नई दिल्ली: प्रसिद्ध कथावाचक अनिरुद्धाचार्य महाराज का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें वे न्यायपालिका पर कथित रूप से एक विवादास्पद टिप्पणी करते हुए सुनाई दे रहे हैं। इस वीडियो के सामने आने के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है। भीम आर्मी के संस्थापक और नगीना से सांसद चंद्रशेखर आज़ाद ने इस बयान पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए अनिरुद्धाचार्य की तत्काल गिरफ्तारी की मांग की है।
वायरल हो रही वीडियो क्लिप में, अनिरुद्धाचार्य एक जज द्वारा की गई कथित टिप्पणी का जवाब दे रहे हैं। वे कहते हैं, "एक जज ने कहा कि हम क्यों निर्णय दें, तुम्हारे भगवान में इतनी ताकत है तो तुम्हारे भगवान खुद कर लें। तो वह जज साहब से जरा सवाल करना है, कहीं मिलें तो पूछना कि सब काम भगवान ही करेंगे तो तुम काहे कुर्सी तोड़ रहे हो जज की?"
उन्होंने आगे कहा, "तुम्हें जज बनाया गया है इसलिए ना कि तुम न्याय करो। अब आप हिंदू सनातन संस्कृति का अपमान करते हो। वो (भगवान) तो सब कर सकते हैं। वो तो प्रकट होकर रावण को भी मार सकते हैं। हिरण्यकश्यप की छाती भी फाड़ सकते हैं। अब तुम्हें अपनी छाती फड़वानी है तो बताओ।" इसी अंतिम पंक्ति को लेकर पूरा विवाद खड़ा हुआ है।
इस बयान पर भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आज़ाद ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट के माध्यम से कड़ा विरोध जताया। उन्होंने अनिरुद्धाचार्य के बयान को "जातिवादी और घटिया सोच का परिचायक" बताया।
आज़ाद ने अपने पोस्ट में लिखा, "अनिरुद्धाचार्य का बयान 'तुम्हें अगर अपनी छाती फड़वानी है..' उसकी जातिवादी और घटिया सोच का परिचायक है। भारत के मुख्य न्यायाधीश को खुलेआम इस तरह की धमकी संविधान और न्यायपालिका पर हमला है।" उन्होंने आगे कहा कि धर्म की आड़ में नफरत और हिंसा का कारोबार किया जा रहा है।
बाबासाहेब डॉ. अम्बेडकर का हवाला देते हुए उन्होंने कहा, "परम पूज्य बाबा साहेब ने चेताया था कि 'अगर अंधविश्वास को बढ़ावा दिया गया, तो लोकतंत्र खतरे में पड़ जाएगा'।"
चंद्रशेखर आज़ाद ने प्रधानमंत्री कार्यालय (PMOIndia) और उत्तर प्रदेश सरकार (UPGovt) को टैग करते हुए अनिरुद्धाचार्य के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने लिखा, "इस तरह की जहर फैलाने वाली, जातिवादी मानसिकता से ग्रसित घृणित बयानबाजी पर तुरंत कार्रवाई हो और संविधान विरोधी भाषा बोलने वालों को जेल की सलाखों के पीछे पहुंचाया जाए।"
इस मामले ने धार्मिक उपदेशों और संवैधानिक संस्थाओं के सम्मान के बीच की रेखा पर एक नई बहस छेड़ दी है। सोशल मीडिया पर यह वीडियो क्लिप तेजी से फैल रहा है और लोग इस पर कई तरह की प्रतिक्रिया दे रहे हैं।
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