भोपाल। मध्य प्रदेश में आदिवासी समुदाय पर अत्याचार के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। ताजा घटना आलीराजपुर जिले की है, जहां एक 13 वर्षीय आदिवासी नाबालिग के साथ गैंगरेप का मामला सामने आया है। घटना जिला मुख्यालय से करीब 10 किलोमीटर दूर एक गांव की है। पुलिस ने पांच आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है।
एएसपी प्रदीप पटेल ने बताया कि सोमवार शाम करीब 7:30 बजे पीड़िता अपनी मां की दुकान पर अकेली थी। उसकी मां दुकान चलाती हैं। इस दौरान पांच युवक वहां पहुंचे। मौका पाकर इनमें से तीन ने नाबालिग के साथ दुष्कर्म किया, जबकि दो आरोपी बाहर निगरानी करते रहे। घटना के दौरान जब बच्ची चिल्लाई तो उसकी मां मौके पर पहुंची। उसे देखकर चार आरोपी भाग गए, लेकिन एक को लोगों ने पकड़ लिया और पुलिस को सौंप दिया।
पुलिस ने पांचों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। इनमें से दो को पीड़िता पहले से जानती थी। एक आरोपी अजमेर सिंह के खिलाफ पहले से एक मामला दर्ज है। गिरफ्तार आरोपियों के नाम इस प्रकार हैं: अजमेर पिता कासु रावत (22), राहुल पिता गिलदार रावत, अरविंद पिता रमेश रावत, निलेश पिता सिलदार, राकेश पिता जागरसिंह
पीड़िता के परिजनों ने इस जघन्य अपराध पर आक्रोश व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि बच्ची के साथ अन्याय हुआ है और दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए।
पीड़िता की मां ने कहा, "हम गरीब लोग हैं, न्याय के लिए दर-दर नहीं भटक सकते। पुलिस को जल्द से जल्द कार्रवाई करनी चाहिए ताकि हमारी बच्ची को इंसाफ मिले।"
मध्य प्रदेश में आदिवासी समुदाय पर अत्याचार के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, राज्य में दलितों और आदिवासियों के खिलाफ अपराध के मामले राष्ट्रीय स्तर पर सबसे ज्यादा दर्ज किए जा रहे हैं।
आलीराजपुर, झाबुआ, धार, खरगोन, बड़वानी जैसे आदिवासी बहुल जिलों में दुष्कर्म, हत्या और अन्य गंभीर अपराधों की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं।
संविधान के अनुच्छेद 15(5) और 46 में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के अधिकारों की सुरक्षा की बात कही गई है। लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि आदिवासियों को न्याय दिलाने की प्रक्रिया धीमी और जटिल है।
कांग्रेस नेता अरुण यादव ने इस घटना को लेकर सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर Also- "मध्य प्रदेश आदिवासियों पर अत्याचार और नाबालिगों से दुष्कर्म के मामलों में पहले स्थान पर है। हम सरकार से मांग करते हैं कि दोषियों को सख्त सजा मिले और पीड़िता को न्याय मिले।"
2022 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 4,45,256 मामले दर्ज किए गए, जो 2021 के 4,28,278 मामलों से 4% अधिक हैं।
बच्चों के खिलाफ अपराध के 1,62,449 मामले दर्ज हुए, जो 2021 के 1,49,404 मामलों से 8.7% अधिक हैं।
अकेले भोपाल में 2022 में 758 मामलों में बच्चियों को निशाना बनाया गया।
विशेषज्ञों के अनुसार, इस तरह की घटनाएं सिर्फ अपराधियों की मानसिकता का नतीजा नहीं हैं, बल्कि सामाजिक और प्रशासनिक कमजोरियों की वजह से भी बढ़ रही हैं।
कई मामलों में पड़ोसी, रिश्तेदार, या परिचित ही बच्चियों को शिकार बनाते हैं। यह दर्शाता है कि समाज में अपराधियों का दायरा कहीं अधिक विस्तृत और खतरनाक हो चुका है। स्कूल, कोचिंग संस्थान और मेले जैसे सार्वजनिक स्थान, जो पहले सुरक्षित माने जाते थे, अब अपराधियों के नए ठिकाने बन गए हैं। भोपाल की घटना इसका बड़ा उदाहरण है। कई मामलों में यह देखा गया है कि अपराधी शराब या नशे की हालत में होते हैं, जिससे वे वहशीपन पर उतर आते हैं और जघन्य अपराध कर बैठते हैं।
नाबालिगों से दुष्कर्म के मामलों में पॉक्सो एक्ट (POCSO Act) 2012 के तहत कठोर सजा का प्रावधान है। साथ ही, अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 के तहत अगर अपराध किसी आदिवासी के खिलाफ किया गया है, तो सख्त कानूनी कार्रवाई होती है।
भारत में POCSO एक्ट और दुष्कर्म कानूनों के तहत सख्त सजा का प्रावधान है, लेकिन धीमी न्यायिक प्रक्रिया और केसों में देरी के कारण अपराधियों के मन में कोई भय नहीं है।अक्सर बच्चे अपने साथ हो रही घटनाओं को पहचान नहीं पाते, जिससे अपराधी उनका आसानी से शिकार बना लेते हैं। कई मामलों में परिवार भी चुप्पी साध लेते हैं, जिससे अपराधियों को खुली छूट मिल जाती है।
भारत में 2012 में POCSO (Protection of Children from Sexual Offences) एक्ट लागू किया गया, जिसके तहत दोषियों को कठोर सजा दी जाती है, और कुछ मामलों में मृत्युदंड तक का प्रावधान है। लेकिन इसके बावजूद अपराधों पर लगाम नहीं लग पाई है। भोपाल की यह घटना इस बात का सबसे बड़ा प्रमाण है। मध्यप्रदेश में नाबालिग से रेप की घटनाओं में फांसी तक कि सजा का प्रावधान है। लेकिन इसके बाबजूद भी घटनाओं का बढ़ना चिन्ताजनक है।
मध्य प्रदेश राज्य बाल संरक्षण आयोग के सदस्य ओंकार सिंह ने द मूकनायक से बातचीत में बताया कि मामला संज्ञान में आया है और आयोग ने पुलिस अधीक्षक से जांच प्रतिवेदन मांगा है। उन्होंने घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि जांच रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी और दोषियों को कठोर सजा दिलाने की अनुशंसा की जाएगी।
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