बुलंदशहर: दलित नाबालिग से रेप और कुकर्म के आरोपी ADO की जेल में मौत, 6 जनवरी को होनी थी सुनवाई

10 साल की बच्ची और बकरी से दरिंदगी का था आरोप, 6 जनवरी को होनी थी सुनवाई, उससे पहले ही तोड़ा दम
Bulandshahr ADO Death in Jail
10 साल की बच्ची और बकरी से रेप के आरोपी ADO की जेल में मौत। जन्मदिन के दिन ही पड़ा दिल का दौरा। 6 जनवरी को होनी थी सुनवाई। पढ़ें पूरी रिपोर्ट।(Ai Image)
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बुलंदशहर: कुदरत का न्याय भी कभी-कभी अजीब होता है। बुलंदशहर की जेल में बंद कृषि विभाग के 59 वर्षीय सहायक विकास अधिकारी (ADO) की गुरुवार को 'कार्डियक अरेस्ट' (दिल का दौरा पड़ने) से मौत हो गई। संयोग देखिए, जिस दिन आरोपी ने अंतिम सांस ली, उसी दिन उसका जन्मदिन भी था। आरोपी पर एक 10 साल की मासूम बच्ची और एक बकरी के साथ दरिंदगी करने का घिनौना आरोप था। इस मामले में अदालत में फैसला करीब था और अगली सुनवाई 6 जनवरी को होनी थी।

जेलर ने की पुष्टि: अस्पताल ले जाते समय तोड़ा दम

जेलर अशोक कुमार ने शुक्रवार को जानकारी देते हुए बताया कि आरोपी पिछले लगभग एक साल से जेल में बंद था। वह पहले से ही हृदय रोग (Heart Patient) से जूझ रहा था और न्यायिक हिरासत के दौरान दिल्ली और मेरठ में उसका इलाज भी चल रहा था। गुरुवार को जेल में अचानक उसे सीने में बेचैनी और दर्द की शिकायत हुई। प्रशासन उसे तुरंत अस्पताल ले जा रहा था, लेकिन रास्ते में ही उसने दम तोड़ दिया। जेलर ने बताया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत का कारण कार्डियक अरेस्ट बताया गया है और शव को परिजनों को सौंप दिया गया है।

क्या था पूरा मामला?

यह शर्मनाक घटना पिछले साल 13 अगस्त 2024 की है। शिकारपुर ब्लॉक में तैनात ADO एक दलित व्यक्ति के घर निरीक्षण (इंस्पेक्शन) के लिए पहुंचा था। घर पर पीड़ित की 10 वर्षीय बेटी को अकेला पाकर उसने उसे जबरन एक कमरे में खींच लिया और उसके साथ यौन उत्पीड़न किया। हैवानियत यहीं नहीं रुकी, आरोपी ने घर के अंदर बंधी एक बकरी के साथ भी अप्राकृतिक कृत्य (Unnatural Sex) किया। राहत की बात यह रही कि एक पड़ोसी ने इस बर्बर कृत्य को अपने मोबाइल कैमरे में कैद कर लिया, जो बाद में अहम सबूत बना।

बेहद संगीन धाराओं में दर्ज था केस

गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने आरोपी के खिलाफ बेहद सख्त कार्रवाई की थी। उस पर भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 65 (2) (12 वर्ष से कम उम्र की महिला से बलात्कार), एससी/एसटी एक्ट की धारा 3 (2)(5), पॉक्सो एक्ट की धारा 5M/6 और पशु क्रूरता निवारण अधिनियम की धारा 11 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था। अपराध की गंभीरता को देखते हुए कोर्ट ने उसकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी, जिसके चलते वह लगातार जेल में था।

बकरी का भी हुआ था मेडिकल, गवाही थी पूरी

एडीजीसी (ADGC) वरुण कौशिक ने मामले की गंभीरता पर बात करते हुए कहा, "उसका अपराध जघन्य था। अदालत में अब तक 14 गवाह अपनी गवाही दे चुके थे। पीड़ित बच्ची ने भरी अदालत में आरोपी की पहचान की थी। यहां तक कि जांच के दौरान बकरी का भी मेडिकल परीक्षण कराया गया था, जिसमें मामले की पुष्टि हुई थी। हमने उसे दोषी साबित करने के लिए अदालत में बहुत मजबूत सबूत पेश किए थे।"

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