अंधविश्वास: महिला पर भूत का साया बताकर तांत्रिक ने हाथों में रखे अंगारे!

राजस्थान के झुंझुनूं जिले के खेतड़ी गांव का मामला, महिला के दोनों हाथ झुलसे, पुलिस ने दर्ज की रिपोर्ट
अंधविश्वास: महिला पर भूत का साया बताकर तांत्रिक ने हाथों में रखे अंगारे!

जयपुर। 21वीं सदी में जहां एक ओर दूसरे ग्रहों पर जीवन की तलाश की जा रही है और मानव बस्ती बसाने के सपनों को साकार करने के क्रम में काम किया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर भारत का ग्रामीण अंचल अंधविश्वास के मकड़जाल में उलझा हुआ है।

ताजा मामला राजस्थान के झुंझुनू जिले के खेतड़ी गांव से सामने आया है। जहां एक तांत्रिक ने महिला के शरीर से भूत निकालने के नाम पर हाथों में जलते अंगारे रख दिए। अंगारों की आग से पीड़ित महिला के दोनों हाथ झुलस गए। हादसे के बाद पीड़िता ने पुलिस में शिकायत की बात कही तो आरोपी तांत्रिक ने तंत्र विद्या से पूरे परिवार को भष्म करने का भय बिठा दिया। घटना के एक महीने बाद इस संबंध में खेतड़ी नगर पुलिस थाने में तांत्रिक व उसके भाई के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।

घटना को लेकर गुडा गोडजी गांव की रहने वाली पीड़िता मोनिका कुमावत 14 फरवरी को अपने पति विनोद कुमावत के साथ खेतड़ी नगर पुलिस थाने पहुंची। जहां उसने लिखित रिपोर्ट पेश कर बताया कि 17 जनवरी को वह अपने पति के साथ खेतड़ी नगर पुलिस थाना इलाके के बडाउ गांव के बालाजी मंदिर मात टेकने गए थे। पुलिस के अनुसार मोनिका ने रिपोर्ट में कहा कि वहां के रमेश सैनी व रोहिताश सैनी नाम के पुजारी ने मेरे पति को बाहर खड़े होने को कहकर मुझे अंदर ले गए। आरोपियों ने मंदिर के हॉल में ले जाकर पीड़िता के अंदर भूत प्रेत बताकर दोनों हाथों में जलते हुए अंगारे रख दिए। महिला के रोने व चीखने की आवाज सुनकर बाहर खड़ा पति अंदर आया। पति महिला को झुलसी अवस्था में अस्पताल लेकर गया। जहां इलाज के बाद दम्पति पुजारियों को इस हरकत का उलहाना देने गए तो आरोपी दम्पति को तंत्र विद्या से जान से मारने की धमकी देने लगे। आरोपी ने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि वो रहा पुलिस थाना वो रहा कोर्ट जो करना है कर लो।

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द मूकनायक ने पीड़ित महिला के पति विनोद कुमावत से पूछा कि आखिर घटना के समय एफआईआर दर्ज नहीं करवा कर एक महीने बाद क्यों पुलिस थाने पहुंचे? इस पर विनोद कुमावत कहते हैं कि उस वक्त तांत्रिकों ने पहले तो धमकाया। फिर हमें पैसों का लालच दिया। जब हमने तांत्रिक के दोनों प्रयासों को नहीं माना तो उन्होंने बडाउ गांव के बुजुर्गों को आगे कर चुप रहने के लिए सामाजिक दबाव बनाया। समाज के बुजुर्गों की बात पर पुलिस कार्रवाई नहीं की।

विनोद ने आगे कहा कि अब बीते कुछ दिनों से तांत्रिक मेरी पत्नी को फोन कर धमकियां दे रहा था। तांत्रिक से धमकी नहीं देने के लिए समझाइश की तो फिर से पूरे परिवार को तंत्र विद्या से भष्म करने की धमकी दे रहा था। इसलिए अब पुलिस की शरण ली है।

तांत्रिक के पास क्यों जाना पड़ा? पूछने पर विनोद कुमावत कहते हैं कि उसकी पत्नी लम्बे समय से बीमार थी। सर दर्द की शिकायत करती थी। उसे बातें भूलने की समस्या होने लगी थी। इसे लेकर उसका चिकित्सकीय इलाज भी चल रहा है। विनोद कहते हैं कि जनवरी महीने में शादी के बाद पहली बार पत्नी के साथ ससुराल बडाउ गांव गया था। वहां सासू मां ने कहा कि पत्नी के साथ जाकर बडाउ बालाजी के दर्शन करके आओ। मैं पत्नी के साथ बालाजी के मत्था टेकने गया तो यह घटना हुई।

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विनोद कहते हैं कि मंदिर में दर्शन करने सभी लोग जाते हैं। भगवान में सब की अपनी आस्था है, लेकिन धर्म की आड़ में ऐसे कुछ लोग गलत कर रहे हैं। हमारे साथ भी गलत हुआ है। अब पुलिस से न्याय की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि अभी तक पुलिस ने आरोपियों को नहीं पकड़ा है। स्थानीय पुलिस न्याय नहीं देगी तो उच्च अधिकारियों के पास भी जाएंगे।

घटना को लेकर खेतड़ी नगर थानाधिकारी अजय सिंह ने द मूकनायक से बात करते हुए कहा कि गुडा गोडजी की रहने वाली पीड़ित महिला मोनिका कुमावत 14 फरवरी मंगलवार को अपने पति विनोद कुमावत के साथ पुलिस थाने आई थी। पीड़िता ने 17 जनवरी को उसके साथ हुई घटना की लिखित रिपोर्ट दी है। मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

थानाधिकारी ने माना कि धर्म में आस्था अपनी जगह है, लेकिन यहां अंधविश्वास के कारण ही तांत्रिक ने पीड़िता को शारीरिक प्रताड़ना दी है। एसएचओ ने कहा कि पीड़ित महिला के हाथ अभी तक जले हुए हैं। महिला का मेडिकल करवाया है। रिपोर्ट आने के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो पाएगी। आरोपी तांत्रिक से भी पूछताछ के लिए पुलिस उसके ठिकाने पर गई थी, लेकिन दोनों भाई नहीं मिले।

अगस्त की इस घटना को नहीं भूल पाए लोग

झुंझुनूं जिले के स्थानीय पत्रकार विकास पारीक खत्री कहते हैं कि खेतड़ी नगर इलाके में अंधविश्वास में महिला के हाथों को जलते अंगारों से जलाया गया है। यह दर्दनाक है। उन्होंने कहा कि इससे पूर्व राजस्थान के ही डूंगरपुर जिले में अगस्त 2022 में घटित दिल दहला देने वाली घटना को लोग अभी तक नहीं भूल पाए हैं। आपको बता दें कि डूंगरपुर जिले के चितरी थाना क्षेत्र झिंझवा फला गांव में दशा माता की पूजा के दौरान 14 साल की लड़की ने अपनी ही 7 साल की भतीजी पर तलवार से ताबड़तोड़ वार कर गर्दन काट दी थी, जिससे 7 वर्षीय लड़की की मौत हो गई थी। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार 14 साल की किशोरी को माता का पर्चा आया था। इसी को लेकर दशा माता की पूजा करवाई गई थी। पूजा के दौरान तलवार भी रखी गई थी। इसी तलवार से वार कर वारदात को अंजाम दिया गया था।

अंधविश्वास फैलाने को लेकर कानून क्या है?

सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता मुकेश कुमार ने बताया कि भारत में अभी अंधविश्वास को लेकर कोई विशेष केंद्रीय कानून नहीं है। साल 2016 में लोकसभा में डायन-शिकार निवारण विधेयक लाया गया था, लेकिन यह पारित नहीं हुआ था। हालांकि, अलग-अलग कानून हैं, जिसके जरिए इसपर रोक लगाने का काम हो सकता है।

अगर अंधविश्वास के चलते किसी की हत्या होती है तो आरोपी के खिलाफ आईपीसी (भारतीय दंड संहिता) की धारा 302 (हत्या की सजा) के तहत कार्रवाई होती है। इसी तरह धारा 295। ऐसी प्रथाओं को हतोत्साहित करती है। इसके अलावा अजूबा या दिव्य तरीके से किसी बीमारी के इलाज का दावा करने वालों पर ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज एक्ट, 1954 के तहत कार्रवाई का प्रावधान है। इसके जरिए भी अंधविश्वास पर रोक लगाने का काम होता है।

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किन-किन राज्यों ने बनाया है कानून?

अभी बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा, राजस्थान, असम, महाराष्ट्र और कर्नाटक में अंधविश्वास को रोकने के लिए कानून बना है। बिहार पहला राज्य था जिसने जादू-टोना रोकने, एक महिला को डायन के रूप में चिह्नित करने और अत्याचार, अपमान तथा महिलाओं की हत्या को रोकने हेतु कानून बनाया था। इसे द प्रिवेंशन ऑफ विच (डायन) प्रैक्टिस एक्ट नाम दिया गया और अक्तूबर 1999 से ये प्रभाव में है।

महाराष्ट्र में भी लंबे समय तक चले आंदोलन के बाद इसपर कानून बना। 2013 में महाराष्ट्र मानव बलि और अन्य अमानवीय कृत्य की रोकथाम एवं उन्मूलन अधिनियम पारित किया गया। इसके जरिए राज्य में अमानवीय प्रथाओं तथा काला जादू आदि को प्रतिबंधित किया गया।

आंकड़े क्या कहते हैं?

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो यानी एनसीआरबी के आंकड़े बताते हैं कि जादू-टोने के चलते पिछले दस साल में एक हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो गई। 2012 से 2021 के बीच देशभर में 1,098 लोगों की मौत का कारण जादू-टोना ही था। अकेले 2021 में जादू टोने के मामलों में देशभर में कुल 68 हत्याएं हुईं। पिछले साल अक्तूबर में ही केरल के कोच्चि में जादू टोना के चक्कर में तांत्रिक मोहम्मद शफी ने दो महिलाओं की बलि दे दी थी। इस तरह के कई मामले सामने आ चुके हैं।

विशेषज्ञ क्या कहते हैं?

मनोवैज्ञानिक डॉ. प्रिया सारस्वत का कहना है कि आस्था अपनी जगह है और अंधविश्वास अपनी जगह। ईश्वर के प्रति आस्था से आप मजबूत होते हैं, लेकिन अगर उनके नाम पर कोई आपको अलौकिक शक्तियों का दावा करे तो उससे दूर रहना चाहिए। बीमारी का इलाज विज्ञान से होता है। इसके लिए इलाज होता है। झाड़ फूंक करने से कोई ठीक नहीं होता है।

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