टी समितियों में दलितों को कोई प्राथमिकता नहीं दी जा रही है। अक्रम-सक्रम समिति (Akrama-Sakrama Committee), गारंटी योजना कार्यान्वयन समिति और जिला पंचायत केडीपी (ZP KDP) जैसी प्रमुख संस्थाओं में अध्यक्ष पद से दलितों को वंचित रखा गया है। उन्होंने जोर देकर कहा कि अब दलितों को संगठित होकर अपनी जायज मांगों को पूरा करवाने के लिए संघर्ष करना ही होगा। इसके अलावा, उन्होंने समुदाय के सरकारी कर्मचारियों के सामने आने वाली समस्याओं पर भी तत्काल ध्यान देने की मांग उठाई।

अन्य नेताओं ने भी उठाई आवाज

बैठक में मौजूद दलित संघर्ष समिति के नेता बेलूर कृष्णप्पा ने भी अपनी नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा कि दलितों के लिए कोई भी सार्थक काम नहीं किया जा रहा है और उनकी मांगों को लगातार नजरअंदाज किया जा रहा है।

वहीं, आलुवारा गांव के मंजूनाथ ने आरोप लगाया कि विधायक कार्यकर्ताओं के प्रति जवाबदेह नहीं हैं। सोमवारपेट तालुक के दलित नेता जनार्दन ने कहा कि कुछ नेताओं के प्रभाव और दखलअंदाजी के कारण अनुसूचित जाति के लोगों को उनकी हक की सीटों से वंचित किया जा रहा है।

इस मुद्दे पर जिला कांग्रेस प्रवक्ता टी.ई. सुरेश ने कहा कि अनुसूचित जाति के प्रतिनिधित्व से जुड़ी मांगों को पहले भी कांग्रेस ब्लॉक अध्यक्ष के समक्ष रखा गया था। वहीं, सोमवारपेट तालुक गारंटी कार्यान्वयन समिति के सदस्य संदीप ने सुझाव दिया कि विधायकों को सबसे पहले उन समस्याओं से अवगत कराना जरूरी है, जिनका सामना दलित समाज कर रहा है।

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