राजस्थान: अंधविश्वास के चलते दो बच्चों को आग से दागा, बुरी तरह झुलसे बच्चे

भीलवाड़ा जिले का मामला, झाड़फूंक के चक्कर में नाना और दादा ने तांत्रिक के कहने पर बच्चों के साथ किया अमानवीय कृत्य
झुलसे बच्चे को अस्पताल में भर्ती किया गया
झुलसे बच्चे को अस्पताल में भर्ती किया गया

जयपुर। प्रदेश के विभिन्न जिलों से अंधविश्वास के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। गत दो महीने में केवल भीलवाड़ा जिले में अंधविश्वास में मासूमों को दगाने की सात घटनाएं सामने आ चुकी है। खास बात यह है कि इलाज के नाम पर मासूमों पर अमानवीय कृत्य करने वाले ज्यादातर उनके अपने हैं।

ताजा मामले में दो अलग-अलग गांवों में अंधविश्वास के चलते इलाज के नाम पर दो मासूम बच्चों को अपनो ने ही जलते अंगारे व गर्म तार से जला कर जख्म दे दिया। इनमे एक 8 माह का बच्चा व एक 11 साल की लड़की है। दोनों का जिले के महात्मा गांधी अस्पताल में उपचार चल रहा है।

आपको बता दें की उक्त दोनों अमानवीय घटनाओं को गम्भीरता से लेते हुए जिले की सीडब्ल्यूसी (बाल संरक्षण समिति) ने मामले की जांच शुरू की है। समिति सदस्यों ने गत सोमवार को अस्पताल पहुंच कर परिजनों व भर्ती 11 साल को लड़की के बयान लिए हैं।

यह है मामला

जानकारी के अनुसार, भीलवाड़ा जिले के आसींद थाना क्षेत्र के बदनोर के पास सुराज ग्राम में 11 वर्षीय बालिका के पेट में दर्द की शिकायत थी। बालिका के परिजनों ने चिकित्सकीय इलाज करवाने की बजाय किसी की सलाह पर अंधविश्वास में बालिका के पेट पर एक पेड़ के गर्म पत्ते बांध दिए। इससे पेट झुलस गया। काफी दिन बाद भी जब पेट ठीक नहीं हुआ तो परिजनों ने उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती कराया है।

इसी तरह इसी जिले के बेमाली करेड़ा गांव में 8 महीने के बच्चे को स्वांस लेने में तकलीफ हुई तो लोहे का तार गर्म कर पेट पर डाम (चिपका) लगा दिया। गर्म तार से पेट पर घाव हो गए। इससे बच्चे की तबियत बिगड़ने पर परिजनों ने महात्मा गांधी अस्पताल में भर्ती कराया है।

बयान किए दर्ज

भीलवाड़ा बाल संरक्षण समिति अध्यक्ष गिरीश पांडेय के निर्देश पर समिति सदस्य फारुख पठान ने अस्पताल पहुंच कर 11 वर्षीय बालिका, परिजन व 8 महीने के बच्चे की मां के बयान दर्ज किए हैं।

पठान ने अस्पताल में भर्ती बालिका के बयान दर्ज करने के बाद कहा कि 11 साल की लड़की के पेट में दर्द की शिकायत पर परिजनों ने चिकित्सक से इलाज कराने की बजाय टोने टोटकों पर विश्वास किया। कुछ दिन पूर्व दादा ने किसी पेड़ के पत्तों को आग पर गर्म कर अपनी पोती के पेट पर बांध दिए। पत्तों के साथ जलते हुए अंगारे भी पेट पर बन्ध गए। इससे पेट झुलस गया। जलने से गहरा घाव हो गया। इसके बाद भी परिजन तुरंत अस्पताल लेकर नहीं पहुंचे। जब लड़की की तबीयत ज्यादा बिगड़ने लगी तो अस्पताल लेकर आए।

इसी तरह 8 महीने के बच्चे को निमोनिया था। अस्पताल में उपचार करवाने की बजाय बच्चे के नाना ने लोहे की रॉड (तार) गर्म कर मासूम बच्चे के शरीर पर चिपका दिया। इससे मासूम असहनीय पीड़ा से बिलबिला उठा, लेकिन अंधविश्वासी नाना का दिल नहीं पसीजा। दो बार मासूम को गर्म तार से दागा गया। तबीयत बिगड़ी तो मां अस्पताल लेकर आई। पठान कहते हैं कि अस्पताल प्रबन्धन की सूचना पर बाल संरक्षण समिति ने इस मानवीय कृत्य पर संज्ञान लेकर जांच शुरू कर दी है।

परिजनों को किया पाबंद

बाल संरक्षण समिति ने प्रारम्भिक कार्रवाई करते हुए दोनों मासूम बच्चों के परिजनों को पुनः इस तरह का कृत्य नहीं करने तथा मासूम बच्चों को आग, पानी जैसी खतरनाक जगह से दूर रखने के लिए पाबंद किया है।

द मूकनायक से बाल संरक्षण समिति सदस्य फारुख पठान ने कहा कि दोनों बच्चों में खून की कमी है। उनकी सेहत स्थिर है। दोनों मासूमों को बाल संरक्षण समिति की निगरानी में उपचार चल रहा है।

फरवरी में 10 दिन में 5 डाम के केस

बाल संरक्षण समिति सदस्य फारूख पठान ने कहा कि भीलवाड़ा जिला अंधविश्वास के मामलों में प्रदेश में अग्रणी है। विशेषकर इलाज के नाम पर मासूम बच्चों को गर्म तार या लोहे की रोड से घाव देने के सर्वाधिक मामले भीलवाड़ा में सामने आते हैं। पठान ने कहा कि इसी वर्ष फरवरी महीने में भीलवाड़ा व चित्तौड़गढ़ में 10 दिन में 5 मासूम बच्चों को इलाज के नाम पर जख्म दिए गए। बाद में तबीयत बिगड़ने पर अस्पताल में भर्ती कराया गया। ज्यादातर मामलों में परिजन ही अपने बच्चों के साथ इस तरह की बर्बरता करते हैं।

बाल संरक्षण समिति के अनुसार 2019-20 में समिति सदस्यों ने जागरूकता अभियान शुरू किया था। इसके बाद 2021 में भीलवाड़ा में मासूम बच्चों को दागने के केवल 3 मामले रिपोर्ट हुए थे, लेकिन 2022 यह आंकड़ा बढ़ कर 8 हो गया। अब इस वर्ष 2 माह 5 दिन में 7 केस अभी तक सामने आ चुके है, जिनमें पीड़ित बच्चों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

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यूपी में भी घटनाएं आ चुकी हैं सामने

बीते 22 फरवरी 2023 को बांदा जिले के नरैनी में नई नवेली दुल्हन की हाथों की मेहंदी भी नहीं छूटी थी कि ससुरालियों ने अंधविश्वास के चलते उसके हाथ में गर्म चिमटा छुआ दिया और मारपीट भी की थी।

जानकारी के मुताबिक दुल्हन ससुराल में मानसिक अस्वस्थ होने के कारण उल्टी सीधी बाते करने लगती थी। इस पर ससुरालियों ने झाड़-फूंक के जरिये उसका इलाज कराने की कोशिश की थी। घटना की सूचना पर मायके वालों ने राममनोहर लोहिया हास्पिटल लखनऊ में भर्ती कराया था।

कालिंजर थाना क्षेत्र के मूंड़ी गांव के अमल्लखपुर गांव निवासी लवलेश कुमार तिवारी ने अपनी पुत्री संगीता का विवाह 15 फरवरी 2023 को नरैनी कोतवाली क्षेत्र के राजनगर में शिवम शुक्ला के साथ किया था। संगीता के पिता ने बताया कि शादी के बाद से वह मानसिक अस्वस्थ थी। विदा होने के बाद वह ससुराल में अनाप-शनाप बातें करने लगी। इस पर पति शिवम व ससुर कैलाश शुक्ला ने उसका इलाज न कराकर 22 फरवरी की रात अंध विश्वास के चलते झाड़-फूंक कराई थी।

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अंधविश्वास के चलते 5 बच्चों की मौत

बीते 11 फरवरी 2023 को यूपी के बांदा जिले के मुस्लिम बाहुल्य गांव गोयरा मुगली में खसरा की बीमारी फैल गई। ऊपरी साया होने की अफवाह और अंधविश्वास में झाड़ फूंक के चलते लोगों ने बच्चों का इलाज नहीं कराया, जिसके कारण 5 बच्चों की जान चली गई, जबकि जांच के दौरान 60 बच्चे बीमार मिले थे। इनका स्वैब नमूना जांच के लिए लखनऊ भेजा गया था। इनमें से 20 की रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। इस बीमारी की शुरुआत जनवरी की शुरुआत में हुई थी। धीरे-धीरे जानलेवा बन गई। बीमारी की चपेट में 60 बच्चे आए थे।

इनमें से 20 की पाजिटिव रिपोर्ट आने से इनका इलाज मेडिकल कॉलेज और जिला अस्पताल में कराया गया था। अंधविश्वास और घरेलू इलाज के चलते कई बच्चों की जान खतरे में पड़ गई, जिससे अलीजा (1) पुत्री अकील, रेहान (5) पुत्र रहमत, रीबा (3) पुत्री चांद खान, साबिर (8) पुत्र मत्थू, हसीब (6 माह) पुत्र नसीम की मृत्यु हो गई थी। जब इन बच्चों की मौत की खबर जिला मुख्यालय पहुंची तो स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया। इसके बाद ही स्वास्थ्य विभाग की टीमों ने गांव में पहुंचकर टीकाकरण शुरू किया। हालांकि, पीएचसी चिकित्सा अधिकारी डॉ. विजय केसरवानी ने गांव में खसरे से 3 बच्चों की मौत स्वीकार की थी।

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