माकपा ने किया 'द केरला स्टोरी' का विरोध, कहा फ़िल्म से उलट है असली केरल की तस्वीर

जनगणना 2011 के अनुसार केरल की जन संख्या 3.34 करोड़ है जिसमें हिंदु 54.73%, मुस्लिम 26.56%, ईसाई 18.38%, जैन, सिक्ख, बौद्ध 0.01%,0.01% ,0.01% हैं। इसके बावजूद कभी साम्प्रदायिक दंगा, किसी धार्मिक आयोजन में झगड़े नहीं हुए हैं।
द केरला स्टोरी का विरोध करते हुए माकपा नेता
द केरला स्टोरी का विरोध करते हुए माकपा नेता
  • केरल में लिंगानुपात 1084, कुल साक्षरता दर 94% , पुरुष साक्षरता  96.11%, महिला साक्षरता 92.07% ,जनसंख्या वृद्वि दर 4.91%, कुल जनसंख्या में हिस्सेदारी 2.76% है।

  • केंद्र सरकार के संगठन नीति आयोग द्वारा समग्र विकास सुचकांक में केरल लगातार पहले स्थान है। 

  • कोरोना में बेहतरीन प्रबंध के लिए केरल की तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री के के शैलजा की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सराहना हुई थीं। 

  • शिक्षा स्वास्थ्य, पर्यटन, सड़क, बिजली, जैसी मूलभूत सुविधाओं में केरल सर्वोच्च स्थान पर है।

  • मंदिरों में पुजारियों की नियुक्ति में आरक्षण देकर, सामाजिक न्याय किया गया तो फल - सब्जी पर न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी देने वाला केरल पहला राज्य है।

राजस्थान। भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) जिला कमेटी, उदयपुर द्वारा "द केरला स्टोरी" को लेकर भाजपा - आरएसएस द्वारा साम्प्रदायिक सदभाव बिगाड़ने, केरल के बारे में दुष्प्रचार करने के मुद्दे पर अपना कड़ा रुख व्यक्त किया गया। माकपा जिला सचिव राजेश सिंघवी ने कहा कि कश्मीर फाइल्स की तर्ज पर "द केरला स्टोरी" फिल्म बनाई गयी है। जिस प्रकार प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, मंत्री, भाजपा - आरएसएस और मीडिया कश्मीर फाइल्स को सत्य मानकर लोगों में साम्प्रदायिक उन्माद पैदा किया गया, उसी तरह द केरला स्टोरी को फैलाया जा रहा है।

"फिल्म निर्माता - निर्देशक की बजाय प्रधानमंत्री फिल्म प्रचार कर रहे हैं, भाजपा शासित राज्य सरकारें टैक्स फ्री कर रहे है, पॉपकॉर्न खिलाने के बहाने भाजपा लोगों को मुफ्त फिल्म दिखा रही है। क्या प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और केंद्र सरकार का यह दायित्व है कि वे किसी फिल्म का प्रचार करें," आरोप लगाते हुए उन्होंने सवाल किया।

हिन्दू महिलाओं के उत्पीड़न की काल्पनिक कहानी

माकपा नेताओं ने कहा कि सूर्यपाल सिंह, विपुल अमृतलाल द्वारा लिखित, सुदीप्तो सेन द्वारा निर्मित द केरला स्टोरी में हिंदु महिलाओं के उत्पीड़न का दावा किया गया है, लेकिन पूरी फिल्म मुस्लिम समुदाय, कम्युनिस्ट विचारधारा, केरल सरकार और केरल के धर्मनिरपेक्ष चरित्र को बदनाम करने की फर्जी कहानी है। फिल्म में बताया गया है कि मुस्लिम लड़कों द्वारा उच्च शिक्षा लेने वाली हिंदु लड़कियों को प्रेम जाल में फंसाकर, शादी के पहले जबरदस्ती इस्लाम स्वीकार करवाया जाता है, फिर आईएआईएस के कैंप में ले जाकर दास बनाकर यौन उत्पीड़न किया जाता है।

हाई कोर्ट की दखल पर डिस्क्लेमर में लिखना पड़ा काल्पनिक कहानी

फिल्म में दिखाया गया है कि राज्य सरकार और पुलिस, केरल को इस्लामिक राज्य बनाये जाने के प्रयासों पर चुप है। कम्युनिस्ट विचारधारा को विदेशी बताकर, हिंदु ग्रंथ न पढ़ाने के लिए कम्युनिस्ट पिता को दोषी बताया जाता है। फिल्म में ऐसी 32000 लड़कियों के आईएआईएस के कैंप में ले जाकर यौन दास बनाने का दावा किया गया था, जिसको केरल उच्च न्यायालय के आदेश पर हटाना पड़ा है और फिल्म के डिस्कलेमर में काल्पनिक कहानी लिखना पड़ा है।

फ़िल्म के एक दृश्य में नायिका अदा शर्मा
फ़िल्म के एक दृश्य में नायिका अदा शर्मा

माकपा की जिला कमेटी ने कहा कि, लव - जिहाद प्रेरित धर्मांतरण भाजपा - आरएसएस द्वारा खड़ा किया गया फर्जी भूत है, जिसके कहीं हाथ - पैर नहीं है। 2009 में कर्नाटक में एक लड़की के पिता की याचिका पर सीआईडी पुलिस द्वारा जांच में ऐसा कोई तथ्य नहीं मिला। डीजी गुरुप्रसाद ने अपनी जांच रिपोर्ट में बताया कि लव जिहाद जैसी कोई मामला नहीं है। अन्य धर्मों में शादी करने 229 मामलों की जांच की तो सबंधित लड़कियों ने अपनी मर्जी से शादी करना बताया। सीआईडी रिपोर्ट के बाद कर्नाटक उच्च न्यायालय ने तथाकथित लव जिहाद की याचिका रद्द कर दी। 

एक पिता की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने एनआईए को केरल में लव जिहाद और धर्मांतरण की जांच करने का आदेश दिया। एनआईए ने केरल के 89 अंतरर्धार्मिक विवाहों की जांच की। लड़की के पिता और भाजपा - आरएसएस, एनआईए को कोई तथ्य नहीं दे पाये। एनआईए ने जांच रिपोर्ट में बताया कि 11 मामलों में आपकी मनमुटाव के चलते ऐसे आरोप लगाये गये, जबकि पीएफआई से जुड़े समूह लव जिहाद के बहाने धर्मांतरण कर आईएआईएस के कैंप में ले जाकर यौन दास बनाने जैसी गैर कानूनी गतिविधियों के कोई साक्ष्य नहीं मिले। पीएफआई, आरएसएस की तरह अतिवादी दक्षिणपंथी संगठन है, जो हिंसक गतिविधियों में लिप्त है।

माकपा जिला कमेटी ने यह भी आरोप लगाया कि, प्रधानमंत्री ने कर्नाटक चुनाव में "द केरला स्टोरी" को आतंकवाद से जुड़ी फिल्म बताते हुए कहते हैं कि बीते कुछ वर्षों में आतंकवाद का एक और भयानक स्वरूप पैदा हो गया है। बम, बंदुक और पिस्तौल की आवाज तो सुनाई देती है लेकिन समाज के भीतर से खोखला करने की आंतकी साजिश की कोई आवाज नहीं सुनाई देती है। कोर्ट तक ने इस आंतक के इस स्वरूप पर चिंता जताई है। माकपा शहर सचिव हीरालाल सालवी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फर्जी कहानी आधारित फिल्म के आधार पर चुनावी चिंता व्यक्त करते हैं लेकिन बृजभूषण शरण सिंह पर चुप हैं। भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह पर कुश्ती खिलाड़ी यौन उत्पीड़न का आरोप लगाकर जंतर - मंत्री पर बैठी हैं, पूर्व में भी  ब्रिज भूषण सिंह दाउद इब्राहिम गैंग के सदस्यों को शरण देने के आरोप में जेल भी जा चुके हैं। और सीबीआई द्वारा पर्याप्त साक्ष्य पेश नहीं करने के चलते बरी हो गये। देश के लिए खेलों में मेडल लाने वाली महिला खिलाड़ियों के आरोपों पर प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, भाजपा - आरएसएस चुप हैं।

माकपा कार्यालय सचिव मुनव्वर खान और शहर कमेटी सदस्य याकूब मोहम्मद ने कहा कि केरल में आजादी से पहले और बाद में भूमि सुधार, सामाजिक सुधार, धर्म सुधार आंदोलनों में कम्युनिस्ट पार्टियों की लोकतांत्रिक, प्रगतिशील, धर्मनिरपेक्ष, समाज वाली विचारों पर प्रतिबद्वता के चलते, केरल का समग्र विकास किया है। केरल की प्रगतिशील जनता ने साम्प्रदायिक भाजपा-आरएसएस, पीएफआई जैसे अतिवादी संगठनों को नकारा है। द केरला स्टोरी के बहाने, भाजपा - आरएसएस देश को साम्प्रदायिकता की आग में झोंककर, लोकसभा चुनाव जीतने का खेल, खेलना चाहती है, साथ ही केरल, केरल की कम्युनिस्ट सरकार को बदनाम कर रही है। भाजपा नेताओं द्वारा खिलाने - पिलाने के नाम पर, भारी चर्चा कर लोगों को जबरदस्ती फिल्म दिखाने का जहरीला अभियान चलाया जा रहा है। माकपा ने कहा कि हमें विश्वास है कि जनता कश्मीर फाइल्स की तरह द केरला स्टोरी को भी नकार देगी।

द केरला स्टोरी का विरोध करते हुए माकपा नेता
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