जीव प्रेम के लिए मशहूर इस राज्य में क्यों मर रहे हैं इतने पंछी, पढ़िए राजस्थान से ये रिपोर्ट!

बीकानेर में एक साथ 25 मोरों की मौत का मामला सुर्ख़ियों में, कौए, तीतर, कबूतर व चिडिय़ा भी बनी शिकार, वन विभाग ने अभी तक नहीं की एफआईआर
बीकानेर में 25 मोरों सहित 39 पक्षियों की संदिग्ध मौत का मामला उजागर होने से वन्य जीव प्रेमियों में आक्रोश है.
बीकानेर में 25 मोरों सहित 39 पक्षियों की संदिग्ध मौत का मामला उजागर होने से वन्य जीव प्रेमियों में आक्रोश है.

बीकानेर- राजस्थान के बीकानेर जिले के श्रीडूंगरगढ़ वन क्षेत्र में एक साथ दो दर्जन से अधिक राष्ट्रीय पक्षी मोरों की मौत का बड़ा मामला सामने आया है। घटना 20 जनवरी की है, लेकिन वन अधिकारी सोमवार तक भी मोरों की मौत के कारणों का खुलासा नहीं कर पाए हैं। इससे वन एवं वन्य जीव प्रेमियों में आक्रोश है। बीकानेर में 25 मोरों सहित 39 पक्षियों की संदिग्ध मौत के बाद जीव रक्षा संस्था बीकानेर जिला अध्यक्ष मोखा राम विश्नोई ने उच्च वन अधिकारियों को पत्र लिख कर राष्ट्रीय पक्षी मोरों की बड़ी तादाद में एक ही गांव में मौत पर नाराजगी जताते हुए खुलासे की मांग की है। 

मोखा राम विश्नोई ने द मूकनायक से बात करते हुए कहा कि श्रीडूंगरगढ़ वन क्षेत्र के अधीन मांकरासर गांव में 20 जनवरी को एक साथ 23 मोर मृत मिले। कई मोर अर्धचेतन अवस्था में मिले थे। इनमें से दो मोरों की और उपचार के दौरान मौत हो गई। मृत मारों के आस-पास कौए, चिडिय़ा, कबूतर व तीतर भी मृत अवस्था में मिले हैं। यह गंभीर मामला है। मोखराम ने कहा कि इस क्षेत्र में लगातार शिकार की घटनाएं सामने आती रही है। इसके बावजूद वन अधिकारी आंखे मूंदे बैठे हैं। 

ग्रामीणों का आरोप है कि इतनी बड़ी तादाद में मोर व अन्य पक्षियों की मौत के पीछे शिकारियों की करतूत हो सकती है, लेकिन वन अधिकारी शिकारियों को पकड़ने की बजाय ग्रामीणों के घरों में छानबीन कर रहे हैं। ग्रामीणों ने कहा कि शिकारियों ने विषैला दाना डालकर इन पक्षियों को मौत के घाट उतारा है। अब वन अधिकारी जानबूझ कर शिकारियों को बचाने का प्रयास कर रहे हैं। 

राष्ट्रीय पक्षी मोरों की बड़ी संख्या में मौत की सूचना पर मौके पर पहुंचे श्रीगूंगरगढ़ के कार्यवाहक क्षेत्रीय वन अधिकारी कपिल चौधरी ने मौके पर मिले 25 मोर, 8 कौए, एक कबूतर, एक चिडिय़ा व चार तीतरों के शव कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए बीकानरे चिडिय़ा घर के रेस्क्यु सेंटर भेजा है जहां मेडिकल बोर्ड के द्वारा सभी मृत पक्षियों का पोस्टमार्टम किया जा रहा है। पोस्टमार्टम के दौरान प्रारंभिक पड़ताल में सभी पक्षियों के विषैला पदार्थ खाने से मौत की जानकारी सामने आई है। सभी पक्षियों के मुंह से झाग निकल रहे थे। 

बीकानेर में 25 मोरों सहित 39 पक्षियों की संदिग्ध मौत का मामला उजागर होने से वन्य जीव प्रेमियों में आक्रोश है.
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उधर वन अधिकारियों का दावा है कि इस घटना के बाद उन्होंने गांव के लगभग 40 से 45 घरों में दबिश दी है। इन घरों में जहरीली दवाओं व जहरीले दाने की तलाशी ली गई है। एक घर से एक बोरी फंगस युक्त अनाज मिला है। वन कर्मियों ने पक्षियों को दाना चुगाने के लिए चिह्नित स्थानों से गेहूं व बाजरे के दोनों के सैंपल लेकर जांच के लिए भेजे हैं।  

वन अधिकारियों ने भी माना है कि  विषैला दाना खाने से मोरों की मौत हुई है। कौए, तीतर, कबूतर व चिडिय़ा भी मरे हैं। घटना के बाद वन कर्मी किसानों के खेतों में भी छानबीन कर रहे हैं कि कहीं किसी किसान ने चूहे मारने की दवाएं अपने खेतों में रखी हो और पक्षियों ने खा ली हो। या फिर किसी ने पेस्टीसाईड का स्प्रे फसल में किया हो। इसके प्रभाव से भी एक साथ इतने पक्षी मरने की बात से इनकार नहीं किया जा सकता है। 

इस घटना के बाद द मूकनायक ने श्रीडूंगर के रेंज के कार्यवाहक क्षेत्रीय वन अधिकारी कपिल चौधरी से बात की। चौधरी ने द मूकनायक को बताया कि यह सच है कि एक ही गांव में 25 मोर एक साथ मारे गए हैं। कौए, कबूतर, चिडिय़ा व तीतर भी मरे हैं। सभी का मेडिकल बोर्ड से पोस्टमार्टम करवाया गया है। उन्होंने कहा कि प्रथम दृष्टया विषैला दाना खाने से ही पक्षियों की मौत होने की बात सामने आई है। यह किसी ने जानबूझकर किया है या अनजाने में इसकी जांच कर रहे हैं। अभी तक इस संबंध में वन विभाग द्वारा एफआईआर दर्ज नहीं करना भी अधिकारियों की कार्यशैली पर सवालिया निशान लगाता है। 

जीव रक्षा संस्था बीकानेर जिला अध्यक्ष का कहना है कि इतनी संख्या में मोरों की एक साथ बलि  दे दी गई, लेकिन वन विभाग के कान पर जूं तक नहीं रेंगी। हम चाहते हैं कि विभाग इस घटना की उच्च स्तरीय जांच करे व दोषियों को पकड़ कर कड़ी सजा दी जाए। मौके पर मिले साक्ष्य बता रहे हैं कि यह घटना जानबूझ कर कारित की गई है। वन विभाग इसे भी दबाने का प्रयास कर रहा है। 

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