लद्दाख हिंसा: NAPM ने सोनम वांगचुक की NSA के तहत गिरफ्तारी की निंदा की, न्यायिक जांच की मांग

NAPM ने वांगचुक की गिरफ्तारी को 'दमन' बताते हुए 4 मौतों की न्यायिक जांच की मांग की, लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची में शामिल करने का दबाव बढ़ाया।
Why was Sonam Wangchuk booked under the NSA? The full story behind the Ladakh violence and the 5 main demands troubling the government.
सोनम वांगचुक पर NSA क्यों लगा? लद्दाख हिंसा के पीछे की पूरी कहानी और 5 मुख्य मांगें जो सरकार को परेशान कर रही हैं।(Ai तस्वीर)
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नई दिल्ली: जन आंदोलनों के राष्ट्रीय समन्वय (NAPM) ने लद्दाख में हाल में हुई हिंसा और चार लोगों की मौत पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए, पर्यावरणविद् सोनम वांगचुक की राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत गिरफ्तारी की कड़ी निंदा की है। संगठन ने 27 सितंबर को एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर वांगचुक की तत्काल रिहाई, NSA के आरोप रद्द करने और हिंसा में हुई मौतों की न्यायिक जांच की मांग की है।

NAPM ने केंद्र सरकार से लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा और संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग पर तत्काल एक ठोस संवाद शुरू करने का आग्रह किया है।

शांतिपूर्ण आंदोलन पर दमन का आरोप

संगठन ने अपने बयान में कहा है कि सोनम वांगचुक लद्दाख की आकांक्षाओं की एक प्रभावशाली आवाज बनकर उभरे हैं और उन्होंने लेह एपेक्स बॉडी (LAB) व कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (KDA) के साथ मिलकर हमेशा शांतिपूर्ण आंदोलन की अपील की है। NAPM के अनुसार, केंद्र सरकार लेह में हुई अचानक हिंसा के लिए सोनम वांगचुक को दोषी ठहराकर और उन्हें झूठे आरोपों में गिरफ्तार करके अनावश्यक रूप से तनाव बढ़ा रही है।

बयान में इस बात पर जोर दिया गया कि सोनम वांगचुक ने स्वयं हिंसा की स्पष्ट रूप से निंदा की थी और किसी भी प्रकार की हिंसा को अस्वीकार करते हुए 15वें दिन अपना अनशन वापस ले लिया था। संगठन का मानना है कि शांतिपूर्ण जन आंदोलनों की आवाजों को दबाने से अनियंत्रित हिंसा भड़क सकती है, और केंद्र सरकार इस समस्या को भड़काने के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार है।

संवैधानिक सुरक्षा की मांग क्यों?

NAPM ने कहा कि लद्दाख के अधिकांश लोग अनुसूचित जनजातियों से हैं और छठी अनुसूची की सुरक्षा के हकदार हैं। यह कदम लद्दाख के लोगों को उनकी जमीन, संसाधनों और प्रशासन पर अधिक नियंत्रण देगा। संगठन ने चिंता व्यक्त की कि संवैधानिक सुरक्षा के अभाव में केंद्र सरकार लद्दाख में बड़ी परियोजनाओं और नीतिगत बदलावों के जरिए बड़े पैमाने पर भूमि और संसाधनों को कॉर्पोरेट संस्थाओं को सौंप सकती है, जैसा कि अन्य हिमालयी राज्यों में हो रहा है।

विज्ञप्ति में यह भी कहा गया है कि लद्दाख की रक्षा केवल उसके लोगों के भविष्य के लिए ही नहीं, बल्कि दुनिया के सबसे संवेदनशील हिमालयी पारिस्थितिक तंत्रों में से एक को संरक्षित करने के लिए भी महत्वपूर्ण है, खासकर जब संयुक्त राष्ट्र (UN) ने वर्ष 2025 को 'ग्लेशियरों के संरक्षण का अंतर्राष्ट्रीय वर्ष' घोषित किया है।

NAPM द्वारा की गई प्रमुख मांगें:

जन आंदोलनों के राष्ट्रीय समन्वय ने केंद्र सरकार से तत्काल निम्नलिखित कदम उठाने की मांग की है:

  1. सोनम वांगचुक को तुरंत रिहा किया जाए और उनके खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत लगाए गए आरोपों को वापस लिया जाए।

  2. लद्दाख के जन आंदोलन पर दमन बंद किया जाए और सोनम वांगचुक से जुड़े संस्थानों को निशाना न बनाया जाए।

  3. लेह एपेक्स बॉडी (LAB) और कारगिल डेमोक्रेटिक एलायंस (KDA) के साथ छठी अनुसूची और पूर्ण राज्य के दर्जे पर एक सार्थक और निर्णायक संवाद शुरू किया जाए।

  4. चार लद्दाखी नागरिकों की गोलीबारी में हुई मौत की एक उच्च-स्तरीय और स्वतंत्र न्यायिक जांच कराई जाए।

  5. सभी घायलों को सरकारी खर्च पर पूर्ण चिकित्सा सहायता और मुआवजा दिया जाए तथा मृतकों के परिवारों को न्यायपूर्ण मुआवजे के साथ एक सदस्य को स्थायी सरकारी नौकरी दी जाए।

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