राजस्थान: चिकित्सक नहीं, फिर भी इस तरह से हो रहा है इलाज! ग्राउंड रिपोर्ट

राजस्थान के सवाईमाधोपुर जिले के सीएचसी में चिकित्सकों के सभी पद रिक्त, एक्स-रे मशीन व जांच की सुविधा भी उपलब्ध नहीं।
सवाईमाधोपुर जिले में मलारना डूंगर सीएचसी का मुख्य द्वार
सवाईमाधोपुर जिले में मलारना डूंगर सीएचसी का मुख्य द्वारफोटो- अब्दुल माहिर, द मूकनायक

जयपुर। राजस्थान की राजधानी जयपुर से 140 किलोमीटर दूर मलारना डूंगर (सवाईमाधोपुर) कस्बा स्थित है जो तहसील मुख्यालय भी है। आदिवासी बहुल इलाके में अल्पसंख्यक समुदाय की अच्छी खासी आबादी निवासरत है। कुल वोटर 77 हजार है, जिनकी चिकित्सा सुविधाओं की जिम्मेदारी 3 सामुदायिक चिकित्सा केन्द्र व 4 प्राथमिक चिकित्सा केन्द्र पर है। द मूकनायक की टीम ने गुरुवार को तहसील मुख्यालय पर स्थित सामुदायिक चिकित्सा केन्द्र का जायजा लिया तो हालात चौकाने वाले मिले। यहां चिकित्सकों के सभी स्वीकृत पद रिक्त मिले। मरीज इधर-उधर भटक रहे थे।

अस्पताल के बाहर पिछले दरवाजे की तरफ मरीज देखते अस्थाई चिकित्सक
अस्पताल के बाहर पिछले दरवाजे की तरफ मरीज देखते अस्थाई चिकित्सकफोटो- अब्दुल माहिर, द मूकनायक

7 किलोमीटर दूर फलसावटा गांव से 55 वर्षीय जलीस इलाज के लिए चिकित्सालय आए थे। उन्होंने द मूकनायक से कहा कि काफी देर से इन कमरों में चिकित्सक नहीं है। तलाश की तो एक चिकित्सक अस्पताल के बाहर पिछले दरवाजे की तरफ कुछ मरीजों को देखते मिले। द मूकनायक ने चिकित्सक से बात की तो उन्होंने बताया कि 25 किलोमीटर दूर स्थित सूरवाल गांव के सरकारी अस्पताल में पोस्टिंग है। आज ही कार्यव्यवस्था के तहत भेजा गया है। मुझे यहां के बारे में कोई जानकरी नहीं है। 

सामुदायिक चिकित्सा केन्द्र में चिकित्सक के लिए भटकते लोग
सामुदायिक चिकित्सा केन्द्र में चिकित्सक के लिए भटकते लोगफोटो- अब्दुल माहिर, द मूकनायक

33 दिन में 26 मरीज रेफर

अस्पताल प्रबंधन से मालूम करने पर पता चला कि इन दिनों कोई भी स्थायी चिकित्सक नहीं है। कार्यव्यवस्था के तहत दूर दराज के अस्पतालों से बदल-बदल कर चिकित्सक लगाए जाते हैं। इससे ओपीडी के बाद अस्पताल में इमरजेंसी में कोई भी चिकित्सक नहीं मिलता। चिकित्सकों के अभाव में कम्पाउंडर इमरजेंसी मरीजों के साथ ही सामान्य मरीजों को भी भर्ती करने के बजाय रेफर कर देते हैं। अस्पताल से मिले आंकड़ों के अनुसार 1 जनवरी 2023 से 2 फरवरी सुबह 11 बजे तक 33 दिन में 26 रोगियों को रेफर किया गया। वार्डों का जायजा लेने पर कोई मरीज भर्ती नहीं मिला।

अस्पताल में खुद का उपचार कराने आए युवक कांग्रेस के प्रदेश महासचिव अकरम बुनियाद ने द मूकनायक को बताया कि मलारना डूंगर मुस्लिम व आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है। यहां 1935 से राजकीय अस्पताल संचालित है। 1942 के प्राथमिक अस्पताल का पक्का भवन बना है। सीएचसी में क्रमोन्नत होने के बाद  4 करोड़ रुपए की लागत से नया भवन बनाया गया। अब भवन तो है, लेकिन चिकित्सा सुविधाएं नहीं है। 

अकरम बुनियाद, युवक कांग्रेस प्रदेश महासचिव
अकरम बुनियाद, युवक कांग्रेस प्रदेश महासचिवफोटो- अब्दुल माहिर, द मूकनायक

अकरम कहते हैं कि, "अस्पताल में एक्स-रे मशीन ताले में बन्द हैं। जब से अस्पताल नए भवन में शिफ्ट हुआ है यहां लोगों के एक्स-रे जांच नहीं हुई। जब यहां रेडियग्राफर कार्यरत था तो मशीन खराब थी। दो साल बाद नई एक्स-रे मशीन लगाई गई तो अधिकारियों ने रेडियोग्राफर का तबादला कर दिया। अब 6 महीने से नई एक्स-रे मशीन ताले में बन्द है।"

एक्स-रे कक्ष पर लटका ताला
एक्स-रे कक्ष पर लटका तालाफोटो- अब्दुल माहिर, द मूकनायक

मलारना डूंगर निवासी हाजी मतीन मिस्त्री कहते हैं कि "यह हमारी विडंबना है कि कांग्रेस शासन में लोग चिकित्सकों के अभाव में उपचार को तरस रहे हैं। राजनेताओं के दावे अपनी जगह है। धरातल की सच्चाई अपनी जगह है। चिकित्सा मंत्री परसादीलाल मीना 40 किलोमीटर दूर निवास करते हैं। उन्हें यहां आकर सच्चाई देखना चाहिए।"

हाजी मतीन मिस्त्री आगे कहते हैं कि, "यह बात भी सच है कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना, निशुल्क दवा वितरण योजना, मुख्यमंत्री निशुल्क जांच योजना चलाकर बेहतर काम किए हैं। इन योजनाओं से सभी वर्ग के लोग लाभान्वित भी हुए हैं। सरकार अपना काम कर रही है, लेकिन अधिकारी सरकार की मंशा के विपरीत काम कर सरकारी योजनाओं से आमजन को लाभान्वित होने से रोक रहे हैं। विशेष कर मुस्लिम व जनजाति बाहुल्य क्षेत्रों में इस तरह की परेशानी होती है।"

चिकित्सक के अभाव में मरीज भर्ती नहीं होने से खाली पड़ा वार्ड
चिकित्सक के अभाव में मरीज भर्ती नहीं होने से खाली पड़ा वार्डफोटो- अब्दुल माहिर, द मूकनायक

मलारना डूंगर के ही अनीस उर्फ कल्लू कहते हैं कि, "शिक्षा व चिकित्सा जैसी मूलभूत सुविधाएं सरकार की जिम्मेदारी है। मलारना डूंगर उपखण्ड क्षेत्र में 4 राजकीय प्राथमिक व 7 समुदायिक अस्पताल है। केवल मलारना डूंगर सीएचसी में एक्स-रे मशीन है। वह भी ताले में बन्द है। इतने बड़े उपखण्ड क्षेत्र में एक भी अस्पताल में एक्स-रे सुविधा नहीं होना सरकारी दावों की पोल खोलने को काफी है।"

"राजस्थान में मलारना डूंगर का राजकीय समुदायिक अस्पताल अकेला अस्पताल है। जहां एक भी स्थायी चिकित्सक नहीं है। 15 दिन पूर्व कस्बे में प्रभारी मंत्री भजन लाल जाटव ने जनसुनवाई की थी। इस दौरान ग्रामीणों ने अस्पताल में एक भी चिकित्सक नहीं होने की शिकायत की थी। इस पर मंत्री ने सात दिन में चिकित्सक लगाने की बात कही थी, लेकिन 15 दिन होने पर कोई चिकित्सक नहीं लगाया गया", स्थानीय निवासी अनीस ने द मूकनायक को बताया।

चिकित्सक का खाली कक्ष
चिकित्सक का खाली कक्षफोटो- अब्दुल माहिर, द मूकनायक

मुर्दा घर तक नहीं

पड़ताल करने पर मालूम हुआ कि मलारना डूंगर सीएचसी में मुर्दाघर तक नहीं है। ऐसे में लावारिश शवों को रखने में असुविधा होती है।

बता दें कि, मलारना डूंगर थाना क्षेत्र से कोटा-लालसोट मेगा हाईवे, भाड़ौती-मथुरा मेगा हाईवे व दिल्ली-मुम्बई रेल लाइन निकलती है। हाईवे व रेलवे ट्रैक पर हादसों में मौत के मामले अक्सर सामने आते हैं। पोस्टमार्टम के लिए पर्याप्त स्थान नहीं होने से असुविधा होती है। मलारना डूंगर थाना अधिकारी राजकुमार मीना कहते हैं कि कई बार लावारिश शव को रखने के लिए जगह नहीं मिलती। शवों को जिला मुख्यालय ले जाते हैं। ऐसे में सीएचसी परिसर में मुर्दाघर जरूरी है।

उपखण्ड अधिकारी किशन मुरारी मीना ने द मूकनायक से कहा कि, "यहां सीएचसी में स्थायी चिकित्सक नहीं है। इससे लोगों को परेशानी तो होती है।"

अस्पताल में चिकित्सकों की कमी को लेकर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. धर्मसिंह मीणा ने कहा कि "चिकित्सक लगाना सरकार का काम है, मेरा नहीं। मैं अपने स्तर पर दूसरे अस्पतालों से कार्यव्यवस्था के तहत चिकित्सक भेज रहा हूं। यह क्या कम है। चिकित्सक नहीं है तो नेताओं से बात करो। मैं कुछ नहीं कर सकता।"

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