पुलवामा अटैक में शहीद सैनिकों की वीरांगनाओं से किये सरकारी वादे चार साल बाद भी अधूरे

सरकार ने नहीं सुनी तो जयपुर में धरने पर बैठी तीन वीरांगना।
धरना स्थल पर वीरांगनाएं
धरना स्थल पर वीरांगनाएंफोटो- अब्दुल माहिर, द मूकनायक

जयपुर। पुलवामा हमले में शहीद हुए सिपाहियों की तीन वीरांगना अपने हक अधिकार की मांग के साथ तीन दिन से जयपुर में सरकार के समक्ष धरने पर बैठी हैं। इनमें से दो के साथ चार-चार साल के मासूम बच्चे भी धरना स्थल पर सरकार से अपने पिताओं की शाहदत के बाद किए गए सरकारी वादे के मुताबिक मांग कर रहे हैं, लेकिन सरकार सुनने को तैयार नहीं है।

आपको बता दे कि, 14 फरवरी 2019 को जम्मू कश्मीर में सीआरपीएफ के काफिले पर पुलवामा में अटैक की चौथी बरसी पर 14 फरवरी 2023 को राजस्थान के 5 शहीदों की वीरांगनाओं व परिजनों से बात कर द मूकनायक ने उनका दर्द जाना था। वीरांगनाओं से बातचीत के बाद द मूकनायक ने सरकारी मशीनरी की खामियों के साथ ही सिपाहियों की शहादत पर राजनेताओं की कथनी - करनी को भी उजागर किया था।

धरना स्थल पर वीरांगनाएं
राजस्थान: पुलवामा हमले की वीरांगनाओं से किए वादों को सरकार भूली! ग्राउंड रिपोर्ट..

14 फरवरी को द मूकनायक में खबर प्रकाशन के बाद इस दिन कुछ लोगों ने मोमबत्तियां जला कर शहीदों को श्रद्धांजलि देकर हमदर्दी भी जताई, लेकिन शहीदों के परिवारों की समस्या समाधान के लिए सरकार पर किसी ने भी सवाल नहीं किया। नतीजतन अब वीरांगनाएं घर छोड़ खुद सरकार से आपके अधिकारों की मांग करने धरने पर बैठी हैं, लेकिन अभी तक कोई भी सरकार का प्रतिनिधि इनसे बात करने को तैयार नहीं है।

पुलवामा अटैक में राजस्थान के 5 शहीदों की शाहदत के समय वीरांगनाओं के पास पहुंच कर इनसे हमदर्दी जताकर देशभक्ति का जज्बा दिखाने वाले मंत्री व विधायक अब वीरांगनाओं व इनके बच्चों से आंख मिलाने से भी कतरा रहे हैं। इन वीरांगनाओं व इनके मासूम बच्चों की आवाज को सरकार के मुखिया तक पहुंचाने से भी बचा जा रहा है। आखिर क्यों? इसका जवाब किसी के पास नहीं है।

पुलवामा अटैक में शहीद हुए 40 जवानों के साथ राजस्थान की राजधानी जयपुर से 50 किलोमीटर दूर शाहपुरा तहसील के गोविन्दपुरा निवासी रोहितास लांबा की भी शहादत हुई थी।

शहीद रोहितास की वीरांगना मंजू जाट भी 28 फरवरी से अपने 4 साल के बेटे ध्रुव लांबा के साथ शहीद स्मारक पर धरना देकर बैठी हैं। मंजू राजस्थान की अन्य वीरांगनाओं के साथ मुख्यमंत्री से मिलकर अपना हक मांगना चाहती है, लेकिन कोई भी उन्हें मुख्यमंत्री से मिलवा नहीं रहा है। द मूकनायक ने गुरुवार को वीरांगना मंजू जाट से बात की तो उन्होंने कहा कि जब तक मुख्यमंत्री से मुलाकात नहीं होती वह शहीद स्मारक पर बैठी हैं।

मंजू ने द मूकनायक से बात करते हुए कहा कि मेरे पति देश की रक्षा करते शहीद हुए। उनकी शहादत के समय मंत्री व विधायक हमारे घर पहुंचे थे। हमने इनसे कुछ नहीं मांगा था। वीरांगना मंजू कहती है कि इन्होंने खुद आगे से उनके परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की बात कही थी। इसके अलावा गांव में ढाई सौ मीटर पक्की सड़क व शहीद स्मारक की चार दीवारी की बात कही थी। 4 साल बीत गए, लेकिन एक भी मांग पूरी नहीं हुई।

उन्होंने द मूकनायक से बात करते हुए कहा कि उनके पास धरना स्थल पर राजस्थान के सैनिक कल्याण मंत्री राजेन्द्र गुढ़ा भी आए थे। मंत्री ने मुख्यमंत्री से मुलाकात करवाने व मांगे मनवाने के लिए 20 दिन का समय मांगते हुए धरना समाप्त करने की बात कही है। वीरांगना कहती है जिस सरकार के मंत्री 4 साल में एक भी वादा पूरा नहीं कर सके अब 20 दिन में कैसे पूरा कर देंगे, मैं कैसे भरोसा कर सकती हूं? जब तक मांग पूरी नहीं होगी तब तक धरना स्थल पर बेटे के साथ बैठी रहूंगी।

यह भी बैठी हैं धरने पर

पुलवामा अटैक शहीद हुए रोहितास लांबा की वीरांगना मंजू जाट, 4 साल का बेटा ध्रुव लाम्बा व शहीद रोहितास का भाई जितेंद्र सिंह लाम्बा के साथ के कोटा के सांगोद निवासी शहीद हेमराज मीणा की वीरांगना मधुबाला मीणा अपने शहीद पति की प्रतिमा सांगोद अदालत चौराहे पर लगवाने की मांग के साथ तथा भरतपुर जिले की नगर तहसील के गांव सुंदरावली निवासी शहीद जीतराम गुर्जर की वीरांगना अपनी 4 साल की बेटी सुमन के साथ शाहदत के समय सरकार द्वारा किये वादों को पूरा करने की मांग के साथ धरना स्थल पर बैठी हैं।

राजसमंद के बिनोल गांव निवासी नारायण गुर्जर भी पुलवामा हमले में शहीद हुए थे। अत्येष्टि में शामिल हुईं तत्कालीन मंत्री किरण माहेश्वरी ने शहीद के नाम पर उपवन बनाने का वादा किया था। इसके लिए वनविभाग ने जमीन भी आवंटित की थी, लेकिन आज तक उपवन नहीं बन पाया है। हालांकि शहीद नारायण गृर्जर की वीरांगना धरना स्थल पर नहीं पहुंची हैं।

मुख्यमंत्री सचिव आरती डोगरा से मिलते वीरांगनाएं
मुख्यमंत्री सचिव आरती डोगरा से मिलते वीरांगनाएं

मुख्यमंत्री की सचिव आरती डोगरा से भी की मुलाकात

शहीद रोहितास लाम्बा के भाई जितेंद्र सिंह लाम्बा ने बताया कि धरना देकर बैठी वीरांगनाओं ने मुख्यमंत्री की सचिव आरती डोगरा से भी मुलाकात कर एक बार मुख्यमंत्री से मुलाकात का आग्रह किया है। इन्होंने भी नेताओं की तरह सीएम से मुलाकात करवाने व मांगो को पूरा करने के लिए समय मांगा है। जितेंद्र कहते है कि हम वीरांगनाओं के साथ सीएम से मुलाकात के लिए सरकार के दरवाजे पर बैठे हैं, लेकिन कोई सीएम से मिलने नहीं दे रहा है। सरकार वीरांगनाओं की बात सुनने से क्यों बच रही है। यह समझ से परे है। या फिर सरकार स्पष्ट करे कि राजस्थान में देश की रक्षा के लिए प्राणों की आहुति देने वालों के परिवार के लिए कोई योजना नहीं है।

सैनिक कल्याण मंत्री गुढ़ा ने कलक्टरों पर मढ़ा दोष

राजस्थान में शहीद से सैनिकों के परिवारों की मदद को लेकर विधानसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में सैनिक कल्याण मंत्री राजेन्द्र गुढ़ा ने कलक्टरों पर शहीद के परिवारों की मदद नहीं करने का आरोप जड़ दिया। मंत्री ने कहा कि पिछले तीन सालों में 34 जवान शहीद हुए हैं। शहीद परिवारों की सहायता से सम्बंधित 23 प्रकरण लंबित चल रहे हैं। यह प्रकरण कलक्टरों के पास लंबित है। अन्य विभागों में भी मामले अटके हुए हैं। खास बात यह है कि यहा मंत्री ने तीन साल के आंकड़े रखे गए हैं। जबकि जयपुर में धरना देकर बैठे शहीद परिवारों की मांगे 4 साल से लम्बित है। सरकार के अधिकारी व मंत्री शहीद परिवारों की समस्या समाधान को लेकर बस एक बात कहते हैं कि जल्द हो जाएगा, लेकिन डेडलाइन नहीं बताते।

डॉ. किरोड़ी लाल मीणा भी बैठे हैं वीरांगनाओं के साथ धरने पर

भाजपा से राज्यसभा सांसद डॉ. किरोड़ी लाल मीणा भी जयपुर शहीद स्मारक पर शहीदों की वीरांगनाओं के साथ 28 फरवरी से धरना दे रहे हैं। डॉ. किरोड़ी ने वीरांगनाओं के साथ मुख्यमंत्री से मिलने का प्रयास किया तो राजस्थान पुलिस ने इनके साथ धक्का मुक्की कर हिरासत में भी किया था।

यह है हकीकत

जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए आतंकी हमले में शहीद 40 सैनिकों में 5 राजस्थान से थे। घटना के तुरंत बाद केन्द्र व राज्य सरकार के प्रतिनिधियों ने शोक संतप्त परिजनों से मिलकर कई वादे किए थे, जिनमें से कुछ अब तक पूरे नहीं हुए हैं। शहादत के समय राज्य सरकार के मंत्रियों ने सैनिकों की अंत्येष्टि में पहुंच कर देशभक्ति का जज्बा दिखाते हुए बड़े-बड़े वादे किए थे। 2019 से 2023 हो गया। पूरे चार साल बाद भी वीरांगनाओं से किए वादों को पूरा नहीं किया गया है।

ज्ञात हो, पुलवामा हमले के समय काफिले में करीब 78 गाड़ियां थीं। जिनमें 2500 से ज्यादा जवान मौजूद थे। आतंकियों ने जिस बस को टारगेट बनाया था, उसमें 40 जवान मौजूद थे। आतंकी ने 350 किलो विस्फोटक से लदे वाहन को बस से भिड़ा दिया था, जिससे हुए ब्लास्ट में वाहन पर सवार सभी सैनिक शहीद हो गए थे।

घटना के बाद प्रधानमंत्री से लेकर देश भर के नेताओं व राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने दुःख प्रकट करते हुए देश के लिए प्राण न्योछावर करने वाले शहीदों के परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए विशेष पैकेज देने की घोषणा की थी और तमाम वादे किए थे।

यह जवान भी हुए थे शहीद

आतंकियों के इस कायराना हमले शहीद होने वाले जवानों में अजीत कुमार आजाद, प्रदीप सिंह यादव, कौशल कुमार रावत, महेश कुमार, प्रदीप कुमार, रमेश यादव, श्याम बाबू, अमित कुमार, विजय मौर्य, पंकज त्रिपाठी, अवधेश यादव, राम वकील (उत्तर प्रदेश), रतन कुमार ठाकुर, संजय कुमार सिन्हा (बिहार), विजय सोरेंग (झारखंड), वसंत कुमार वीवी (केरल), सुब्रमण्यम जी (तमिलनाडू), मनोज कुमार बेहरा, पीके साहू (ओडिशा), जीडी गुरु एच (कर्नाटक), संजय राजपुत (महाराष्ट्र), मनिंदर सिंह अत्री, कुलविंदर सिंह, जयमाल सिंह, सुखजिंदर सिंह (पंजाब), तिलक राज (हिमाचल प्रदेश), बबलू संत्रा (बंगाल), वीरेंद्र सिंह, मोहन लाल (उत्तराखंड), मानेसर बसुमत्री (असम) शामिल थे।

धरना स्थल पर वीरांगनाएं
राजस्थान: धड़ल्ले से बिक रहा है 10 साल पहले बैन हुआ एंडोसल्फान!

द मूकनायक की प्रीमियम और चुनिंदा खबरें अब द मूकनायक के न्यूज़ एप्प पर पढ़ें। Google Play Store से न्यूज़ एप्प इंस्टाल करने के लिए यहां क्लिक करें.

Related Stories

No stories found.
The Mooknayak - आवाज़ आपकी
www.themooknayak.com