राजस्थान: राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के दिन ऐसा क्या हुआ कि प्रशासनिक अधिकारी न्यायालय में कर लिए गए तलब!

राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के दौरान जोधपुर उच्च न्यायालय के जस्टिस ने स्वतः संज्ञान लेकर की पीआईएल दाखिल. आइंदा 'जुलूस', 'धरना' और धार्मिक समारोहों के नाम पर सड़कों, विशेष रूप से उच्च न्यायालय की ओर जाने वाली सड़क को अवरुद्ध नहीं करने के मामले में न्यायालय ने कलक्टर व पुलिस आयुक्त को दिए निर्देश.
जोधपुर उच्च न्यायालय
जोधपुर उच्च न्यायालय

जयपुर। बीते 22 जनवरी, सोमवार को देशभर में अयोध्या स्थित राम मंदिर का प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव बड़े ही धूम-धाम से मनाया गया। गांव से लेकर शहरों तक उत्सव के साथ पूजा अनुष्ठान के कार्यक्रम हुए, और शोभा यात्राएं भी निकाली गई। राजस्थान के जोधपुर शहर में भी राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के दौरान उच्च न्यायालय को जाने वाली मुख्य सड़क को बेरिकेटस लगाकर पुलिस प्रशासन ने बंद कर दिया। इससे कई अधिवक्ता व जज भी न्यायालय में नहीं पहुंच सके।

धार्मिक कार्यक्रम के दौरान मनमानी कर बिना अनुमति के मुख्य मार्ग अवरुद्ध करने से नाराज राजस्थान उच्च न्यायालय जोधपुर के जस्टिस दिनेश मेहता ने स्वतः संज्ञान लेकर जोधपुर जिला कलेक्टर व पुलिस कमिशनर को न्यायालय में तलब कर पूछा है कि क्या यह बेरिकेड्स अनुमति लेकर लगाए गए थे। हालांकि, न्यायालय के समक्ष उपस्थित हुए कलेक्टर व पुलिस कमिश्नर ने इतना ही कहा कि अवरोधक हटा लिए गए हैं। 

इसके बाद जस्टिस मेहता ने इस याचिका को एक 'पीआईएल' के रूप में पंजीकृत कर मुख्य न्यायाधीश के समक्ष उचित पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किए जाने के निर्देश भी दिए हैं। ताकि याचिका में उल्लेखित बातों के आलोक में याचिका का निपटारा किया जा सके। 

दलित अधिकार केन्द्र के निदेशक एडवोकेट सतीश कुमार के अनुसार जोधपुर उच्च न्यायालय के जस्टिस मेहता ने मामले को स्वतः संज्ञान के बाद राजस्थान हाईकोर्ट के महाधिवक्ता अनिल जोशी के तहत नोटिस भेजकर जिला कलेक्टर जोधपुर व पुलिस कमिश्नर को तलब किया था। दोनों अधिकारियों से न्यायालय रास्ता अवरुद्ध करने का कारण पूछा है।

यह भी टिप्पणी की

जस्टिस दिनेश मेहता ने कहा कि, "आज पूरा देश अयोध्या स्थित राम मंदिर का प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव मना रहा है। असली उत्सव तब होगा जब समाज भगवान 'राम' के आदर्शों और गुणों का सम्मान और अनुसरण करे और उन्हें एक आदर्श व्यक्ति "मर्यादा पुरुषोत्तम राम" के रूप में पूजा जाए।"

जस्टिस मेहता ने कहा कि कोर्ट आते समय देखा गया कि प्रशासन व कुछ लोगों ने झालामंड सर्किल एवं हाई कोर्ट की ओर जाने वाले पूरे रास्ते को बैरिकेड्स/बैरियर लगाकर बंद कर दिया है। मुख्य राजमार्ग सड़क है जो मुख्य शहर को उच्च न्यायालय, न्यायिक अकादमी तथा पाली व सिरोही आदि से जोड़ती है, पूरी तरह से जाम लग गया है। इससे अराजक स्थिति उत्पन्न हो गयी है। इस तरह की रुकावट के कारण, कई वकीलों, उच्च न्यायालय के कर्मचारियों और यहां तक कि न्यायाधीशों के लिए समय पर उच्च न्यायालय पहुंचना मुश्किल ही नहीं असंभव था।

हालांकि न्यायालय ने आगे कहा कि, "प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव" के आगमन पर लाखों लोगों की भावनाओं से पूरी तरह जुड़ते हुए इस न्यायालय का मानना है कि सड़क, विशेष रूप से उच्च न्यायालय को जोड़ने वाली सड़क को अवरुद्ध करना, न्याय प्रशासन में हस्तक्षेप के समान है। यह विडंबना है कि जहां भगवान 'राम' ने लंका तक पहुंचने के लिए एक पुल बनाया था, वहीं लोगों ने रास्ता अवरुद्ध कर दिया, जिसके परिणामस्वरूप पूरी तरह से सड़क अवरुद्ध हो गई और गतिरोध पैदा हो गया।

इस दौरान न्यायालय ने पुलिस आयुक्त और जिला कलेक्टर नोटिस जारी कर पूछा था कि क्या ये बाधाएं प्रशासन द्वारा स्थापित की गई हैं। क्या ऐसा करने के लिए कोई अनुमति दी गई थी। इस दौरान न्यायालय ने अतिरिक्त महाधिवक्ता अनलि जोशी को पुलिस आयुक्त और जिला कलेक्टर को तत्काल अदालत में उपस्थित रहने, अदालत की चिंता का जवाब देने और बाधाओं को हटाने और सार्वजनिक उपयोग के लिए सड़क खोलने के लिए प्रस्तावित कार्रवाई के बारे में जवाब देने के लिए न्यायालय में हाजिर होने के निर्देश दिए गए।  

न्यायालय के नोटिस पर जिला कलक्टर जोधपुर गौरव अग्रवाल व पुलिस आयुक्त जोधपुर रवि दत्त गौड़ न्यायालय के समक्ष हाजिर हुए। न्यायालय ने पूछा कि संबंधित मुख्य सड़क से अवरोध हटाने की क्या कार्रवाई की गई। इस पर जवाब दिया कि सुचारू यातायात संचालन के लिए झालामंड सर्कल और संबंधित सड़क को खोल दिया गया है। इस पर न्यायालय ने कहा कि जिला कलेक्टर और पुलिस आयुक्त को यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देशित किया जाता है कि भविष्य में किसी भी 'जुलूस', 'धरना' और धार्मिक समारोहों के नाम पर सड़कों, विशेष रूप से उच्च न्यायालय की ओर जाने वाली सड़क को अवरुद्ध न किया जाए।

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