स्थानीय निकाय चुनाव में 42% BC आरक्षण: सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना सरकार के फैसले के खिलाफ याचिका की खारिज

सुप्रीम कोर्ट का तेलंगाना सरकार को राहत, 42% आरक्षण पर सुनवाई से किया मना, कहा- 'पहले हाईकोर्ट जाएं'
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नई दिल्ली: तेलंगाना में आगामी स्थानीय निकाय चुनावों में पिछड़ा वर्ग (BC) के लिए आरक्षण को 42% तक बढ़ाने के राज्य सरकार के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी, जिसे सोमवार को खारिज कर दिया गया। सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए कहा कि इसी तरह की दो याचिकाएं पहले से ही तेलंगाना उच्च न्यायालय के समक्ष विचाराधीन हैं।

न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता वंगा गोपाल रेड्डी को यह छूट दी कि वे इस मामले को लेकर उच्च न्यायालय जा सकते हैं। पीठ ने याचिका को खारिज करते हुए कहा, "याचिकाकर्ता द्वारा किए गए अनुरोध के अनुसार, उन्हें उच्च न्यायालय का रुख करने की स्वतंत्रता प्रदान की जाती है।"

क्या है पूरा मामला?

यह मामला तेलंगाना सरकार द्वारा 26 सितंबर को जारी किए गए शासनादेश (GO) संख्या 9 से जुड़ा है। इस शासनादेश के माध्यम से सरकार ने स्थानीय निकाय चुनावों में अनुसूचित जाति (SC) के लिए 15% और अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए 10% आरक्षण के अलावा, पिछड़ा वर्ग (BC) के लिए आरक्षण को 42% तक बढ़ा दिया था।

राजन्ना सिरसिल्ला जिले के निवासी वंगा गोपाल रेड्डी ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। उनकी याचिका में मांग की गई थी कि राज्य सरकार को तेलंगाना पंचायती राज अधिनियम, 2018 की धारा 285A के अनुसार चुनाव कराने का निर्देश दिया जाए। यह अधिनियम स्थानीय निकाय चुनावों में कुल आरक्षण की सीमा 50% से अधिक होने पर रोक लगाता है।

याचिकाकर्ता की दलीलें

याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील सोमीरण शर्मा ने दलील दी कि सरकार ने यह शासनादेश अदालत के काम के घंटों के बाद और छुट्टियों के दौरान जारी किया, जो आरक्षण की सीमा पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित दिशानिर्देशों का उल्लंघन है। उन्होंने यह भी बताया कि 27 सितंबर को एक सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालय ने इस शासनादेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था, जिसके तुरंत बाद 29 सितंबर को चुनाव की अधिसूचना जारी कर दी गई।

शर्मा ने कहा, "चूंकि चुनाव अधिसूचना नए आरक्षण पैटर्न पर जारी हो चुकी है, इसलिए याचिकाकर्ताओं के लिए अपनी चुनौती को जारी रखना मुश्किल हो जाएगा।"

उच्च न्यायालय में भी चल रही है सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि जब उच्च न्यायालय ने इस मामले में कोई रोक नहीं लगाई है, तो याचिकाकर्ता सीधे सर्वोच्च न्यायालय का रुख नहीं कर सकता। गौरतलब है कि तेलंगाना उच्च न्यायालय में बी माधव रेड्डी और गोरेटी वेंकटेश द्वारा दायर की गई समान याचिकाओं पर सुनवाई पहले ही हो चुकी है और मामले की अगली सुनवाई 8 अक्टूबर को होनी है।

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