पंचायत सचिव की क्या औकात..! सीएम की टिप्पणी पर सियासत गरमाई, विपक्ष ने कहा- “सरपंच सम्मेलन को बना दिया धमकी का मंच”
भोपाल। राजधानी के जंबूरी मैदान में शनिवार को हुए प्रदेश स्तरीय सरपंच सम्मेलन में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की जुबान उस वक्त सुर्खियों में आ गई जब उन्होंने मंच से कहा- “कोई सचिव अगर काम नहीं करेगा तो साले को हटा देंगे... इनकी क्या औकात?”
सीएम की इस टिप्पणी के साथ ही राजनीति का तापमान बढ़ गया है। विपक्षी दलों और कर्मचारी संगठनों ने इसे अशोभनीय और असंवैधानिक भाषा करार देते हुए मुख्यमंत्री से माफी मांगने की मांग की है।
“सरपंच की ताकत, सचिव की औकात?” - सीएम का बयान बना बहस का विषय
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कार्यक्रम में कहा कि सरपंच ही वास्तव में गांव की तस्वीर और तकदीर बदलता है। उन्होंने सचिवों और रोजगार सहायकों पर निशाना साधते हुए कहा कि यदि कोई सचिव काम नहीं करेगा, तो सरकार उसे हटा देगी।
सीएम बोले- “जब सरपंच के सामने सचिव और रोजगार सहायक बैठते हैं तो यह तय होना चाहिए कि काम सरपंच की मर्जी से ही चले। सरपंच के पास वो ताकत है जो बड़े-बड़े पदाधिकारियों के पास भी नहीं है।” उन्होंने यह भी कहा कि पंचायतें सरकार की पहली इकाई हैं और पंचायतों को मजबूत करना सरकार की प्राथमिकता है।
मुख्यमंत्री की भाषा लोकतांत्रिक नहीं
पूर्व मंत्री और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कहा- “मुख्यमंत्री की यह भाषा बताती है कि सत्ता में आने के बाद भाजपा नेताओं में अहंकार किस स्तर तक पहुंच गया है। ग्राम सचिवों और रोजगार सहायकों का अपमान पूरे पंचायत तंत्र का अपमान है, सीएम को इस अपमान जनक भाषा के लिए माफी मांगनी चाहिए।”
कांग्रेस ने सीएम की टिप्पणी को लेकर कड़ा रुख अपनाया है।
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता अवनीश बुंदेला ने कहा- “मुख्यमंत्री का बयान लोकतांत्रिक परंपराओं का मज़ाक है। जिस पद के लिए संवैधानिक प्रक्रिया तय है, उसके बारे में ‘साले को हटा देंगे’ जैसी भाषा का प्रयोग बेहद आपत्तिजनक है।”
उन्होंने कहा कि सीएम को याद रखना चाहिए कि सचिव या कोई भी कर्मचारी संविधान द्वारा परिभाषित प्रशासनिक व्यवस्था का हिस्सा है, न कि मुख्यमंत्री की व्यक्तिगत संपत्ति।
कर्मचारियों में आक्रोश
मुख्यमंत्री के अमर्यादित बयान के बाद कर्मचारियों में आक्रोश है। एक कर्मचारियों का कहना है, “मुख्यमंत्री द्वारा इस तरह की टिप्पणी प्रशासनिक मनोबल तोड़ने वाली है। सचिव गांवों में सरकार की योजनाओं को धरातल पर लागू करने की जिम्मेदारी निभाते हैं। अपमानजनक शब्दों से शासन-प्रशासन का तालमेल बिगड़ेगा।”
कार्यक्रम में सीएम की घोषणाएं
राजनीतिक विवादों के बीच कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने पंचायतों को लेकर कई घोषणाएं भी कीं
2026 तक हर गांव में ‘शांति धाम’ (मुक्ति धाम) बनाने का ऐलान
2026 को ‘कृषि आधारित उद्योग वर्ष’ घोषित करने की घोषणा
पंचायतों को कुटीर व लघु उद्योगों के माध्यम से रोजगार सृजन का भरोसा
2472 अटल पंचायत भवन, 1037 सामुदायिक भवन, 106 जनपद पंचायत, और 5 जिला पंचायत भवन स्वीकृत
पंचायतों को नया गांव बसाने और योजना तैयार करने की अनुमति देने का सुझाव
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा, - “जो अच्छा और सच्चा काम करेगा, उसके साथ सरकार और परमात्मा दोनों हैं। पंचायतें अब केवल योजनाओं का क्रियान्वयन नहीं, बल्कि विकास की दिशा तय करेंगी।”
पंचायत मंत्री ने सरपंचों को दिए 25 लाख तक के कामों के अधिकार
कार्यक्रम में पंचायत मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने कहा कि अब सरपंच 25 लाख रुपये तक के विकास कार्यों की स्वीकृति स्वयं दे सकते हैं।
उन्होंने कहा- “सरपंच अपने गांव के हर व्यक्ति को जानता है, इसलिए पंचायत के पास ही सबसे मजबूत रिकॉर्ड रूम है। अब गांवों के इतिहास, खेल और सामाजिक परंपराओं को भी पंचायत स्तर पर दर्ज किया जाएगा।”
24-26 नवंबर को फिर जुटेंगे पंचायत प्रतिनिधि
मुख्यमंत्री ने ऐलान किया कि 24 से 26 नवंबर तक भोपाल में त्रिस्तरीय पंचायतों की एक बड़ी कॉन्फ्रेंस आयोजित की जाएगी, जिसमें ग्रामीण व शहरी निकायों के बीच तालमेल को लेकर नया मैकेनिज्म तैयार किया जाएगा।
विपक्ष बोला- “सम्मेलन नहीं, धमकी का मंच बन गया”
कांग्रेस ने बयान जारी करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री का यह सम्मेलन ग्राम पंचायतों को सशक्त करने की बजाय सरकारी कर्मचारियों को नीचा दिखाने का मंच बन गया। “सरपंचों का सम्मान होना चाहिए, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि दूसरे कर्मचारियों को अपमानित किया जाए। मुख्यमंत्री के शब्दों से स्पष्ट है कि वे लोकतांत्रिक मर्यादाओं को भूल चुके हैं।”
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