फॉलोअप: प्रदर्शन कर रही वीरांगनाओं की तबीयत बिगड़ी, अस्पताल में भर्ती

सीएम अशोक गहलोत ने कहा — नहीं मार सकते शहीदों के बच्चों का हक, परिवार के दूसरे सदस्यों के लिए अनुकम्पा नौकरी की मांग गैर वाजिब
अस्पताल में भर्ती वीरांगना
अस्पताल में भर्ती वीरांगना

जयपुर। बीते एक सप्ताह से अधिक समय से विभिन्न मांगों को लेकर जयपुर में धरना दे रही वीरांगनाओं का शुक्रवार को स्वास्थ्य खराब होने के बाद उन्हें अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। हालांकि परिजनों का आरोप है कि वीरांगनाओं का स्वास्थ्य ठीक है। राजस्थान पुलिस ने उन्हें नजरबन्द कर दिया है।

द मूकनायक को राधेश्याम गुर्जर (शहीद जीतराम के पिता) ने कहा कि शहीद की पत्नी सुंदरी, बेटी सुमन व देवर विक्रम का स्वास्थ्य बिल्कुल ठीक है। उन्हें नगर के अस्पताल में बैठा रखा है। मुझे भी बड़ी मुश्किल से मिलने दिया। मैंने बहु, पोती व बेटे को घर ले जाने को कहा तो पुलिस ने साथ नहीं भेजा। उन्हें नजरबंद किया गया है।

राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा को गिरफ्तार कर ले जाती पुलिस
राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा को गिरफ्तार कर ले जाती पुलिस

इधर, वीरांगनाओं को रात के अंधेरे में धरना स्थल से हटाने का मामला सामने आने के बाद प्रदर्शन कर रहे डॉ. किरोड़ी लाल मीणा को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। गिरफ्तारी के बाद स्वास्थ्य बिगड़ने पर मीणा को जयपुर के एसएमएस हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है। मीणा के समर्थकों ने पूर्वी राजस्थान में दौसा में आगरा-जयपुर हाइवे, सवाईमाधोपुर में कोटा-लालसोट मेगा हाइवे, गंगापुर सिटी-लालसोट व गंगापुर सिटी-करौली सड़क मार्ग जाम कर दिया।

मुख्यमंत्री के ट्वीट से हलचल, केंद्र को तथ्यात्मक रिपोर्ट भेजने की मांग

आपको बता दें कि अपने बच्चों की जगह देवरों के लिए सरकारी नौकरी की मांग के साथ वीरांगनाओं के आंदोलन के बीच, सीएम अशोक गहलोत ने सोशल मीडिया के माध्यम से रिश्तेदारों के लिए नौकरी की मांग को अनुचित बता चुके हैं।

सीएम ने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा के कुछ नेता शहीदों की विधवाओं का इस्तेमाल अपने राजनीतिक लाभ के लिए कर रहे हैं और उनका अपमान कर रहे हैं। उन्होंने यह भी लिखा कि यह राजस्थान की परंपरा कभी नहीं रही और मैं इसकी निंदा करता हूं।

अशोक गहलोत का ट्वीट
अशोक गहलोत का ट्वीट

शहीद हेमराज मीणा की श्रद्धांजलि के रूप में दो स्मारक पहले ही बनाए जा चुके हैं, हालांकि उनकी पत्नी तीसरी प्रतिमा की मांग कर रही हैं, जिसे सरकार अन्य शहीदों के परिवारों को देखते हुए अनुचित मानती है।

शहीद परिवारों के लिए मुआवजा पैकेज

गहलोत ने कहा कि केंद्र शहीदों के लिए 66 लाख रुपए की अनुग्रह राशि देता है, राजस्थान सरकार एक मुआवजा पैकेज प्रदान करती है जो पत्नी, माता-पिता और बच्चे सहित पूरे परिवार के हितों को कवर करती है। राज्य सरकार विधवा को 25 लाख नकद और 25 बीघा जमीन या हाउसिंग बोर्ड द्वारा निर्मित घर देती है। यदि परिवार को जमीन या मकान नहीं मिलता है तो अतिरिक्त 25 लाख रुपए की सहायता दी जाती है। राज्य शहीदों के बच्चों, बेटी या बेटे को अनिवार्य अनुकम्पा आधार पर रोजगार भी प्रदान करता है। यदि शहीद की पत्नी गर्भवती है या उसका एक नाबालिग बच्चा है, तो बच्चे के परिपक्व होने तक नौकरी आरक्षित रहती है। माता-पिता के लिए, सरकार 5,00,000 रुपए प्रदान करती है जो बैंक में जमा किया जाता है और ब्याज शहीदों के माता-पिता को पेंशन के रूप में जाता है। बलिदान के लिए श्रद्धांजलि के रूप में, किसी भी सार्वजनिक भवन या स्थान जैसे स्कूल, अस्पताल या पार्क आदि का नाम शहीद के नाम पर रखा जाता है।

अस्पताल में भर्ती वीरांगना
राजस्थान: पुलवामा हमले की वीरांगनाओं से किए वादों को सरकार भूली! ग्राउंड रिपोर्ट..

मुख्यमंत्री ने कहा कि राजस्थान वीरों की भूमि है, जहां के हजारों सैनिकों ने मातृभूमि के लिए अपना बलिदान दिया है। यहां की जनता एवं सरकार शहीदों का सबसे अधिक सम्मान करती है। कारगिल युद्ध के दौरान मैं स्वयं राजस्थान के 56 शहीदों के घर जाकर उनके परिवार के दुख में शामिल हुआ। ये मेरे भाव जो मैं आपके समक्ष रख रहा हूं। वही मैंने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह एवं कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ भी साझा किए हैं।

अशोक गहलोत ने कहा कि सरकार ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को मुआवजे के पैकेज के बारे में एक तथ्यात्मक रिपोर्ट सौंपी है, जो राज्य पहले ही शहीद परिवारों को मौजूदा नियमों का पालन करते हुए दे चुका है। ऐसे में वीरांगनाओं की मांगे गैर वाजिब हैं।

अस्पताल में भर्ती वीरांगना
पुलवामा अटैक में शहीद सैनिकों की वीरांगनाओं से किये सरकारी वादे चार साल बाद भी अधूरे

आपको बता दें कि जम्मू कश्मीर के पुलवामा अटैक में शहीद सैनिकों से 4 वर्ष पूर्व किए सरकारी वादों में से कुछ आज तक भी अधूरे है। इन अधूरे वादों को पूरा करने की मांग को लेकर राजस्थान सरकार व वीरांगनाओं के बीच गतिरोध बना है।

इसमें से शहीद रोहितास लाम्बा की वीरांगना मंजू जाट व शहीद जीतराम की वीरांगना अपने देवर के लिए सरकारी नौकरी मांग कर रही है, जबकि कोटा जिले के सांगोद निवासी शहीद हेमराज मीणा की वीरांगना मधुबाला सांगोद कस्बे में अदालत चौराहे पर शहीद पति की तीसरी प्रतिमा लगवाना चाहती हैं।

इस बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शहीदों के नाबालिग बच्चों की जगह देवरों के लिए सरकारी नौकरी देने की वीरांगनाओं की मांग को गैर वाजिब करार देते हुए देश भर में नई बहस छेड़ दी है।

आपको बता दें कि राजधानी जयपुर में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मिलकर अधूरे वादों को पूरा करवाने की मांग के साथ पुलवामा में शाहिद हुए राजस्थान के 5 में से 3 शहीदों की वीरांगनाएं आंदोलन कर रही हैं।

सीएम से मुलाकात की जिद में कई दिनों से जयपुर में पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के आवास के बाहर धरना देकर बैठी वीरांगनाओं को पुलिस ने गुरुवार देर रात धरना स्थल से स्वास्थ्य खराब होने का हवाला देकर हटा दिया।

सूत्रों की माने तो पुलिस वीरांगनाओं को इनके गांव लेकर गई। जहां मंजू जाट व दूसरी वीरांगना सुंदरी देवी की तबीयत बिगड़ने पर इन्हें इनके गांवों के पास के सरकारी अस्पतालों में उपचार के लिए भर्ती कराया गया है।

राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा की तबीयत गिरफ्तारी के बाद बिगड़ी
राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा की तबीयत गिरफ्तारी के बाद बिगड़ी

उधर वीरांगनाओं को सामोद पुलिस थाना इलाके में किसी स्थान पर रखने की सूचना पर राज्यसभा सांसद डॉ. किरोड़ी लाल मीणा भी कार्यकर्ताओ के साथ इस क्षेत्र में पहुंचे। जहां पुलिस व सांसद में धक्का मुक्की हुई। दर्जनों कार्यकर्ताओं को पुलिस ने गिरफ्तार कर सेज पुलिस थाने की हवालात में बन्द कर दिया। उधर, सांसद को हिरासत में लेने के दौरान खींच तान में सांसद के कपड़े फट गए। बाद में अचेतवस्था में पुलिस ने सांसद को एसएमएस अस्पताल में भर्ती कराया है। सांसद ने पुलिस पर अभद्रता करने के आरोप लगाए हैं।

राज्यपाल कलराज मिश्र लिख चुके हैं पत्र

राज्यपाल कलराज मिश्र ने सीएम को पत्र लिखकर वीरांगनाओं की मांगों पर सहमति जताते हुए विधवाओं के मामले में अनुकम्पा विचार और सकारात्मक कार्रवाई की मांग की है। राज्यपाल ने कहा है कि एक कल्याणकारी राज्य होने के नाते शहीदों के परिवारों की देखभाल करना राज्य का कर्तव्य है।

मिश्रा ने यह भी स्वीकार किया कि राज्यसभा सांसद डॉक्टर किरोड़ी लाल मीणा के साथ शहीद विधवाओं मंजू जाट, सुंदरी और मधुबाला ने उनसे मुलाकात की और इच्छामृत्यु की मांग की, अगर राज्य उनकी मांगों को मानने के लिए तैयार नहीं है। राज्यपाल की सीएम को लिखी यह चिट्ठी सोशल मीडिया पर भी वायरल हुई है।

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